Monday, July 8, 2024
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क्या होती है जेलों में अंडा सेल, जिसमें प्रोफेसर जीएन साईबाबा को रखा गया, जहां जीने की आस छोड़ देता है कोई भी शख्स


हाइलाइट्स

डीयू के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा को दस साल तक जेल की ‘अंडा कोठरी’ में रखा गया.
रिहा होने पर उन्होंने कहा, “इस बात की पूरी आशंका थी कि मैं जीवित बाहर नहीं आ पाता.”
इन कोठरियों में बिजली नहीं होती है, कैदियों को अंधेरे में ही रखा जाता है.

दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर गोकरकोंडा नागा साईबाबा को मई 2014 में गिरफ्तार किया गया था और 2017 में उन्हें आतंक फैलाने के मामले में दोषी ठहराया गया. लगभग एक दशक बाद वह सात मार्च को नागपुर जेल से बाहर आए. उन्हें जेल की ‘अंडा कोठरी’ में रखा गया था. जीएन साईबाबा की पत्नी एएस वसंता कुमारी को नवंबर 2023 में उनसे जेल में आखिरी मुलाकात याद है. वसंता कुमारी का कहना था कि जेल में अंडा सेल में रहने के दौरान साईबाबा जैसे एक विद्वान व्यक्ति के पास शब्द खत्म हो गए थे.

जेल से बाहर आने के बाद जीएन साईबाबा ने बस इतना कहा, “इस बात की पूरी आशंका थी कि मैं जीवित बाहर नहीं आ पाता.” अंडा सेल में रखे जाने वाले कैदी मानवीय संपर्क से वंचित रहते हैं इसलिए उनमें मानसिक परेशानियां, समाज से दूरी बनाने की प्रवृत्ति, आत्महत्या करने के खयाल और असंयमित गुस्से जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं.

क्या होती है अंडा सेल
किसी भी जेल का सबसे सुरक्षित हिस्सा अंडा सेल होती है. इस सेल का आकार अंडे की तरह होता है इसलिए इसे अंडा सेल नाम दिया गया है. इन सेल में आमतौर पर जेल में गंभीर अपराध में बंद खूंखार कैदियों को रखा जाता है. इन कोठरियों में बिजली नहीं होती है, कैदियों को अंधेरे में ही रखा जाता है. सुविधाओं के नाम पर कैदियों को सोने के लिए केवल एक बिस्तर दिया जाता है. कोठरी के बाहर इलेक्ट्रिक फेंसिंग होती है, अंदर और बाहर सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं. इन कोठरियों को पूरी तरह से बॉम्बप्रूफ बनाया जाता है. मुंबई की सबसे बड़ी आर्थर रोड जेल में इस तरह की नौ सेल हैं.

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क्यों पड़ी इसकी जरूरत
आधुनिक समाज में धीरे-धीरे फांसी की जगह जेलों में अनुशासनात्मक शक्ति ने ले ली है. विशेषज्ञों का मानना है कि जेलों में किसी व्यक्ति को निशाना बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है. एकांत कारावास की यातनापूर्ण प्रथा आधुनिक जेलों की एक प्रमुख विशेषता बनी हुई है. भारतीय जेलों में भी अंडा सेल एकांत कारावास का ही एक रूप है. कई लोग इसे क्रूर, अमानवीय, अपमानजनक और यातना के रूप में परिभाषित करते हैं. जीएन साईबाबा की तरह भीमा कोरेगांव मामले में फंसे प्रख्यात पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को तलोजा जेल की अंडा सेल में रखा गया था.

सेल में नहीं होती खिड़कियां
भारतीय संदर्भ में अंडा सेल का सबसे ज्वलंत वर्णन अरुण फरेरा के 2014 के जेल संस्मरण कलर्स ऑफ द केज में किया गया है. उसके मुताबिक अंडा सेल एक ऊंची अंडाकार परिधि की दीवार के अंदर बिना खिड़कियों वाली सेल का एक समूह है जो जेल की उच्च सुरक्षा सीमा के भीतर एक अधिकतम सुरक्षा क्षेत्र है. आप बाहर कुछ भी नहीं देख सकते, न हरियाली, न आकाश. सभी सेल के बीच में एक वॉचटॉवर है. अंडे से बाहर निकलना असंभव है. इसे कैदियों को परेशान करने के लिए डिजाइन किया गया है. 

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नवलखा लिखते हैं, जैसा उनके साथी साहबा हुसैन द्वारा प्रसारित एक बयान में बताया गया है, “अंडा सेल में कारावास का मतलब ताजा हवा से इनकार करना है, क्योंकि सर्कल के अंदर एक भी पेड़ या पौधा नहीं है. और हमें अंडा सेल से बाहर कदम रखने की मनाही है… दूसरे शब्दों में हम 24 में से 16 घंटे अपनी कोठरी के अंदर बिताते हैं और जो आठ घंटे हम बाहर निकलते हैं, हम चारों ओर ऊंची दीवारों से घिरे सीमेंट के फर्श पर दैनिक सैर के लिए एक गलियारे तक सीमित रहते हैं.”  

क्या कहता है जेल मैनुअल?
यह स्पष्ट नहीं है कि अंडा सेल जेल मैनुअल द्वारा अधिकृत है या नहीं. फिर भी अंडा सेल भारतीय जेलों का एक महत्वपूर्ण  हिस्सा बनी हुई है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने एकांत कारावास को ‘कैदियों को बाकी कैदियों से पूरी तरह से अलग और अकेले रखना, तथा जेल के अंदर की बाहरी दुनिया से अलग रखना’ कहकर परिभाषित किया है. सुप्रीम कोर्ट का यह बयान इस बात को भी बताता है कि यह सजा चाहे जिसे मिले, लेकिन वह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए विनाशकारी होती है. एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लिखा था, “यदि कैदी मानसिक यातना या शारीरिक प्रताड़ना के कारण टूट जाता है तो इसके लिए जेल प्रशासन जिम्मेदार होगा.” हालांकि फिर भी यह सवाल बना रहेगा कि अंडा सेल और बुनियादी अधिकारों की कमी को कब तक वैध कारावास की सीमा के भीतर माना जा सकता है?

इस बारे में क्या है धारा 73
आईपीसी की धारा 73 कहती है कि किसी भी व्यक्ति को अगर उसकी सजा छह माह से कम हो तो उसे एकांत में 30 दिन से ज्यादा नहीं रखा जा सकता है. अगर सजा एक साल से कम है तो यह अवधि 60 दिन हो सकती है. यह नियम कैदी के अपराध पर निर्भर नहीं करते, बल्कि यह सब पर समान रूप से लागू होते हैं. वहीं, धारा 74 कहती है कि एकांत में कैद करके रखने का समय एक बार में 14 दिन से अधिक नहीं हो सकता. संयुक्त राष्ट्र के नेल्सन मंडेला नियमों के अनुसार 15 दिन से ज्यादा का एकांत कारावास एक प्रकार की यातना ही है.

Tags: Central Jail, Delhi University, Jail, Supreme Court



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