Home Life Style क्या आप खोलना चाहते हैं खुद का स्कूल? वास्तु के ये 5 टिप्स करें फॉलो, दिन दूनी रात चौगुनी होगी तरक्की

क्या आप खोलना चाहते हैं खुद का स्कूल? वास्तु के ये 5 टिप्स करें फॉलो, दिन दूनी रात चौगुनी होगी तरक्की

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क्या आप खोलना चाहते हैं खुद का स्कूल? वास्तु के ये 5 टिप्स करें फॉलो, दिन दूनी रात चौगुनी होगी तरक्की

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हाइलाइट्स

स्कूल की कक्षाओं के लिए जरूरी है कि उनके कमरों में प्रॉपर वेंटिलेशन हो.
जिस स्कूल में कक्षाएं सही नहीं होतीं, उस स्कूल की तरक्की भी सही से नहीं हो पाती.

Vastu Tips for School Construction : स्कूल या विद्यालय ज्ञान का मंदिर होता है. यह एक ऐसी जगह है, जहां बच्चों को छोटी उम्र में ज्ञान का पाठ पढ़ाया जाता है. घर के अलावा स्कूल ही एक ऐसी जगह होती है, जहां पर बच्चे सबसे ज्यादा समय तक रहते हैं. दुनिया भर में कई तरह के स्कूल मौजूद हैं. कुछ स्कूल अध्ययन संबंधित हैं. तो कुछ व्यापारिक ज्ञान से, कुछ स्कूल संस्कृति धर्म और मानवता के बारे में पढ़ाते हैं. स्कूल बच्चे के लिए नीव के निर्माण करने की महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इसलिए अगर स्कूल के निर्माण को गलत तरीके से किया जाए, या गलत दिशा में बनाया जाए तो ये वहां के छात्रों के लिए भी नुकसानदायक साबित हो सकता है. भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु विशेषज्ञ पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बता रहे हैं, स्कूल निर्माण में किन वास्तु टिप्स को ध्यान में रखा जाना चाहिए.

स्कूल के लिए वास्तु टिप्स

विद्यालय का स्थान : स्कूल निर्माण में जगह बहुत महत्वपूर्ण है यदि जगह सही है तो सफलता दौड़ी चली आती है. वास्तु शास्त्र के अनुसार स्कूल का सही जोन शहर के बीच में होना चाहिए. ताकि विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए पहुंचना आसान व्यवहारिक हो.

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स्कूल का प्रवेश द्वार : स्कूल हो या शिक्षण से जुड़े कोई भी संस्था उसका प्रवेश द्वार उत्तर या पूर्व दिशा में ही रखना चाहिए. इन दिशाओं से प्रवेश करना शुभ माना जाता है. यदि स्कूल बहुत बड़ा है, तो बच्चों की आवाजाही को आसान करने के लिए उत्तर या पूर्व दिशा में एक से अधिक प्रवेश द्वार बनाए जा सकते हैं.

प्रार्थना सभागार के लिए स्थान : प्रत्येक स्कूल में एक प्रार्थना कक्ष होता है. जहां सभी छात्र-छात्राएं एकत्रित होकर अपने दिन की शुरुआत प्रार्थना के साथ करते हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार में बेहतर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रार्थना कक्ष को स्कूल की उत्तर पूर्व दिशा में मनाया जाना चाहिए.

कक्षाओं का स्थान : जिस स्कूल में कक्षाएं सही नहीं होती, उस स्कूल की तरक्की भी नहीं हो पाती. कक्षाओं को विशेष रूप से छात्र-छात्राओं के आराम से बैठने और एकाग्रता के साथ अध्ययन करने के लिए बनाया जाना चाहिए. वास्तु शास्त्र के अनुसार कक्षाओं का निर्माण उत्तर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बनवाया जाना चाहिए. अध्ययन के वक्त छात्रों की स्थिति कक्षा के पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठने की सबसे अच्छी मानी जाती है.

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हवादार हो परिसर : स्कूल की कक्षाओं के लिए जरूरी है कि उनके कमरों में प्रॉपर वेंटीलेशन हो. इसके लिए स्कूल की खिड़कियां बड़ी बना सकते हैं. खिड़कियों के दिशा उत्तर या पूर्व में होनी चाहिए. इस दिशा में छत का एग्जॉस्ट फैन भी लगाया जा सकता है.

Tags: Astrology, Dharma Aastha, Religion, Vastu, Vastu tips

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