हाइलाइट्स
अध्ययन में कहा गया है कि लिवर में स्टीफनेस यानी लिवर में कड़ापन आना लिवर डैमेज की निशानी है.
कोरोना के कुछ मरीजों में लिवर के अंदरुनी हिस्से में टूट-फूट का खतरा बना रहता है.
Long covid effect long term liver damage: चीन में कोरोना से मचे दोबारा हाहाकार ने एक बार फिर दुनिया को चिंता में डाल दिया है. सरकार ने बड़े पैमाने पर लोगों को कोरोना के प्रति सतर्क रहने को कहा है. दूसरी तरफ कोरोना से संक्रमित मरीजों को अब तक कई दुश्वारिया झेलनी पड़ती है. लॉन्ग कोविड के मरीजों में डिप्रेशन, एंग्जाइटी की समस्या पहले से ही कम नहीं है. कुछ अध्ययनों में लॉन्ग कोविड के कारण किडनी पर भी असर बताया जा रहा है. अब एक नए अध्ययन में ऐसे में यह भी कहा जा रहा है कि कोरोना के कारण लिवर को लंबे समय के लिए मुसीबत झेलना पड़ सकता है. यानी लिवर को लंबे समय तक डैमेज होने का जोखिम बढ़ गया है. नए अध्ययन के मुताबिक कोविड-19 इंफेक्शन लिवर में स्टीफनेस पैदा कर रहा है जिससे लंबे समय तक लिवर में इंज्यूरी होने का खतरा बढ़ गया है. यहां इंज्यूरी का मतलब एक्सीडेंट्स से नहीं है बल्कि लिवर के अंदरुनी हिस्से में टूट-फूट का खतरा बना रहता है. रेडियोलॉजी सोसाइटी ऑफ नोर्थ अमेरिका की स्टडी में यह बात सामने आई है.
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कोरोना मरीजों में लिवर इंज्यूरी का खतरा
प्रमुख शोधकर्ता फिरोजेह हेदारी ने बताया, “हमारे अध्ययन में इस बात का पुख्ता प्रमाण मिला है कि कोविड-19 इंफेक्शन के कारण लिवर इंज्यूरी का खतरा बढ़ रहा जो एक्यूट इलनेस की ओर इशारा कर रहा है.” यह स्टडी साइटेकडेली में प्रकाशित हुई है. अध्ययन में कहा गया है कि लिवर में स्टीफनेस यानी लिवर में कड़ापन आना लिवर डैमेज की निशानी है. इससे लिवर में सूजन या फाइब्रोसिस आ जाता है. अगर यह फाइब्रोसिस बढ़ता गया तो इसे लिवर कैंसर या लिवर फेल्योर भी हो सकता है. शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन में शामिल लोगों को दो ग्रुप में बांट दिया और लिवर स्टीफनेस से पीड़ित मरीज में कोविड-19 होने का डाटा जुटाया. शोधकर्ताओं ने 2019 से 2022 के बीच मेसाच्यूसेट्स जेनरल अस्पताल में सभी मरीजों का अल्ट्रासाउंड शियर वेव इलास्टोग्राफी किया. शियर वेव इलास्टोग्राफी लिवर के टिशूज में स्टीफनेस मापने की अत्याधुनिक तकनीक है.
कोविड इंफेक्शन एंटीजन-एंटीबॉडी को टार्गेट करता है
इंडियन एक्सप्रेस में छपी इस खबर में सर एच एन रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर के डिपार्टमेंट ऑफ हेपाटोलॉजी के डायरेक्टर डॉ आकाश शुक्ला ने बताया कि कोरोना के वायरस का चोलानोजियोसाइट्स के साथ समरूपता है. यह चोलानोजियोसाइड्स कोशिका के रूप में लिवर के बाहर और भीतर पित्त में लाइनिंग रहती हैं. लिवर शरीर का सबसे बड़ा इम्यून अंग है लेकिन कोविड इंफेक्शन के बाद एंटीजेन-एंटीबॉडी को टारगेट करने लगता है. यही कारण है कि कोविड के आधे मामले में लिवर को प्रभावित करने लगता है. आमतौर पर लिवर की यह स्थिति बिना लक्षणों वाली होती है और इसका आसानी से इलाज भी किया जा सकता है. हालांकि, कभी-कभी लिवर इंज्यूरी गंभीर हो जाती है जिसके कारण शुरुआत में जॉन्डिस हो जाता है या गंभीर रूप से हेपटाइटिस हो जाता है.
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Tags: Corona, COVID 19, Health, Health News, Lifestyle
FIRST PUBLISHED : December 23, 2022, 06:30 IST