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हाइलाइट्स
सीरम क्रिएटिनिन अंदरुनी टूट-फूट से बने अपशिष्ट पदार्थों से बनता है. यह महिलाओं में 1.2 और पुरुषों में 1.4 से कम होना चाहिए.
केएफटी से यह पता चलता है कि पेशाब के रास्ते प्रोटीन तो नहीं निकल रहा.
Kidney Function Test Chart: अगर किडनी की सेहत सही नहीं हो तो शरीर में टॉक्सिक पदार्थों का जमावड़ा शुरू हो सकता है. इससे कई बीमारियां हो सकती है. इसलिए किसी भी तरह के लक्षण दिखने पर तुरंत किडनी फंक्शन टेस्ट (KFT)कराने के लिए कहा जाता है. शुरुआत में किडनी खराब होने के लक्षण बाहर से नहीं दिखते हैं लेकिन डायबिटीज से पीड़ित व्यक्तियों में किडनी खराब होने की आशंका ज्यादा रहती है. वहीं जिन लोगों को बाहरी लक्षण दिखते हैं, उन्हें किडनी फंक्शन टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है. किडनी फंक्शन टेस्ट से यह पता चलता है कि किडनी सही से विषाक्त पदार्थों को छान पाती है या नहीं. इससे यह भी पता चलता है कि पेशाब के रास्ते शरीर का जरूरी पोषक तत्व तो नहीं बाहर आ पाता. एक समझदार व्यक्ति के लिए यह जानना जरूरी है कि किडनी फंक्शन टेस्ट क्या है और इसमें किस चीज की कितनी मात्रा सामान्य है.
आमतौर पर किडनी फंक्शन टेस्ट के लिए पेशाब और खून का सैंपल लिया जाता है. हालांकि किडनी डैमेज होने का सबसे बड़ा कारण डायबिटीज है लेकिन अन्य कारणों से भी किडनी डैमेज हो सकता है. क्रोनिक किडनी डिजीज होने पर बहुत बाद में लक्षण दिखते हैं, इसलिए 30 साल की उम्र के बाद साल में एक बार किडनी फंक्शन टेस्ट जरूर करना चाहिए.
किडनी फंक्शन टेस्ट में क्या-क्या
यूरिन टेस्ट-अमेरिकी सेंटर फॉर कंट्रोल एंड प्रिवेंशन वेबसाइट के मुताबिक किडनी की सेहत की जांच के लिए पेशाब की जांच जरूरी है. इसे डिप्सटिक यूरिन टेस्ट कहते हैं. इसमें पूरे पेशाब का विश्लेषण किया जाता है. इससे यह पता चलता है कि पेशाब के रास्ते प्रोटीन तो नहीं निकल रहा. इससे एल्ब्यूमिन प्रोटीन का पता लगाया जाता है. इसी से एसीआर की गणना की जाती है. एसीआर का नॉर्मल रेंज 30 से कम होना चाहिए. यूरिन से ही क्रिएटिनिन क्लीयरेंस टेस्ट किया जाता है. इससे पता चलता है कि किडनी कितने विषाक्त पदार्थों को छान सकती है. इसके साथ ही पेशाब में ब्लड, पस, बैक्टीरिया, शुगर आदि का पता लगाया जाता है.
ब्लड टेस्ट-ब्लड का सैंपल लेकर कई तरह के टेस्ट किए जाते हैं. इसमें पहला टेस्ट है सीरम क्रिएटिनिन. सीरम क्रिएटिनिन अंदरुनी टूट-फूट से बने अपशिष्ट पदार्थों से बनता है. यह महिलाओं में 1.2 और पुरुषों में 1.4 से कम होना चाहिए. यूरिन में मौजूद एल्ब्यूमिन की मात्रा को यूरिन में मौजूद क्रिएटिनिन की मात्रा से विभाजित करके एसीआर मान की गणना की जाती है. इसके साथ ही ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट निकाला जाता है. इसे GFR कहते हैं. यह 90 से उपर होना चाहिए. इससे पता चलता है कि किडनी का फंक्शन कितना सही है. ब्लड सैंपल से सोडियम, पोटैशियम, क्लोराइड, फॉस्फोरस, कैल्शियम, ग्लूकोज, ब्लड यूरिया नाइट्रोजन, क्रिएटिनिन आदि की जांच की जाती है.
- किडनी फंक्शन टेस्ट चार्ट
- टेस्ट ——————————–नॉर्मल रेंज
- सोडियम—————————— 135-145 mEq/L
- पोटैशियम—————————– 3.0-5.0 mEq/L
- क्लोराइड —————————– 90-107 mEq/L
- बायकार्बोनेट—————————20-29 mEq/L
- फॉस्फोरस—————————–2.5-4.5 mg/dL
- कैल्शियम——————————8.5-10.2 mg/dL
- ग्लूकोज——————————–70.100 mg/dL फास्टिंग में
- ब्लड यूरिया नाइट्रोजन—————7-20 mg/dL
- किएटीनाइन————————- 06-1.2 mg/dL
- एलब्यूमिन—————————-3.4-5.0 mg/dL
- ईजीएफआर————————-60 से ज्यादा
- ब्लड यूरिया नाइट्रोजन————–6.22
- क्रिटिनाइन रेशियो
इसके बाद कौन सी जांच
अगर किडनी में गंभीर समस्या आ गई है तो सीटी स्कैन कराया जाता है. इसके साथ ही अल्ट्रासाउंड भी कराया जाता है. इससे किडनी की पूरी तस्वीर डॉक्टरों के सामने होती है और उससे आगे का इलाज करने में आसानी होता है.
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Tags: Health, Health tips, Lifestyle
FIRST PUBLISHED : February 27, 2023, 16:33 IST
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