रूपांशु चौधरी/ हजारीबाग. बिहार और झारखंड में शादियों में खाजा का एक अलग ही स्थान है. लगन के समय में लड़के और लड़की परिवार वाले आपस में खाजा और लड्डू मिठाई का आदान प्रदान करते है. बिहार के नालंदा जिले में सिलाव की खाजा मिठाई काफी चर्चित है. कहा जाता है कि खाजा की शुरुआत उसी सिलाव जगह से हुई थी. जिसके बाद खाजा मिठाई को हर जगह पसंद किया जाने लगा. ऐसे ही हजारीबाग की खाजा गली अपने खास तरह के खाजा के लिए पूरे झारखंड में प्रख्यात है. दूर दूर के दुकानदार और ग्राहक यहां खाजा की खरीददारी करने के लिए आते है. यहां एक गली में 10 से अधिक खाजा की दुकान मौजुद है. इन सभी दुकानों में किसी भी दुकान में नाम का बोर्ड नही लगा है.
इसी गली में खाजा स्टोर के संचालक अर्जुन कुमार बताते है कि ये सभी दुकानों का संचालन करने वाले लोग एक परिवार के है. यहां सबसे पुरानी दुकान 1972 में स्थापित की गई थी. तभी से धीरे धीरे परिवार के अन्य लोगो के द्वारा यहां और दुकान खोला गया है. यहां पर 1972 से ही खाजा बनाने का काम चल रहा है. खाजा के अलावा यहां गुजिया, अनरसा और तिलकुट भी बनाया जाता है.अभी खाजा 140 और 160 रुपए किलो है. 140 रुपए किलो वाले खाजे में चीनी अधिक होता है.
रोजाना बनाया जाता है 70 किलो खाजा
वहीं,160 रुपए वाले खाजे में चीनी कम होता है.अर्जुन आगे बताते है कि शादी के लगन को देखते हो रोजाना लगभग 70 किलो खाजा बनाया जा रहा है. यह खाजा हजारीबाग, कोडरमा, रामगढ़, चतरा यदि जिले में बना के बेचते है. शादी व लगन के समय गया के और कारीगर को खाजा बनाने के लिए यहां बुलाया गया है. जो सुबह से शाम तक यहां खाजा बना रहे है.
ऐसे हो तैयार होता है खाजा
खाजा कई परत की मिठाई होता है. एक खाजा में 52 परत होती है. इस मिठाई को बनाने के लिए के सबसे पहले गेहूं के आटा और मैदा में मावा व डालडा मिक्स किया जाता है. इसके बाद लोई बनाकर इसे बेलकर लंबा किया जाता है फिर उसे कई परत में मोड़ा जाता है. फिर इसे बेलकर खाजा का आकार दिया जाता है. इसके बाद गरमा गरम तेल में छानकर चीनी की पतली चाशनी में डाला जाता है. चाशनी से निकालकर कुछ देर हवा लगाया जाता है. इस प्रकार यह मिठाई तैयार हो जाती है.
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FIRST PUBLISHED : December 3, 2023, 09:51 IST