कुंदन कुमार/गया.गया के प्रसिद्ध तिलकुट के बाद अगर कोई मिठाई है तो वह है अनरसा. बरसात के दिनों में अनरसे की सोंधी खुशबू हरेक व्यक्ति को अपनी ओर खींच लेती है. जो एक बार मीठे अनरसे का स्वाद चख ले वो इसका मुरीद बन जाता है. यही कारण है कि बरसात के दिनों में इसकी खपत ज्यादा होती है. अनरसा एक प्रकार का मीठा बिहारी व्यंजन है. जो अरवा चावल के आटे, खोया, तिल और चीनी से बनाया जाता है. इसका स्वाद का जादू ऐसा कि गया आने वाले अनरसा लेकर ही लौटते हैं. अब तो बकायदा अनरसा का एक बाजार ही बस गया है. यहां के अनरसा का स्वाद दूर-दूर तक फैला है.
अनरसे दो तरह के बनाये जाते हैं. गोल-गोल गोलियां या चपटी टिकियों के आकार में. गोल अनरसे खाते समय कुरकुरे के साथ-साथ अन्दर से मुलायम होते हैं, जिनका स्वाद एकदम अलग होता है. जब इन अनरसों में खोवा मिला दिया जाता है, तब इन्हें खोवा अनरसा कहते हैं. यह सामान्य अनरसों की अपेक्षा अधिक नर्म और स्वादिष्ट होते हैं. अनरसा की मिठास की लोकप्रियता का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि बिहार की पारंपरिक व अतिप्राचीन मिठाई अनरसा विदेशियों को भी खूब भाती है. अनरसा को अन्य मिठाइयों की अपेक्षा काफी शुद्ध माना जाता है. इसलिए तज, कर्मा जैसे पर्व-त्योहार में इसकी मांग ज़्यादा होती है.
अनरसा की शुरुआत टिकारी महाराज के दौर से हुई शुरु
गौरतलब है कि गया में अनरसा की शुरुआत टिकारी महाराज के दौर से शुरु हुई थी. टिकारी महाराज अपने किलों में विशेष करीगरों से अनरसा बनवाते थे. चूंकि उस समय अनरसा का स्वरूप दूसरा होता था. रोटी के आकार की पतली होती थी और उसके बीच छेद हुआ करता था. धीरे-धीरे समय के साथ-साथ इसका स्वरूप बदलता गया. आज यह पूरी तरह गेंद की आकार का है, जिसके अंदर खोवा भरा होता है. गया शहर मे अनरसा की सबसे अधिक दुकानें रमना रोड, टिकारी रोड और स्टेशन रोड पर हैं. दुकानों में सुबह से शाम तक ग्राहकों की भीड़ रहती है. पसंद के अनुसार लोग अनरसा की खरीदारी करते हैं.
ऐसे तैयार होता है स्वादिष्ट अनसरा
अनरसा के दुकानदार विद्या नंदन प्रसाद बताते है कि अनरसा चावल और खोया को मिलाकर के बनाया जाता है. चावल को पहले धोया जाता है, फिर उसको पिसवाया जाता है. इसके बाद उस आटे को गुड़ और चीनी के सिरे में मिक्स कर के एक पेस्ट की तरह बनाया जाता है. पेस्ट बनाने के बाद जब वह पक जाता है, उसको ठंडा करने के बाद खोया भरा जाता है. उसके बाद उसके ऊपर सफ़ेद तिल चिपकाया जाता है. जिससे वह सुंदर लगता है और स्वाद भी बढ़ जाता है. फिर उसे घी में तल दिया जाता है. इस तरह से एक अनरसा तैयार होता है.
280 से 480 रुपये किलो की दर से है बिकता
इन्होंने बताया कि सासाराम और कैमूर जिले का खोया बेहतर होता है. इस कारण यहां सबसे ज्यादा उसी का इस्तेमाल होता है. हालांकि अब गया के ग्रामीण क्षेत्र में भी खोया का उत्पादन शुरू हो गया है. इन जगहों से खोया मंगाया जाता है. बाजार में अनरसा 280 से 480 रुपये किलो की दर से बिक रहा है. गया काबना अनरसा सबसे अधिक बनारस जाता है. क्योंकि वहां के लोगों को यहां का अनरसा काफी पसंद है. इस वजह से हर विक्रेता तैयार अनरसा बनारस भेजते हैं. इसके अलावा दिल्ली, पटना, रांची, धनबाद, प्रयागराज आदि शहरों में भी अनरसा जाता है.
बरसात की मिठाई कही जाती है अनरसा
अनरसा बरसात की मिठाई कही जाती है. बता दें कि बरसात के दिनों में नमी बढ़ जाती है. चावल में नमी खींचने का ताकत होता है. बाहर का वातावरण की नमी खींच रहा है तो वह सेहत के लिए भी अच्छा होता है. उससे स्वाद भी बढ़ जाता है. गया का अनरसा पूरे देश में किसी न किसी तरह से पहुंच जाता है. कहीं किसी के दोस्त लेकर जाते हैं तो कहीं किसी के परिवार के लोग लेकर जाते हैं, पूरे देश में गया का अनरसा का नाम है.
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FIRST PUBLISHED : June 12, 2023, 17:05 IST