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शादी का लड्डू जो खाए वो पछताए और जो न खाए वो भी पछताए… तो क्या वाकई शादी करना फायदे का सौदा है या फिर पछतावे का! दरअसल, कामकाजी महिलाओं के एक सोशल मीडिया ग्रुप में इन दिनों शादी की जरूरतों और जिम्मेदारियों पर बहस चल रही है. इसमें इस बात को लेकर बहस चल रही है कि वर्किंग वूमन आखिर शादी क्यों करे! तो क्या आज के जमाने में महिलाओं के लिए वाकई शादी करना जरूरी नहीं रह गया है? दरअसल एक महिला ने अपने पोस्ट में लिखा, “मान लीजिए मैं कमा रही हूं. अगर मैं अविवाहित हूं, तो सुबह मेरी माँ द्वारा बनाई गई चाय के साथ मेरी दिन की शुरुआत होती है. मैं नाश्ता करती हूं, तैयार होती हूं, और ऑफिस का काम करने के बाद दिनभर आराम करती हूं.” लेकिन शादी के बाद, वह कहती हैं, उन्हें न केवल खुद के लिए बल्कि परिवार के अन्य सदस्यों के लिए भी खाना बनाना, कपड़े धोना और घर का काम करना पड़ेगा.
“मुझे इसमें क्या फायदा?”
महिला ने सवाल उठाया कि अगर वह कमाती हैं और घर के कामों के लिए नौकरानी रखती हैं, तो उसका खर्च भी उनकी सैलरी से आएगा. ऐसे में या तो लड़के के परिवार को मुफ्त में नौकरानी मिलेगी, या उनकी सैलरी का हिस्सा जाएगा. उन्होंने कहा, “इसमें मेरा क्या फायदा? केवल मेरी सैलरी और आराम कम हो रहे हैं क्योंकि मुझे अजनबियों के साथ रहना पड़ेगा. क्या मैं कुछ मिस कर रही हूं?”
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
इस पोस्ट पर कई लोगों ने अपनी राय व्यक्त की. कुछ ने शादी के फायदे गिनाए, तो कुछ ने महिला के सवालों को सही ठहराया. एक यूजर ने सुझाव दिया, “शादी से पहले ही स्पष्ट कर लें कि आप अलग रहना चाहती हैं. जो लोग सहमत होंगे, वहीं बात आगे बढ़ाएंगे. अगर आप अपने पार्टनर के साथ अलग रहते हैं और दोनों कमाते हैं, तो घरेलू काम साझा किए जा सकते हैं. यह एक जीत-जीत की स्थिति है.”
दूसरे यूजर ने कहा, “यह इस पर निर्भर करता है कि शादी किस प्रकार की है. अगर आपको ऑफिस के बाद घर के सारे काम अकेले करने पड़ते हैं और आपका पार्टनर सहयोगी नहीं है, तो शादी महिलाओं के लिए फायदेमंद नहीं है. लेकिन अगर आपका पार्टनर सहयोगी है और आप दोनों जिम्मेदारियां साझा करते हैं, तो शादी एक खूबसूरत व्यवस्था हो सकती है.”
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शादी का सही दृष्टिकोण
कुछ लोगों ने महिला की बातों का समर्थन करते हुए कहा कि शादी के बाद महिलाओं की आवाज़ अक्सर दबा दी जाती है. एक यूजर ने लिखा, “आप बिल्कुल सही हैं. यह एक बड़ी यातना है, खासकर कामकाजी महिलाओं के लिए जो ससुराल के साथ रहती हैं. अकेले रहने से मिलने वाला शांति का अहसास अद्वितीय है.”
एक अन्य यूजर ने लिखा, “मैं खुशहाल सिंगल हूं. मेरे पास कुक है ताकि मेरी माँ को खाना न बनाना पड़े. मैं अपनी जिंदगी में पूरी तरह से खुश हूं और किसी को जवाबदेह नहीं हूं. हर किसी की खुशी की परिभाषा अलग होती है, और अगर आप खुश हैं, तो वही पर्याप्त है.”
शादी के फैसले को समझदारी से लें
यह बहस एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करती है. शादी को केवल सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. यह एक ऐसा बंधन होना चाहिए, जहां दोनों पार्टनर समान रूप से योगदान दें और एक-दूसरे का सम्मान करें.
शादी का निर्णय लेने से पहले, महिलाओं को अपनी प्राथमिकताओं, जरूरतों और इच्छाओं को ध्यान में रखना चाहिए. सही पार्टनर के साथ एक स्वस्थ और संतुलित रिश्ता जीवन को खुशहाल बना सकता है.
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