पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा (HD Deve Gowda) की पार्टी जेडीएस, एनडीए गठबंधन में शामिल हो गई है. जेडीएस (JDS) नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने 22 सितंबर को दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की. इसके बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में शामिल होने का ऐलान किया.
2024 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले और कर्नाटक विधानसभा चुनाव के ठीक बाद हुए इस गठबंधन के क्या मायने हैं? JDS और NDA के लिए यह गठबंधन कितना महत्वपूर्ण है? आइये समझते हैं…
कहां किसकी पकड़? कर्नाटक की राजनीति पर नजर डालें तो बीजेपी और जेडीएस दो ऐसी पार्टियां हैं, जिनके अपने-अपने कोर वोटर्स हैं. जेडीएस की वोक्कालिगा समुदाय में पैठ है तो बीजेपी की लिंगायतों के बीच अच्छी पकड़ है. ये दोनों समुदाय ऐसे हैं, जो करीबन पूरे राज्य में चुनाव नतीजों को प्रभावित करते हैं. 2023 के विधानसभा चुनाव नतीजों पर नजर डालें तो पता लगता है कि जेडीएस का कोर वोटर उससे दूर गया. 2018 के मुकाबले 2023 में जेडीएस की करीब 50% सीटें तो घट गईं और 37 से 19 सीटों पर सिमट गई. पार्टी का वोट शेयर भी 18.3% से घटकर 13.3% रह गया.
JDS की सीटें घटीं, कोर वोटर खिसके: वहीं, 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को भी नुकसान हुआ. 2018 में जहां पार्टी के पास 104 सीटें थीं, तो वहीं 2023 में 66 सीटों पर सिमट गई. लेकिन पार्टी का वोट शेयर जस का तस रहा. 2018 में बीजेपी का वोट शेयर 36.2% था, तो 2023 में भी बीजेपी के खाते में 36% वोट शेयर आया. इसका मतलब यह है कि जेडीएस की सीटें भी गईं और कोर वोटर भी दूर गए. जबकि बीजेपी को सीटों का नुकसान तो हुआ, लेकिन अपने कोर वोटर्स को साधने में करीबन कामयाब रही.
2023 के विधानसभा चुनाव में जनता दल सेक्युलर को सर्वाधिक नुकसान दक्षिण कर्नाटक में हुआ, जहां पार्टी की अच्छी पैठ है. 2018 में जेडीएस के पास दक्षिण कर्नाटक की 38 सीटें थीं. 2023 में 8 सीटों का नुकसान हुआ और 30 सीटें रह गईं.
तो विधानसभा चुनाव के नतीजे कुछ और होते… अब बात करते हैं 2023 में कर्नाटक की सत्ता हासिल करने वाली कांग्रेस की. कांग्रेस के खाते में 135 सीटें आईं और वोट शेयर 42.9% रहा. अगर बीजेपी और जेडीएस के वोट शेयर को मिला दें तो यह करीबन 50 फीसदी के आसपास बैठता है. यानी कांग्रेस के वोट शेयर से 7 फीसदी ज्यादा. मतलब, विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जेडीएस साथ होते तो नतीजे कुछ और हो सकते थे.
गठबंधन से किसका लाभ? राजनीतिक जानकार कहते हैं कि जेडीएस का एनडीए से गठबंधन और बीजेपी के करीब आने की वजह विधानसभा चुनाव नतीजों में ही छिपी है. इस गठबंधन से सबसे ज्यादा लाभ जेडीएस को है. एनडीए से गठबंधन के जरिये जेडीएस, अपने कोर वोटर्स को दोबारा साधना चाहती है और कर्नाटक की राजनीति में प्रासंगिक बने रहना चाहती है.
वहीं, बीजेपी को उम्मीद है कि इस गठबंधन से कांग्रेस को रोकने में तो मदद मिलेगी ही. साथ ही दक्षिण के अन्य राज्यों को भी एक पॉजिटिव मैसेज जाएगा. बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और जेडीएस ने मिलकर चुनाव लड़ा था. इसके बावजूद बीजेपी ने अकेले 28 में से 25 सीटें हासिल की थी.
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FIRST PUBLISHED : September 23, 2023, 11:22 IST