Home Life Style क्या हार्ट अटैक से पहले शरीर में दिखते हैं कुछ संकेत? किन लोगों को है खतरा

क्या हार्ट अटैक से पहले शरीर में दिखते हैं कुछ संकेत? किन लोगों को है खतरा

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क्या हार्ट अटैक से पहले शरीर में दिखते हैं कुछ संकेत? किन लोगों को है खतरा

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हाइलाइट्स

हाई रिस्क वाले लोगों को हर तीन साल में एक बार ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रोल, इकोकार्डियोग्राफी और टीएमटी टेस्ट करवाना चाहिए.
कुछ पारिवारिक जीन से भी हार्ट अटैक का खतरा हो सकता है.

Early sign and symptoms of heart attack: हार्ट के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. जब तक कोई इंसान जिंदा है उसके शरीर में हार्ट चलता रहता है. जिस दिन दिल ने धड़कना बंद किया, उसी समय जीवन खत्म हो जाता है. कुदरत ने हार्ट को इस तरह से बनाया है कि लगातार चलने के बावजूद कई अवरोधों को पार कर तंदुरुस्त बना रहता है और अपना काम करता रहता है. लेकिन आधुनिक समय में हमारा खान-पान और लाइफस्टाइल ने हार्ट पर बोझ बढ़ा दिया है. कई ऐसी अनहेल्दी चीजें हैं जो हार्ट को सीधे असर करती है. इससे हार्ट संबंधी कई बीमारियां होने लगी है. यह सब खराब लाइफस्टाइल का परिणाम है. कुछ ही मामलों में हार्ट की जटिलताएं पारिवारिक या जीन से संबंधित होती हैं. ज्यादातर मामलों में हम खुद हार्ट को खराब करने में जिम्मेदार होते हैं. आजकल कम उम्र में भी लोग हार्ट अटैक और हार्ट फेल्योर के शिकार हो रहे हैं. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या हार्ट अटैक से पहले शरीर में कुछ संकेत दिखते हैं जिनकी बदौलत हम हार्ट अटैक के कारण होने वाली मौतों से बच सके.

फॉर्टिस अस्पताल के डायरेक्टर और कार्डियोल़ॉजी एंड इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी के यूनिट हेड डॉ नित्यानंद त्रिपाठी ने बताया कि अधिकांश मामलों में हार्ट अटैक से पहले कुछ संकेत नहीं दिखते. कुछ मामलों में संकेतों से पहचान कर सकते हैं कि इस व्यक्ति को हार्ट अटैक का जोखिम है लेकिन किस समय या कितने दिनों में हार्ट अटैक होगा, इसका पता नहीं लगाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि चूंकि हार्ट अटैक के अधिकांश मामले बिना लक्षण दिखे ही आ जाते हैं, इसलिए हमें जोखिम वाले व्यक्तियों पर ध्यान देना होगा. कुछ लोगों को हार्ट अटैक का जोखिम ज्यादा रहता है. ऐसे में इन्हें सतर्क रहने की जरूरत होती है.

इन लोगों का हार्ट अटैक का ज्यादा खतरा

डॉ नित्यानंद राय ने बताया कि बिना लक्षण वाले मरीजों को अगर हार्ट डिजीज से बचना है, तो उन्हें यह जानना जरूरी है कि किन लोगों को हार्ट अटैक या हार्ट से संबंधित बीमारियों का जोखिम ज्यादा है. उन्होंने कहा कि आमतौर पर डायबिटीज, ब्लडप्रेशर, कोलेस्ट्रोल में बढ़ोतरी वाले मरीज हार्ट डिजीज के मरीजों को हार्ट अटैक का जोखिम ज्यादा रहता है. ये लोग हाई रिस्क में होते हैं. इसके अलावा कुछ फैमिली हिस्ट्री भी हार्ट डिजीज के लिए बड़ी वजह बन सकती है.

अगर फर्स्ट ब्लड रिलेशन में हाइपरट्रॉपिक कार्डियोमायोपैथी है, तो ऐसे व्यक्तियों में बिना लक्षण हार्ट डिजीज होने की आशंका हो सकती है. इसमें हार्ट मोटा होने लगता है और सांस फूलने लगती है. इसके अलावा जिसके परिवार में माता-पिता, भाई-बहन और बच्चों में किसी को भी अगर लॉन्ग क्यू टी सिंड्रोम है, तो उसे भी हार्ट डिजीज का जोखिम है. इसलिए कुछ लोगों में हार्ट डिजीज की समस्या परिवार से आती है. इसके अलावा मोटापा, मेटाबोलिक सिंड्रोम और फिजिकल एक्टिविटी में कमी भी हार्ट डिजीज के जोखिम को बढ़ा सकती है. इन सबके लिए ऊपर से कोई लक्षण नहीं दिखता है.

बिना लक्षण वाले मरीज हार्ट डिजीज से कैसे बचें
तो क्या हाई रिस्क वाले लोगों में हार्ट अटैक के संकेत शरीर में पहले से दिखने लगते हैं. डॉ नित्यानंद त्रिपाठी कहते हैं, ऐसा बिल्कुल नहीं है. हाई रिस्क वाले मरीजों में भी ही हार्ट डिजीज के लक्षण दिखे, यह जरूरी नहीं है. इसलिए हमलोग जोखिम वाले मरीजों को नियमित रूप से जांच कराने की सलाह देते हैं ताकि जोखिम को कम किया जा सके. हाई रिस्क वाले 55 साल की उम्र से कम के पुरुष और हाई रिस्क वाली 50 साल की उम्र से कम की महिलाओं को नियमित रूप से हार्ट संबंधी जांच करानी चाहिए.

डॉ. नित्यानंद त्रिपाठी कहते हैं कि हाई रिस्क वाले लोगों को हर तीन साल में एक बार ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रोल, इकोकार्डियोग्राफी और टीएमटी टेस्ट करवाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कई बार लोग अन्य बीमारियों से पीड़ित हो जाते हैं, उस स्थिति में उन्हें कई तरह की जांच भी करानी पड़ती है. इन जांचों में भी कभी-कभी हार्ट डिजीज के संकेत मिलने लगते हैं. इसलिए समय-समय पर जांच जरूरी है. इन जांच के संकेतों के आधार पर डॉक्टर उन्हें सतर्कता बरतने की सलाह देते हैं. इसलिए हार्ट के प्रति हमेशा चौकन्ना रहना जरूरी है.

Tags: Health, Health tips, Lifestyle

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