सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर : आमतौर पर फसलों में खरपतवार के तौर पर उगने वाला जंगली रसभरी एक अनोखा फल है. रसभरी को पहले खरपतवार माना जाता था. बाद में इसे कृषि फसल के रूप में तब्दील किया गया. रसभरी का स्वाद आंवले की तरह तीखा और मीठा भी होता है. इसके अंदर पाए जाने वली बीज टमाटर के बीज जैसे लेकिन बहुत छोटे होते हैं. इसका स्वाद खट्टे फल के अलावा कुछ-कुछ अनानास और चेरी के जैसा होता है.रसभरी शरीर के लिए बेहद गुणकारी है. इसमें पाए जाने वाले विटामिन व मिनरल्स शुगर को कंट्रोल कर सकते हैं तो इसका सेवन मोटापे को भी रोक सकता है. दिल की बेहतरी के लिए भी रसभरी को कारगर माना जाता है.
कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर की वैज्ञानिक डॉ. विद्या गुप्ता ने बताया कि रसभरी में विटामिन सी, फोलिक एसिड, कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, विटामिन ए सहित कई पोषक तत्व इसमें पाए जाते हैं. इतना ही नहीं इसमें पाया जाने वाला कैरोटीन एंटीऑक्सीडेंट के तौर पर काम करता है. रसभरी हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग के लिए कारगर दवा है. इतना ही नहीं इसमें पाए जाने वाले फाइबर की वजह से यह पेट के लिए बेहद फायदेमंद होता है.
मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल करता है कंट्रोल
डॉ. विद्या गुप्ता ने बताया कि रसभरी की पत्तियों का काढ़ा बनाकर पीने से पाचन तंत्र मजबूत होता है. भूख भी बढ़ती है. यह बवासीर जैसी गंभीर बीमारी में भी लाभ देता है. इसके अलावा इसकी पत्तियों का काढ़ा शरीर के अंदर की सूजन को दूर करता है. लीवर की सूजन और मधुमेह को नियंत्रित करता है. इसके अलावा यह बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रित करता है.
सफेद दाग भी होगा दूर
डॉ. विद्या गुप्ता ने बताया कि रसभरी की पत्तियों का लेप बनाकर सफेद दाग पर लगाने पर उससे निजात दिलाता है. रसभरी के फल का चूर्ण बनाकर खाने से खांसी, हिचकी और सांस से संबंधित बीमारियों में राहत मिलती है.
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FIRST PUBLISHED : March 12, 2024, 10:11 IST
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