हाइलाइट्स
गांधार देश का राजकुमार था शकुनि और बाद में वहां का राजा बना लेकिन ज्यादातर हस्तिनापुर में ही रहता था
शकुनि ने इस बात को कभी दिल से स्वीकार नहीं किया कि उसकी प्रिय बहन की शादी धृतराष्ट्र से क्यों हुई
करीब 03 दशक पहले जब महाभारत की कहानी टीवी सोप आपेरा के रूप में दूरदर्शन पर प्रसारित हुई तो गूफी पेंटल ने जिस तरह शकुनि के चरित्र को निभाया, वो हमेशा के लिए लोगों के दिमाग में रच बस गया. गूफी पेंटल का बीमारी के बाद निधन हो गया लेकिन वास्तव में वह शकुनि के पात्र को अमर कर गये. हम असलियत में जानते हैं कि शकुनि कैसा था और क्यों वह अपनी बहन गांधारी की शादी धृतराष्ट्र से होने के बाद कुरु वंश का सर्वनाश चाहने लगता था.
दरअसल महाभारत जितनी कौरवों और पांडवों के चारों ओर घूमती है, उतनी ही शकुनि के आसपास भी. कौरवों और पांडवों के बीच जबरदस्त वैमनस्य पैदा करने और फिर इस झगड़े महाभारत जैसे युद्ध में तब्दील करने में शकुनि का ही हाथ था. जब महाभारत का युद्ध हुआ तो कुरु वंश का नाश तो नहीं हुआ लेकिन कौरवों का नाश जरूर हो गया. इस युद्ध में शकुनि खुद मारा गया. उसका बेटा उलूक भी नहीं बचा.
गांधार का राजकुमार था
शकुनि महाभारत का मुख्य पात्र है. गांधारी का भाई है. दुर्योधन का मामा है. वह अपनी सारी कुटिल चालें पासे और भांजे दुर्योधन के जरिए चलता है. वह गांधार नरेश सुबलराज का बेटा था. जब गांधारी की शादी धृतराष्ट्र से हुई तो शकुनि भी वहीं आ गया. वह दिल और दिमाग से कपटी और दुष्ट था. दुर्योधन ने शकुनि को अपना मन्त्री नियुक्त कर लिया.
चौसर पर चालें चलता हुआ शकुनि. साथ में दुर्योधन. कहा जाता है चौसर के पासों पर शकुनि का अद्भुत नियंत्रण था.
हमेशा पांडवों को परेशान करता रहा
शकुनि ने लगातार हमेशा ऐसा काम किया, जिससे पांडव परेशान होते रहें. फिर महाभारत युद्ध में शकुनि ऐसे पांडव भाई ने किया, जिसे सबसे कमजोर समझा जाता था. उसने शकुनि का वध किया. कैसे किया, ये हम आगे पढ़ेंगे.
जुआ खेलने में माहिर था
गांधार राजकुमार शकुनि जुआ खेलने में एक्सपर्ट था. जब भी छल से युधिष्ठिर को चौसर खेलने के लिए दुर्योधन ने बुलाया तब उसकी ओर पासा फेंकने का काम शकुनि ही करता था. वह ऐसा चतुर जुआरी था कि युधिष्ठिर को एक भी दांव नहीं जीतने देता था. वह ना केवल युधिष्ठिर को बुरी तरह हराता था बल्कि उकसाता रहता था कि जो चीज़ें उनके पास रह गईं, उसे भी दांव पर लगा दें.
क्यों कुरु वंश से बैरभाव रख लिया
शकुनि ने कभी दुर्योधन को ठीक सलाह नहीं दी. कहा जाता है कि गांधार नरेश ने राजनीतिक उद्देश्य के लिए धृतराष्ट्र से अपनी बेटी गांधारी की शादी की थी. लेकिन इस बेमेल विवाह को शकुनि ने कभी पसंद नहीं किया.
उसे लगा कि कुरु वंश ने ऐसा करके उसके राज्य और परिवार दोनों की बेइज्जती की है. चूंकि कुरु वंश बहुत शक्तिशाली था लिहाजा शकुनि सीधे सीधे उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकता था. फिर भीष्म अपनी ताकत से गांधारी को धृतराष्ट्र के लिए ब्याह लगाए. इसलिए उसने कसम खाई थी कि वो इसका बदला लेगा और कुरु वश का समूल नाश कर देगा. इसी वजह से वह ऐसी चालें चलता था जिससे कौरव और पांडव लड़ें और खुद को खत्म कर लें.
लगातार चालें चलता रहता था
दुर्योधन चूंकि शकुनि पर जबरदस्त विश्वास करता था लिहाजा शकुनि के लिए कैसी भी साजिश करना बहुत आसान था. शकुनि की साजिश की वजह से ही पांडवों को पहले वनवास भोगना पड़ा. फिर द्रौपदी की बेइज्जती हुई. इसके बाद ये कलह महाभारत के युद्ध में बदल गई.
कौन थी पत्नी और बेटा
महाभारत में शकुनि के परिवार का अधिक वर्णन तो नहीं मिलता, लेकिन इतना जरूर बताया गया है कि शकुनि की पत्नी का नाम आरशी था. उसके तीन बेटे थे. उनके उलूक, वृकासुर और वृप्रचिट्टी था. उलूक भी महाभारत की लड़ाई में मारा गया था. वृकासुर का वध भी इसी युद्ध में हुआ. वृप्रचिट्टी जरूर युद्ध में जीवित रहा. बाद में गांधार का राजा बना.
कैसे मरा शकुनि और उसके दो बेटे
महाभारत युद्ध के 18वें दिन शकुनि 500 घोड़े, 200 रथ, 100 हाथी और 1000 सैनिकों की पैदल सेना लेकर डटा हुआ था. उस दिन कौरवों की सेना को बहुत नुकसान हुआ. ऐसा लग रहा था कि अब कौरवों की हार तय थी. जब शकुनि और उसका पुत्र उलूक सहदेव की ओर दौड़े तो सहदेव के भाले से उलूक का सिर खंडित हो गया वह मारा गया.
इसके बाद शकुनि और तेजी से युद्ध करने लगा. उसे बेटे की मृत्यु का आघात भी लगा था. उसने सहदेव पर भीषष शक्ति अस्त्र का प्रहार किया. सहदेव ने बाण द्वारा उस शक्ति को निष्क्रिय करने के बाद भाले के आघात से शकुनि के मस्तक को धड़ से अलग कर दिया.
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Tags: Mahabharat, Mahabharata
FIRST PUBLISHED : June 05, 2023, 13:37 IST