Wednesday, April 23, 2025
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क्या IIT से BTech देता है मोटे सैलरी पैकेज वाली जॉब की गारंटी, जानें क्या है सच


IIT Campus Placement , IIT degree : राशिद अली फरीदी ने साल 2016 में आईआईटी गुवाहाटी से केमिकल इंजीनियर में बीटेक किया। भारत के दिग्गज इंजीनियरिंग संस्थानों में से एक आईआईटी में दाखिला पाने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की थी। आईआईटी से ग्रेजुएशन के बाद मोटे सैलरी पैकेज की उम्मीद दी और आंखों में कई सपने थे। सोचा था राह अब आसान हो जाएगी। उन्हें लग रहा था कि पढ़ाई के लिए 3.9 लाख रुपये का जो उन्होंने एजुकेशन लोन लिया है, उसे चुकाने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं आएगी क्योंकि उन्हें अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी मिलने का पूरा भरोसा था। लेकिन असल में हुआ कुछ और। फरीदी ने बताया कि उन्हें 6 लाख का सैलरी पैकेज ऑफर किया गया। सिर पर लोन का बोझ था। ऐसे में उन्होंने कोलकाता के एक कोचिंग संस्थान में पढ़ाने की जॉब का विकल्प चुना। उन्हें यहां 10-11 लाख रुपये की जॉब की पेशकश की गई थी। वह बच्चों को आईआईटी एंट्रेंस टेस्ट के लिए तैयारी करवाने लगे।

आईआईटी हैदराबाद से स्नातक हिमांशु खंडेलवाल, जिन्होंने संस्थान में अपनी पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति हासिल की थी, को वेदांता से 8 लाख रुपये का ऑफर मिला। उन्होंने 2022 तक इसकी एक सहायक कंपनी में काम किया। जयपुर के रहने वाले 27 वर्षीय मैकेनिकल इंजीनियर अब एक जापानी कंपनी के सलाहकार के रूप में काम करते हैं।

फरीदी और खंडेलवाल की कहानी कई आईआईटी छात्रों के सामने आने वाली चुनौतियों पर रोशनी डालती है। एक तरफ जहां कई इनवेस्टमेंट बैंक, एचएफटी कंपनियां और क्वांट फर्म कई आईआईटी में स्टूडेंट्स को करोड़ से ज्यादा पैकेज दे रही हैं (जैसा कि इंस्टीट्यूट्स के अचीवमेंट लेटर में जानकारी दी गई होती है), वहीं अच्छे आईआईटी इंस्टीट्यूट्स के बहुत से स्टूडेंट्स को 10 लाख से भी कम में संतोष करना पड़ता है। हाल में ट्रेडिंग कंपनी जेन स्ट्रीट कैपिटल ने आईआईटी कानपुर के एक छात्र को 4 करोड़ से ज्यादा का पैकेज दिया था। 

सॉफ्टवेयर इंजीनियरों का बोलबाला

हर साल 1 दिसंबर से शुरू होने वाले आईआईटी प्लेसमेंट सीजन के दौरान कंप्यूटर साइंस बैच के छात्रों को कई नियोक्ताओं की ओर से अच्छे ऑफर दिए जाते हैं। इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल के स्टूडेंट्स आते हैं। सिविल इंजीनियरिंग की इतनी डिमांड नहीं रहती। एक नए आईआईटी संस्थान के प्लेसमेंट अधिकारी के मुताबिक, ‘केमिकल इंजीनियरिंग की भी कोई खास मांग नहीं है। फरीदी इस बात की पुष्टि करते हुए कहते हैं कि उनके समय में केमिकल इंजीनियर की सबसे अधिक मांग नहीं थी। कोडर और कंप्यूटर विज्ञान के छात्रों को सर्वाधिक वेतन मिल रहा था।

कोविड या मंदी के दौरान प्लेसमेंट वाले बैच की झल्लाहट और बढ़ जाती है। कंपनियां इस दौरान अपने मौजूदा कर्मचारियों को बनाए रखने के लिए संघर्ष करती हैं। 

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स्किल की कमी की ओर इशारा

विशेषज्ञों और आईआईटी के पूर्व छात्रों का कहना है कि सैलरी में  इतना बड़ा अंतर मार्केट और स्किल की डिमांड को दिखाता है। वेतन आपकी स्किल पर होता है। कोर कंपनियां अकसर उम्मीदवार को 7-10 लाख रुपये में लेती हैं। आईआईटी कानपुर के केमिकल इंजीनियरिंग के एक छात्र ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि ऐसे कई छात्र हैं जिनमें सॉफ्ट स्किल्स की कमी है। वे आईआईटी से ही कोर्स करते हैं। अधिक वेबिनार और कार्यशालाओं की आवश्यकता है। स्टूडेंट्स को इंडस्ट्री के मुताबिक प्रोजेक्ट देने की जरूरत है। 

पुरानी आईआईटी का जलवा

आईआईटी आईआईटी में भी अंतर है। छात्र जिस आईआईटी संस्थान से स्नातक होते हैं, वह भी एक मुख्य वजह है। भारत में 23 IIT हैं, जिनमें नई आईआईटी पलक्कड़ (केरल), आईआईटी धारवाड़ (कर्नाटक), आईआईटी जम्मू और आईआईटी गोवा हैं। Aon आंकड़ों के अनुसार, 2022 के आईआईटी बैच का औसत वेतन 14 लाख रुपये था, जो 2021 से 7.8 फीसदी अधिक है। 

आईआईटी कानपुर के प्लेसमेंट टीम के सदस्य ने कहा, ‘नए आईआईटी संस्थानों को कंपनियों को 

आकर्षित करने में कठिनाई हो रही है, विशेष रूप से वैश्विक मंदी के डर के बीच। कंपनी आईआईटी मद्रास, कानपुर, खड़गपुर, बॉम्बे, दिल्ली से जा सकती है। वह पास की IIT की यात्रा भी कर सकते हैं। लेकिन जो दूर हैं वे छूट जाते हैं। 

अन्य प्रमुख इंजीनियरिंग कॉलेजों, जैसे कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) में भी हाई सैलरी देने वाली कंपनियां आती हैं, हालांकि वे शीर्ष आईआईटी पैकेजों की तरह उच्च नहीं हो सकते हैं।

इंस्टीट्यूट क्या कहते हैं 

एक पुराने आईआईटी संस्थान के वरिष्ठ प्लेसमेंट अधिकारी ने कहा, ‘हम कभी नहीं छापते कि हमें 100 फीसदी प्लेसमेंट मिला है। यह हमारा काम नहीं है। 90 से अधिक कोर्स हैं। सभी को समान फोकस नहीं मिलता है। कुछ कंपनियां 7 लाख रुपये की पेशकश करती हैं। उन्होंने कहा कि आईआईटी संस्थान स्टूडेंट्स के लिए कई तरह के केस स्टडी वर्कशॉप, कम्युनिकेशन, रिज्यूमे मेकिंग वर्कशॉप आयोजित करते हैं। पूर्व छात्रों से मुलाकात भी करवाते हैं। हालांकि फरीदी इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हैं कि इन सबसे कुछ फायदा होता।

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उन्होंने कहा, ‘बेटर जॉब के लिए मैं कोडिंग क्लास ले सकता था। लेकिन प्लेसमेंट सेल की ओर से ली जाने वाली क्लासेज मुझे अच्छी जॉब नहीं दिला सकती थी। कोडर्स तलाश रहीं कंपनियां प्रोजेक्ट व इंटर्नशिप प्रोफाइल देखती हैं। शॉर्ट टर्म कोर्स इसमें मदद नहीं कर सकता। 

इंजीनियर बनने का ख्वाब पाले स्टूडेंट्स 12वीं पास करने के बाद जेईई मेन प्रवेश परीक्षा में बैठते हैं। जेईई मेन के टॉप ढाई लाख स्टूडेंट्स जेईई एडवांस्ड दे सकते हैं। वर्ष 2022 में लगभग 155,538 छात्र जेईई एडवांस्ड के लिए उपस्थित हुए। जोसा 2022 के आंकड़ों के अनुसार कुल 16,598 सीटें थीं। केवल मुट्ठी भर लोग ही इन सीटों को हासिल करते हैं। इनमें से कई स्टूडेंट्स तो अपनी पसंद की आईआईटी व कोर्स न मिल पाने के कारण ईयर ड्रॉप करते हैं और अगले साल के लिए तैयारी शुरू कर देते हैं। आईआईटी में चार साल के कार्यक्रम के लिए 6-7 लाख रुपये की फीस लगती है। इस तरह कोचिंग और आईआईटी डिग्री में कम से कम 10 लाख रुपये खर्च करने के बाद सिर्फ छह लाख का पैकेज उसके लिए बेहद झटके वाला होता है। 



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