हाइलाइट्स
थर्मल स्कैनर ऐसा डिवाइस जो शरीर के तापमान को दर्ज कर थर्मल इमेज तैयार करता है
शरीर का तापमान सामान्य से अधिक होने पर ये स्कैनर बीप के जरिये सिग्नल देने लगते हैं
थर्मल स्कैनर स्वस्थ और संक्रमित व्यक्ति के बीच स्पष्ट अंतर बताता है
चीन में कोरोना फिर महामारी का रूप ले चुका है. वहां लाखों लोग इससे संक्रमित होकर अस्पतालों में भर्ती हैं. जिस तरह से चीन में कोरोना का प्रकोप लगातार फैल रहा है, उसके मद्देनजर भारत में भी अलर्टनेस शुरू हो चुकी है. देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि कोविड वायरस की जांच के लिए एयरपोर्ट पर थर्मल स्कैनर फिर काम करना शुरू कर देंगे. जानते हैं कि क्या हैं थर्मल स्कैनर. ये किस तरह काम करते हैं.
गौरतलब है कि जब वर्ष 2020 और 2021 में देश में कोरोना का प्रकोप फैला था तो सरकार ने देश के हवाईअड्डों पर विदेश से आने वाले लोगों में कोरोना वायरस की जांच के लिए थर्मल स्कैनर लगाए थे. ये स्कैनर दिल्ली, मुंबई समेत सभी बड़े और व्यस्त हवाईअड्डों पर लगे हैं. अब ये फिर काम शुरू कर देंगे. इससे विदेश से आने लोगों में कोरोना की जांच में सुविधा मिलने लगेगी. जानते हैं हवाईअड्डों पर लगाए गए थर्मल स्कैनर कितने कारगर हैं.
शरीर के तापमान को दर्ज कर बनाता है थर्मल इमेज
हवाईअड्डों पर थर्मल स्कैनर लगाए जाने की खबरें सुनने के बाद सबसे पहले दिमाग में आता है कि ये काम कैसे करता है. एक स्कैनर कोरोना वायरस की पड़ताल कैसे करता है. दरअसल, थर्मल स्कैनर एक ऐसा डिवाइस है जो शरीर के तापमान को दर्ज कर एक थर्मल इमेज तैयार करता है.
स्कैनर की स्क्रीन पर बनने वाली इमेज में मौजूद अलग-अलग रंग शरीर और आसपास की चीजों के तापमान को दर्ज कर लेती हैं. कुछ स्कैनर में शरीर का तापमान लिखकर आता है. एयरपोर्ट पर लगाए गए स्कैनरों में दोनों तरह की व्यवस्था होती है. इतना ही नहीं किसी व्यक्ति के शरीर का तापमान सामान्य से अधिक होने पर यह स्कैनर बीप के जरिये सिग्नल भी देते हैं.
दुनिया का पहला थर्मल स्कैनर साल 1800 में सर विलियम हर्शेल ने बनाया था. अब तो दुनिया के ज्यादातर एयरपोर्ट्स पर अब आधुनिक थर्मल स्कैनर लगा दिए गए हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन भी इसे मान्यता देता है.
विलियम हर्शेल ने ईजाद की थी थर्मल स्कैनर तकनीक
थर्मल स्कैनर के बीप करने पर स्क्रीन्ड व्यक्ति को दूसरे यात्रियों से अलग कर जांच शुरू कर दी जाती है. इसके लिए उसका ब्लड सैंपल भी लिया जाता है.
वैज्ञानिकों के मुताबिक, थर्मल स्कैनर स्वस्थ और संक्रमित व्यक्ति के बीच स्पष्ट अंतर बताता है. इससे निकलने वाली तरंगों का मानव शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है.
दुनिया के कई देशों के एयरपोर्ट पर लगाए गए थर्मल स्कैनर की तकनीक साल 1800 में सर विलियम हर्शेल ने ईजाद की थी. इसमें थर्मल मेजरमेंट के लिए इंफ्रारेड रेज का इस्तेमाल किया गया था. साल 1883 में मैलोनी ने इसमें बदलाव किया. उन्होंने ऐसा डिवाइस बनाया, जिससे 10 मीटर दूर से भी किसी व्यक्ति के शरीर का तापमान पता लगाया जा सके.
अबॉट ने बनाया 400 मीटर दूर से तापमान मापने वाला डिवाइस
अमेरिका के एस्ट्रोफिजिसिस्ट चार्ल्स ग्रीले अबॉट और लेंग्ले ने 1901 में ऐसा डिवाइस बनाया, जो 400 मीटर दूरी से शरीर के तापमान को माप लेता था. हंगरी के भौतिक विज्ञानी कॉलमैन तिहांयी ने 1929 में हवाई हमले से सुरक्षा के लिए इंफ्रारेड सेंसटिव नाइट विजन इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन कैमरे का अविष्कार किया.
अमेरिका में 1947 में पहला थर्मोग्राफिक कैमरा तैयार किया गया. इस तरह के कैमरे ठंडे और गरम खून में फर्क कर एक इमेज तैयार करते हैं. पहली बार 1965 में किसी थर्मल इमेजिंग कैमरे की बिक्री शुरू हुई. इसे हाईवोल्टेज पावर लाइन की जांच के लिए खरीदा गया था.

थर्मल स्कैनर्स की मदद से भारत में अब तक करीब 38,000 लोगों की सफलतापूर्वक जांच की जा चुकी है.
भारत में एयरपोर्ट पर स्कैनर से हजारों की जांच की जा चुकी है
स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिल्ली, मुंबई, कोच्चि, जयपुर, अहमदाबाद और कोलकाता समेत देश के 20 हवाईअड्डों पर आधुनिक स्कैनर लगाए हैं. इन थर्मल स्कैनर्स की मदद से पिछले दो सालों में बड़े पैमाने पर विदेश से आए लोगों की जांच की जा चुकी है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Airport, Corona, Corona Alert, Covid, Covid 19 Alert
FIRST PUBLISHED : December 23, 2022, 14:21 IST