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असम में बाल विवाह के खिलाफ सरकार अभियान चला रही है। इस सिलसिले में अब तक हजारों लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। गुवाहाटी हाई कोर्ट ने इस अभियान को लेकर सरकार से सवाल किया है। बता दें कि राज्य में अब तक 3 हजार से ज्यादा लोगों गिरफ्तार किया गया है। इसके बाद से महिलाएं विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। महिलाओं का कहना है कि उनके परिवार के कमाने वाले लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है ऐसे में उनके सामने रोजी-रोटी की समस्या भी खड़ी हो गई है।
पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं। जानकार यह भी कह रहे हैं कि पुलिस कानून का गलत इस्तेमाल कर रही है क्योंकि बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो कि अब नाबालिग नहीं हैं। बता दें कि POCSO ऐक्ट के तहत भी मामले दर्ज किए गए हैं। हाई कोर्ट ने 9 लोगों को गिरफ्तारी से पहले जमानत देते हुए कहा है कि इन मामलों में हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत नहीं है।
वहीं दूसरे केस की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने सरकार से सवाल किया कि क्या ये कोई रेप का केस है? कोर्ट ने इन आरोपों को भी अजीब बताया। हाई कोर्ट ने कहा, ये कोई हिरासत में लेकर पूछताछ करने वाले केस नहीं हैं। आपको कानून के हिसाब से चलना चाहिए। अगर उन्हें दोषी ठहराया जाता है तब ही वे दोषी हैं। इन कदमों से लोगों का निजी जीवन बर्बाद हो रहा है। लोगों के परिवार में बच्चे हैं, बुजुर्ग हैं। उनके जीवन पर बुरा असर पड़ता है।
असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने राज्य में लोगों के खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए बाल विवाह के खिलाफ अभियान चलाने का आदेश दिया था। इसके बाद 3 फरवरी को ही कार्रवाई शुरू हो गई और 4 हजार से ज्यादा केस दर्ज किए गए । मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को भी कहा, सामाजिक बुराई के खिलाफ अभियान जारी है। असम के लोगों को इस बुराई से लड़ने में सहयोग करना चाहिए। वहीं विपक्षी दल असम सरकार की इस कार्रवाई की गलत बता रहे हैं। उनका कहना है कि लोगों को डराने के लिए कानून का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। एक वर्ग के लोगों को परेशान किया जा रहा है।