Home National खिचड़ी, पुलाव, बिरयानी, खीर, जो पसंद है खाओ; बीजेपी से गठबंधन की अटकलों के बीच जयंत चौधरी के ट्वीट के मायने

खिचड़ी, पुलाव, बिरयानी, खीर, जो पसंद है खाओ; बीजेपी से गठबंधन की अटकलों के बीच जयंत चौधरी के ट्वीट के मायने

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खिचड़ी, पुलाव, बिरयानी, खीर, जो पसंद है खाओ; बीजेपी से गठबंधन की अटकलों के बीच जयंत चौधरी के ट्वीट के मायने

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Chaudhary Jayant Singh: सियासत में कुछ भी पक्‍का नहीं होता। न दोस्‍ती न दुश्‍मनी और न ही कोई संकल्‍प। इसी रवायत को आगे बढ़ाते हुए पिछले विधानसभा चुनाव में एक-दूसरे के खिलाफ आग उगलने वाले कई नेता आज साथ आने को बेताब दिखते हैं। जाहिर है कि लोकसभा चुनाव करीब हैं तो नेता अपने-अपने ढंग से अपने समीकरण बिठाने और दूसरों के बिगाड़ने में जुटे हैं। इसी क्रम में पिछले दिनों महाराष्‍ट्र में एनसीपी की टूट के बाद रालोद के बीजेपी के साथ आने को लेकर मोदी और योगी सरकार के मंत्री भविष्यवाणी करने लगे तो तत्‍काल रालोद नेताओं की भी प्रतिक्रियाएं आ गईं।

राष्‍ट्रीय लोकदल के अध्‍यक्ष जयंत चौधरी ही नहीं उनकी पत्‍नी चारु चौधरी ने भी साफ कर दिया था कि वे बीजेपी या एनडीए में शामिल नहीं हो रहे हैं। चारु चौधरी ने तो यह भी लिखा था कि चवन्‍नी नहीं हैं जो पलट जाएंगे। अफवाहों पर ध्‍यान ना दें। लेकिन अब एक बार फिर सवाल उठने लगा है कि आखिर जयंत चौधरी क्‍या पका रहे हैं। यह सवाल उनके दो ट्वीट के बाद से उठने लगा जो उन्‍होंने गुरुवार की रात करीब 10 बजे किए। 

राजनीतिक गलियारों में जयंत के इन ट्वीट्स के मायने निकाले जाने लगे। लोग पूछने लगे कि आखिर जयंत कहना क्‍या चाहते हैं? क्या रालोद अध्‍यक्ष गठबंधन को लेकर कोई इशारा कर रहे हैं। कोई नया संकेत दे रहे हैं? जयंत चौधरी ने अपने पहले ट्वीट में लिखा, ‘खिचड़ी, पुलाव, बिरयानी..जो पसंद है खाओ!’ अपने दूसरे ट्वीट में जयंत ने लिखा, ‘वैसे चावल खाने ही हैं तो खीर खाओ!’ अब इन दो ट्वीट्स को लेकर लोग सवाल उठाने लगे कि जयंत अचानक से खिचड़ी, पुलाव, बिरयानी और खीर की बात क्‍यों करने लगे हैं। क्‍या 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे जयंत कोई बड़ा कदम उठाने वाले हैं? 

जयंत के ताजा ट्वीट्स को लेकर एक बार फिर उनके और समाजवादी पार्टी अध्‍यक्ष अखिलेश यादव के बीच बढ़ती दूरियों की भी चर्चा शुरू हो गई। कहा जा रहा है कि अखिलेश और जयंत दोनों में से कोई दूरियों को कम करने की कोशिश नहीं कर रहा है। दोनों अपने-अपने राजनीतिक वजूद को लेकर संघर्षरत हैं और अपनी-अपनी रणनीति बना रहे हैं।

पिछले निकाय चुनाव में जयंत के क्षेत्र में सपा ने जिस तरह अपने उम्‍मीदवारों को उतारा उसे लेकर रालोद के स्‍थानीय कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। रालोद नेताओं का कहना है कि समाजवादी पार्टी, रालोद पर सियासी चढ़ाई करना चाहती है ताकि लोकसभा चुनाव में जब सीटों के बंटवारे की बात आए तो रालोद को कम से कम सीटें देनी पड़ें। जाहिर है, गठबंधन में किसको कितनी सीटें मिलेंगी यह इसी पर निर्भर करेगा कि किसी क्षेत्र में कौन मजबूत है। 

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