
[ad_1]
Last Updated:
What Is Santhara : संथारा एक गहरी सोच और विश्वास से जुड़ी परंपरा है. यह सिर्फ एक धार्मिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि आत्मा की शांति और जीवन के अंतिम पड़ाव को सम्मान से पूरा करने का तरीका है. इंदौर की बच्ची का मामला द…और पढ़ें

क्या है संथारा?
हाइलाइट्स
- इंदौर की 3 साल की बच्ची ने संथारा लिया.
- संथारा जैन धर्म की एक विशेष परंपरा है.
- संथारा आत्महत्या नहीं, शांति और संयम से किया जाता है.
What Is Santhara : इंदौर से आई एक खबर ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है. यहां सिर्फ 3 साल की एक बच्ची ने संथारा लिया और कुछ ही मिनटों में अपने प्राण त्याग दिए. बच्ची ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित थी और इस मुश्किल हालात में जैन धर्म की परंपरा को अपनाते हुए उसने संथारा लिया. यह घटना जितनी भावुक करने वाली है, उतनी ही सोचने पर मजबूर भी करती है. आखिर संथारा है क्या? क्या यह कोई धार्मिक क्रिया है या फिर कुछ और? चलिए इस पूरे विषय को सरल भाषा में समझते हैं.
क्या हुआ था इंदौर में?
बच्ची का नाम वियाना था. जनवरी 2025 में उसे ब्रेन ट्यूमर का पता चला था. इलाज के बाद थोड़ी राहत मिली, लेकिन मार्च में फिर से हालत बिगड़ गई. पहले इंदौर, फिर मुंबई में इलाज करवाया गया, पर ठीक होने की उम्मीदें बहुत कम थीं. ऐसे में बच्ची के माता पिता उसे एक जैन मुनि के पास ले गए. मुनि ने बच्ची की हालत देखकर संथारा का सुझाव दिया. परिवार पहले से मुनि का अनुयायी था और उन्होंने इससे पहले 107 संथारों का संचालन किया था. परिवार की सहमति से यह प्रक्रिया शुरू की गई. आधे घंटे चली इस प्रक्रिया के बाद वियाना ने हमेशा के लिए आंखें बंद कर लीं.
यह भी पढ़ें – सोमवार को सफेद चंदन तो मंगलवार को किस चीज का लगाएं तिलक? जानें सप्ताह के सातों दिन के अनुसार तिलक लगाने के फायदे
संथारा क्या होता है?
संथारा जैन धर्म की एक विशेष परंपरा है. इसमें व्यक्ति अपने जीवन के अंतिम समय में, पूरी तरह से सोच समझकर, खाना पीना छोड़ देता है. यह कोई जबरदस्ती या निराशा में लिया गया फैसला नहीं होता. इसमें व्यक्ति खुद को शरीर से अलग मानते हुए धीरे धीरे संसार से दूरी बनाता है. इसका उद्देश्य मन को शांति देना और आत्मा को मोक्ष की ओर ले जाना होता है.
क्या यह आत्महत्या है?
यह सवाल अक्सर उठता है, लेकिन जैन धर्म में इसे आत्महत्या नहीं माना जाता. आत्महत्या गुस्से, डर या दुख के कारण होती है, जबकि संथारा पूरी तरह शांति और संयम से किया जाता है. इसमें व्यक्ति न तो जीवन से भागता है, न ही किसी दर्द से डरता है. बल्कि वह अपने जीवन के आखिरी समय को ध्यान, सोच और शांति से बिताना चाहता है.
यह भी पढ़ें – सिर्फ प्यास नहीं बुझाता सौभाग्य और बरकत भी लाता है मिट्टी का घड़ा, कौनसे रंग का और किस दिन लाना शुभ?
क्या सभी संथारा ले सकते हैं?
संथारा हर किसी के लिए नहीं होता. इसे लेने के लिए व्यक्ति को मानसिक रूप से मजबूत और आध्यात्मिक रूप से जागरूक होना जरूरी है. आमतौर पर बुज़ुर्ग या लंबे समय से बीमार लोग ही इसे अपनाते हैं. बच्चों या शारीरिक रूप से कमजोर लोगों के लिए यह परंपरा सामान्य रूप से नहीं मानी जाती. लेकिन वियाना का मामला इससे अलग है, क्योंकि यह परिवार और मुनि के धार्मिक विश्वास से जुड़ा हुआ था. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)
[ad_2]
Source link