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Covid-19 Vaccine: हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो कोविड के हर वेरिएंट के लिए अलग वैक्सीन बनाने की जरूरत नहीं है. वायरस समय-समय पर म्यूटेट करता है और नए वेरिएंट सामने आते हैं. पुरानी वैक्सीन भी नए वेरिएंट से बचा सक…और पढ़ें

एक्सपर्ट के अनुसार हर वेरिएंट के लिए अलग वैक्सीन की जरूरत नहीं है.
हाइलाइट्स
- कोविड के हर वेरिएंट के लिए नई वैक्सीन की जरूरत नहीं है.
- कोरोना की मौजूदा वैक्सीन भी नए वेरिएंट्स पर कारगर होती हैं..
- मास्क पहनें, भीड़ से बचें, हाथ धोएं और सोशल डिस्टेंसिंग रखें.
Coronavirus Cases in India: कोरोना वायरस एक बार फिर भारत में पैर पसार रहा है. पिछले कई दिनों से देश में कोविड के नए मामले सामने आ रहे हैं. फिलहाल देश में कोरोना संक्रमण के एक्टिव मामले 1000 को पार कर चुके हैं. कोविड के लगातार नए वेरिएंट देखने को मिल रहे हैं. ओमिक्रॉन, डेल्टा, बीए.2.86, JN.1 जैसे तमाम वेरिएंट्स के सब-वेरिएंट संक्रमण फैला रहे हैं. कई लोग नए संक्रमण से बचने के लिए वैक्सीन की बूस्टर डोज को लेकर चर्चा कर रहे हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो जब किसी वायरस का कोई नया वेरिएंट आता है, तो उस पर पुरानी वैक्सीन का असर कम हो जाता है. ऐसे में सवाल है कि क्या नए वेरिएंट के लिए नई वैक्सीन बनाने की जरूरत है? चलिए इस बारे में एक्सपर्ट से जान लेते हैं.
नई दिल्ली के बीआर आंबेडकर सेंटर फॉर बायोमेडिकल रिसर्च के डायरेक्टर और वायरोलॉजिस्ट डॉ. सुनीत कुमार सिंह ने News18 को बताया कि वर्तमान में कोविड के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है. वायरस समय-समय पर म्यूटेट करता रहता है और नए वेरिएंट या सब-वेरिएंट सामने आते रहते हैं. कई लोगों को लगता है कि नए वेरिएंट आने पर पुरानी कोविड वैक्सीन बेअसर हो जाएगी और संक्रमण का खतरा बढ़ जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं है. कोविड की पुरानी वैक्सीन अब भी कारगर है. जब वायरस में म्यूटेशन होता है, तो इससे कई सब वेरिएंट बनने लगते हैं. इन वेरिएंट पर वैक्सीन का असर कम हो सकता है, लेकिन वैक्सीन पूरी तरह बेअसर नहीं होती है. ऐसे में पैनिक होने की जरूरत नहीं है.
डॉक्टर सुनीत ने बताया कि कोविड के हर वेरिएंट के लिए अलग वैक्सीन बनाना संभव नहीं है. कोरोना वायरस तेजी से म्यूटेट करता है और नए वेरिएंट बन जाते हैं. ऐसे में हर बार वैक्सीन बनाना व्यावहारिक भी नहीं है. अधिकतर कोविड वैक्सीन वायरस के स्पाइक प्रोटीन को टारगेट करती हैं, जो वेरिएंट्स में थोड़ा-बहुत बदलता है. यह प्रोटीन पूरी तरह नहीं बदलता है, जिसकी वजह से मौजूदा वैक्सीन भी नए वेरिएंट्स के खिलाफ प्रोटेक्शन देती है. कोविड वैक्सीन का मुख्य उद्देश्य संक्रमण को पूरी तरह रोकना नहीं, बल्कि गंभीर बीमारी, अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या और मौत के जोखिम को कम करना है. अगर नया वेरिएंट गंभीर बीमारी नहीं फैला रहा है, तो वैक्सीन में बड़े बदलाव की जरूरत नहीं होती है.
एक्सपर्ट के अनुसार कुछ वैक्सीन कंपनियों ने मल्टी-वेरिएंट या बायवैलेंट वैक्सीन डेवलप की हैं, जो एक से अधिक वेरिएंट्स के खिलाफ इम्यूनिटी प्रदान करती हैं. ये तब उपयोगी होती हैं, जब कोई नया वेरिएंट बहुत तेजी से फैलता है और मौजूदा वैक्सीन से उसकी रोकथाम नहीं हो पा रही हो. वर्तमान में भारत के कई हिस्सों में कोविड के मामले बहुत ज्यादा नहीं हैं और इन्हें कंट्रोल किया जा सकता है. हालांकि वायरस से बचने के लिए लोगों को फेस मास्क इस्तेमाल करना चाहिए, भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए, हाथों को बार-बार धोना चाहिए या सैनिटाइज करना चाहिए और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना चाहिए. अगर कोविड के लक्षण नजर आएं, तो डॉक्टर से मिलकर जांच करानी चाहिए. सतर्कता बरतकर कोविड से बचा जा सकता है.

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. …और पढ़ें
अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. … और पढ़ें
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