Thursday, November 7, 2024
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खाती रहीं सबसे ताना और खिलाती रहीं चना,ग्रेजुएट किन्नर सोनाली ने सुनाईं आपबीती


सच्चिदानंद/पटना. अक्सर आपने स्ट्रीट फूड का स्टॉल चलाते पुरुषों को देखा होगा, महिलाओं को देखा होगा, बच्चों को देखा होगा, लेकिन पटना में एक ऐसा स्टॉल है जहां LGBTQ+ समुदाय से ताल्लुक रखने वाली सोनाली आपको दिखेंगी.

राजधानी के पारस हॉस्पिटल के गेट नंबर 1 पर सोनाली पिछले 20 साल से चना-भाजी का स्टॉल लगाती हैं. लोगों को उनका चना-भाजी इतना पसंद आता है कि हमेशा भीड़ लगी रहती है. सोनाली के हाथों से बने चना-भाजी का स्वाद चखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. इतनी भीड़ लगती है कि खड़ा रहने की भी जगह नहीं मिलती.

20 रुपए में फुल प्लेट

सोनाली बताती हैं कि इस स्टॉल को पहले उनके पिता चलाते थे. लेकिन पिता की सेहत खराब होने से इसकी जिम्मेवारी उन्होंने संभाली. पिछले 20 साल से वह लोगों को चना-भाजी खिला रही हैं. वह बताती हैं कि शुरुआत में लोग LGBTQ+ समुदाय का होने की वजह से उन्हें ताना मारते थे. लेकिन इन तानों और छेड़खानी को नजरंदाज कर वे अपनी दुकानदारी में लगी रहीं. अब तो लोग तारीफ करते हैं. पुरुषों, महिलाओं की तरह सोनाली भी इज्जत की जिंदगी जी रही हैं. वह 20 रुपए में फुल प्लेट और 10 रुपए में हाफ प्लेट चना-भाजी खिलाती हैं.

ग्रेजुएट हैं सोनाली

चना-भाजी बेचनेवाली सोनाली बिहार के इकलौते A+ ग्रेड वाले एएन कॉलेज से ग्रेजुएट हैं. सोनाली बताती हैं कि उन्हें यहां तक पहुंचने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा. LGBTQ समुदाय से होने की वजह से इंग्लिश मीडियम स्कूल में दाखिला नहीं मिल रहा था. लेकिन लाख मिन्नतों और प्रिंसिपल के पैरों में गिरने के बाद दाखिला मिला. सोनाली पढ़ने में भी अव्वल रही हैं. एएन कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद पिता की चना-भाजी की दुकानदारी को उन्होंने अपना बिजनेस बनाया. आज समाज में इज्जत की रोटी खा रही हैं साथ ही, घर परिवार को चला रही हैं.

Tags: Food 18, Local18, PATNA NEWS



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