Home National क्या है कपिल सिब्बल का ‘इंसाफ’ मंच? विपक्षी नेताओं को न्योता भेज बोले- मैं मोदी को सुधार दूंगा

क्या है कपिल सिब्बल का ‘इंसाफ’ मंच? विपक्षी नेताओं को न्योता भेज बोले- मैं मोदी को सुधार दूंगा

0


कांग्रेस छोड़ने के नौ महीने बाद, राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने शनिवार को एक “गैर-चुनावी” राजनीतिक मंच शुरू किया। उन्होंने अपने इस नए मंच को “न्याय के लिए एक जन आंदोलन” बताया। साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री ने सभी विपक्षी मुख्यमंत्रियों और नेताओं का समर्थन मांगा है। एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, सिब्बल ने कहा कि विपक्षी नेताओं और दलों को देश में अन्याय के खिलाफ संयुक्त रूप से लड़ने के लिए साथ लाने की कोशिश की जाएगी। उन्होंने कहा कि उनका मकसद राजनीतिक नहीं, बल्कि संवैधानिक मूल्यों के लिए लड़ना है। खुद वकील सिब्बल ने कहा कि वकील आंदोलन में सबसे आगे होंगे।

मोदी जी की आलोचना करने नहीं बैठा- सिब्बल 

सिब्बल ने कहा कि वह 11 मार्च को जंतर-मंतर पर इस पहल के संबंध में एक बैठक करेंगे और भारत के लिए एक नयी दृष्टि पेश करेंगे। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए विपक्षी नेताओं और आम लोगों समेत सभी को खुला निमंत्रण है। उन्होंने अपने आवास पर संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हम भारत के लिए एक नई दृष्टि देंगे, जो एक सकारात्मक एजेंडा होगा। मैं (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी जी की आलोचना करने नहीं बैठा हूं, मैं उनको सुधार दूंगा।’’

नरेंद्र मोदी सरकार पर विपक्ष को खत्म करने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए, सिब्बल ने कहा कि ईडी 2014 से 121 राजनेताओं के पीछे पड़ी है, जिनमें से 115 विपक्ष के हैं। उन्होंने कहा कि न केवल भारत के लोग रोजमर्रा के जीवन में अन्याय का सामना कर रहे हैं, बल्कि राजनीतिक दल, संस्थाएं, मीडिया, छोटे और मध्यम व्यवसाय भी हैं।

सिब्बल ने दावा किया कि भारत में हर जगह अन्याय फैला है। उन्होंने दावा किया कि नागरिकों, संस्थाओं, पत्रकारों, शिक्षकों और मझोले एवं छोटे कारोबारियों के साथ अन्याय किया जा रहा है। पूर्व कांग्रेस नेता सिब्बल ने कहा, ‘‘वह अन्याय के खिलाफ लड़ाई में लोगों की मदद करने के लिए ‘इंसाफ’ मंच और ‘इंसाफ के सिपाही’ नामक वेबसाइट शुरू कर रहे है और इस पहल में वकील अग्रणी भूमिका निभाएंगे।

विपक्षी दलों के सभी मुख्यमंत्रियों से मांगा सहयोग

उन्होंने कहा, ‘‘काफी चर्चा के बाद मैंने यह फैसला किया है कि लोगों को जागरूक करने की जरूरत है और हमारे ‘इंसाफ के सिपाही’ बनने की अपील की है तथा जहां कहीं भी अन्याय हो रहा है, उन्हें इससे लड़ना चाहिए। मैं चाहता हूं कि विपक्षी दलों के सभी मुख्यमंत्री और नेता इस पहल में मेरा सहयोग करें। हम दासता से खुद को मुक्त करने के लिए एक राष्ट्रीय आंदोलन शुरू करेंगे।’’

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विपक्षी नेताओं और दलों को देश में अन्याय के खिलाफ संयुक्त रूप से लड़ने के लिए साथ लाने की कोशिश की जाएगी। उन्होंने कहा कि उनका मकसद राजनीतिक नहीं, बल्कि संवैधानिक मूल्यों के लिए लड़ना है। विपक्ष की एक महत्वपूर्ण आवाज माने जाने वाले राज्यसभा के निर्दलीय सदस्य सिब्बल ने विपक्षी दलों को एक साथ लाने की यह कोशिश ऐसे समय में की है, जब विपक्षी एकजुटता में दरार पड़ती नजर आ रही है। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) बार-बार एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं।

कांग्रेस भी इस पहल में शामिल हो- सिब्बल

सिब्बल ने कहा, ‘‘आपके (मीडिया के) जरिये मैं हर किसी से इसका हिस्सा बनने का अनुरोध कर रहा हूं, तभी हम इसे आगे ले जा सकेंगे।’’ उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि वह चाहते हैं कि कांग्रेस भी इस पहल में शामिल हो। उन्होंने कहा कि इस पहल का लक्ष्य एक जनआंदोलन खड़ा करना है और वह कोई राजनीतिक दल नहीं गठित करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आम आदमी और वकील, इस पहल के जरिये साथ मिल कर अन्याय के खिलाफ लड़ेंगे। सिब्बल ने कहा, ‘‘यह राष्ट्रीय स्तर का एक मंच होगा, जिसमें वकील सबसे आगे होंगे। आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) की शाखाएं भी हर इलाके में अपनी विचारधारा का प्रसार कर रही हैं, जो कुछ मामलों में अन्याय को भी बढ़ावा देती है। हम उस अन्याय से भी लड़ेंगे।’’

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार पर भी करारा प्रहार करते हुए आरोप लगाया कि वह प्रवर्तन निदेशालय के जरिये राजनीतिक विरोधियों को खत्म करने के लिए काम कर रही है। उन्होंने दावा किया कि देश में करीब 100 लोगों के पास 54 लाख करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है। उन्होंने सवाल किया कि क्या यह आर्थिक न्याय है। उन्होंने दावा किया, ‘‘2018 में 19 करोड़ लोग गरीब थे और 2022 में यह आंकड़ा बढ़ कर 35 करोड़ पहुंच गया।’’

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, ‘‘सरकार का ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) से विशेष लगाव है। आप इसे किसी के भी पीछे लगा दीजिए और उस व्यक्ति को प्रताड़ित करिये। सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) को अब भी राज्य सरकार की सहमति की जरूरत होती है, लेकिन ईडी को नहीं।’’ उन्होंने दावा किया कि ईडी ने हाल के समय में 121 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की, जिनमें से 115 विपक्षी दलों से हैं।

 



Source link