Wednesday, April 16, 2025
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खाद, बैटरी, सोलर पैनल… नार्वे में मिले खजाने से दुनिया को 100 साल तक क्‍या-क्‍या मिलने जा रहा, जानें


​नॉर्वे की खोज महत्वपूर्ण क्यों

अगर इसका इस्तेमाल सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहन और खाद बनाने में किया जाए तो अगले 50 साल तक दुनिया की जरूरत को पूरा किया जा सकता है। फॉस्फेट रॉक फॉस्फोरस के उत्पादन में एक महत्वपूर्ण घटक है, जो ग्रीन टेक्नोलॉजी के विकास में आवश्यक है। हालांकि इस समय दुनिया में फॉस्फेट की आपूर्ति को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इस कारण नार्वे में हुई खोज और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।

​कैसे हुई थी फॉस्फेट की खोज

​कैसे हुई थी फॉस्फेट की खोज

1669 में जर्मन वैज्ञानिक हेनिग ब्रांट ने इसकी खोज की थी। इसके बाद फॉस्फोरस के इस्तेमाल ने टेक्नोलॉजी को आगे बढ़ाने में मदद मिली। हालांकि वह शुरुआत में धातुओं को सोने में बदलने के लिए पारस पत्थर की खोज कर रहे थे, जो निरर्थक साबित हुआ। आधुनिक समय में इलेक्ट्रॉनिक वाहनों, सौर पैनल, कंप्यूटर चिप और लीथियम-आयरन फॉस्फेट में इस्तेमाल किया जाता है।

​रूस के पास सबसे बड़ा भंडार

​रूस के पास सबसे बड़ा भंडार

अभी तक सबसे शुद्ध फॉस्फेट का सबसे बड़ा भंडार रूस के पास है। लेकिन रूस ने जब से यूक्रेन पर हमला किया है, तभी से फॉस्फेट की सप्लाई चेन बाधित हुई है। यूरोपीय संघ फॉस्फेट चट्टानों के आयात पर निर्भर है। ज्यादातर फॉस्फेट रॉक चीन, इराक और सीरिया जैसे देशों से आता है। हालांकि नॉर्वे की खोज से सिर्फ यूरोपीय यूनियन ही नहीं, बल्कि दुनिया पर प्रभाव होगा।

​यूरोपीय यूनियन की निर्भरता होगी खत्म

​यूरोपीय यूनियन की निर्भरता होगी खत्म

दुनिया में हर साल लगभग 5 करोड़ टन फॉस्फोरस की खपत होती है। एक्सपर्ट्स की चेतावनी है कि अगर राजनीतिक अस्थिरता होती है तो भी यूरोप को चिंता करने की जरूरत नहीं होगी। नॉर्वे के व्यापार और उद्योग मंत्री जान क्रिश्चियन वेस्ट्रे का कहना है कि जल्द से जल्द खदान शुरू करने का प्लान बनाया जा रहा है। सबसे जल्दी खदान 2028 तक शुरू हो सकेगी। (सभी तस्वीरें- AI)



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