लंबे समय तक कोरोना से संक्रमित (लॉन्ग कोविड) रहने वाले लोगों के शरीर की सेल्स (कोशिकाएं) आखिर क्यों डैमेज हो जाती हैं? लॉन्ग कोविड में शरीर के किन अंग पर असर पड़ता है? स्विस शोधकर्ताओं की एक टीम ने पहचाना है कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) का एक हिस्सा, लंबे समय तक रहने वाले कोविड (लॉन्ग कोविड) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
सार्स-सीओवी-2 वायरस (कोरोना वायरस) से संक्रमित अधिकांश लोग गंभीर बीमारी के बाद ठीक हो जाते हैं. हालांकि, संक्रमित लोगों में कुछ को लंबे समय तक चलने वाले लक्षण विकसित होते रहते हैं. लॉन्ग कोविड की ठोस वजह अथवा इसका कोई उपचार अभी उपलब्ध नहीं हैं.
क्या है लॉन्ग कोविड?
कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद कुछ लोग कुछ दिनों या हफ्तों में ठीक हो जाते हैं. पर कुछ ऐसे भी मरीज होते होते हैं जिनके लक्षण महीनों तक ठीक नहीं होते हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक कुछ मरीजों में दवा लेने के बाद कोरोना के लक्षण दिखने बंद हो जाते हैं, लेकिन फिर कुछ दिनों बाद लक्षण लौट आते हैं. एक्सपर्ट्स कहते है कि माइल्ड या बहुत गंभीर संक्रमण, लॉन्ग कोविड की वजह बन सकता है.
क्या है लॉन्ग कोविड के लक्षण?
लॉन्ग कोविड में शरीर में अक्सर दर्द रहता है. आंख भारी-भारी रहती है और दर्द रहता है. इसके अलावा स्वाद और सूंघने की क्षमता भी चली जाती है. हाथ-पैर में दर्द रहने लगता है. बाल झड़ने लगते हैं. मसल पेन भी होने लगता है. इसके अलावा किडनी, स्किन और लंग्स पर भी इसका असर दिखता है.
सेल्स क्यों होती हैं डैमेज?
स्विट्जरलैंड में ज्यूरिख विश्वविद्यालय (यूजेडएच) के अध्ययन ने इस बारे में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के एक हिस्से की भूमिका को इंगित किया जो आम तौर पर संक्रमण से लड़ने और क्षतिग्रस्त और संक्रमित शरीर कोशिकाओं को खत्म करने में मदद करता है. यूजेडएच में इम्यूनोलॉजी के प्रोफेसर ओनूर बॉयमैन ने कहा, “लंबे समय तक कोविड वाले रोगियों में, प्रतिरक्षा प्रणाली का एक हिस्सा जिसे पूरक प्रणाली कहते हैं, अपनी मूल स्थिति में वापस नहीं आती, बल्कि सक्रिय रहती है और इस प्रकार, स्वस्थ शरीर की कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंचाती है.”
113 रोगियों पर अध्ययन
जर्नल साइंस में प्रकाशित अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने सार्स-सीओवी-2 संक्रमण के बाद एक वर्ष तक 113 कोविड रोगियों का अध्ययन किया और उनकी तुलना 39 स्वस्थ लोगों से की. छह महीने के बाद, 40 रोगियों में सक्रिय लांग कोविड बीमारी थी. अध्ययन प्रतिभागियों के रक्त में 6,500 से अधिक प्रोटीन का तीव्र संक्रमण के दौरान और छह महीने बाद विश्लेषण किया गया.
बॉयमैन की टीम में शामिल पोस्टडॉक्टरल शोधकर्ता कार्लो सर्विया-हस्लर ने समझाया, “लॉन्ग कोविड में किन प्रोटीनों में बदलाव किया गया, इसके विश्लेषण से पूरक प्रणाली की अत्यधिक गतिविधि की पुष्टि हुई. सक्रिय लॉन्ग कोविड वाले रोगियों में भी रक्त का स्तर ऊंचा था, जो लाल रक्त कोशिकाओं, प्लेटलेट्स और रक्त वाहिकाओं सहित शरीर की विभिन्न कोशिकाओं को नुकसान का संकेत देता है.”
रक्त के थक्के जमना संकेत!
एक्टिव लॉन्ग कोविड में ब्लड प्रोटीन में परिवर्तन पूरक प्रणाली के प्रोटीन के बीच संबंध का संकेत देते हैं, जो रक्त के थक्के जमने और टीशू क्षति और सूजन की मरम्मत में शामिल होते हैं. इसके विपरीत, लंबे समय तक बीमारी से उबरने वाले कोविड रोगियों का रक्त स्तर छह महीने के भीतर सामान्य हो गयाय इसलिए सक्रिय लॉन्ग कोविड की पहचान रक्त में प्रोटीन पैटर्न से होती है.
बॉयमैन ने कहा, हमारा काम न केवल बेहतर निदान की नींव रखता है, बल्कि नैदानिक अनुसंधान का भी समर्थन करता है जिनका उपयोग पूरक प्रणाली को विनियमित करने के लिए किया जा सकता है. यह लंबे समय तक कोविड वाले रोगियों के लिए अधिक लक्षित उपचारों के विकास के लिए नए रास्ते खोलता है.
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Tags: Coronavirus, Coronavirus Case, COVID 19
FIRST PUBLISHED : January 21, 2024, 13:20 IST