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Maharashtra Politics: लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के विलय की अटकलें और चर्चा पिछले सोमवार से जोरों पर है लेकिन अब दोनों दलों के वरिष्ठ नेताओं ने इससे साफ इनकार किया है। उनके मुताबिक यह सिर्फ अफवाह है। शरद पवार की बेटी और लोकसभा सांसद सुप्रिया सुले ने बुधवार को इन अफवाहों की खंडन किया कि उनकी पार्टी का कांग्रेस में विलय होने वाला है।
अपने पिता शरद पवार के पुणे स्थित आवास पर पार्टी नेताओं की एक बैठक के बाद सुले ने मीडिया से कहा कि उनकी पार्टी का विलय कांग्रेस में नहीं होने जा रहा है।यह सिर्फ अफवाह है। उस बैठक में शरद पवार और सुप्रिया सुले के अलावा महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख, राजेश टोपे, सांसद अमोल कोल्हे और श्रीनिवास पाटिल समेत कई नेता मौजूद थे। पार्टी के विलय की खबरों को लेकर पूछने पर सुले ने कहा, “हमारा गुट किसी राजनीतिक दल से विलय नहीं करेगा। हम महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के हिस्से के रूप में आगामी चुनाव लड़ेंगे।”
शरद पवार गुट वाले एनसीपी के कांग्रेस में विलय की चर्चा तब शुरू हुई, जब चुनाव आयोग ने पार्टी का नाम और पार्टी का चुनाव चिह्न दोनों अजित पवार गुट को सौंप दिया और शरद पवार के धड़े को नया नाम, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) आवंटित किया। आयोग ने पार्टी से तीन चुनाव चिह्न का भी प्रस्ताव मांगा है। सीनियर पवार के गुट ने आयोग में चुनाव चिह्न के लिए सीटी, चश्मा और बरगद का पेड़ आवंटित करने का तीन विकल्प सौंपा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कांग्रेस पर्यवेक्षक और महाराष्ट्र के प्रभारी रमेश चेन्निथला ने मंगलवार को शरद पवार से मुलाकात के दौरान दोनों दलों के व्यापक हित और बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए कांग्रेस और एनसीपी के विलय का प्रस्ताव दिया था। खबरों के मुताबिक, यह प्रस्ताव दिया गया था कि शरद पवार गुट के उम्मीदवार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ेंगे क्योंकि एनसीपी का चुनाव चिह्न घड़ी अब उनके पास नहीं है।
हालांकि, बाद में महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने साफ किया कि रमेश चेन्निथला ने शरद पवार से मुलाकात की थी लेकिन विलय का कोई प्रस्ताव नहीं दिया था। टीओआई से बात करते हुए पटोले ने कहा कि हमने सिर्फ लोकसभा चुनावों में सीट बंटवारे पर चर्चा की है। दोनों दलों के विलय पर कोई चर्चा नहीं हुई है।
बता दें कि शरद पवार ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस से की थी। 1967 में वह पहली बार बारामती विधानसभा क्षेत्र से चुने गए थे। इसके बाद वह 1999 तक कांग्रेस पार्टी में रहे। सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे पर उन्होंने 1999 में अलग पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी बना ली थी। इन 25 वर्षों में अब राजनीतित हालात पूरी तरह से बदल चुके हैं। शरद पवार अब कांग्रेस के एक बड़े सहयोगी के रूप में काम करते रहे हैं। वह मनमोहन सिंह सरकार में 10 साल तक केंद्रीय मंत्री रहे और महाराष्ट्र में अघाड़ी गठबंधन में शामिल हैं।