हाइलाइट्स
कुछ केसेज में भ्रूण फेलोपियन ट्यूब में ही रह जाता है. इसे इक्टोपिक प्रेग्नेंसी कहते हैं.
ब्लीडिंग में निकलने वाले टिशू फेलोपियन ट्यूब की दीवार को फाड़ने लगता है.
Side Effects of Abortion Pills: हर इंसान के जीवन में माता-पिता बनना जिंदगी भर की मुराद होती है लेकिन इसके लिए उपयुक्त समय चाहिए होता है. गलत समय पर अगर ये सब होता है, तो कई तरह की बातें सामने आ जाती हैं. महिलाओं के जीवन में कभी-कभी कुछ ऐसे अनचाहे मौके आ जाते हैं जब उसे बच्चा नहीं चाहिए होता है लेकिन इसके बावजूद कभी-कभी प्रेग्नेंसी हो जाती है. इसका एक ही उपाय है-एबॉर्शन पिल. यानी गर्भपात की गोली. भारत में प्रेग्नेंसी के 24 सप्ताह तक एबॉर्शन कराने का अधिकार है. हालांकि ज्यादा दिनों की प्रेग्नेंसी में गर्भपात सिर्फ डॉक्टरों की देखरेख में ही होती है लेकिन अगर प्रेग्नेंसी कुछ ही दिनों की है तो इसे सबसे छुपाने के लिए महिलाएं अक्सर एबॉर्शन पिल लेती है. इससे गर्भपात हो जाता है. पर बाजर में मिल रहे एबॉर्शन पिल को खुद से खरीद कर इसका इस्तेमाल करना कितना सही है. खुद से एबॉर्शन पिल लेना कितना खतरनाक रिस्क है, इसके लिए न्यूज 18 ने सर गंगाराम अस्पताल में वरिष्ठ गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. साक्षी नायर से बात की.
गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. साक्षी नायर ने बताया कि भारत सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक कोई भी महिला प्रेग्नेंसी के 9 सप्ताह के अंदर एबोर्शन पिल ले सकती हैं. इससे प्रेग्नेंसी टर्मिनेट हो जाएगी. लेकिन इसे डॉक्टरों की सलाह से लें तो सुरक्षित गर्भपात हो सकता है.
एबॉर्शन पिल लेने का रिस्क
डॉ. साक्षी नायर ने बताया कि प्रेग्नेंसी को टर्मिनेट करने के लिए एबॉर्शन पिल जैसे कि एमटीपी किट लेना कोई गलत बात नहीं है. इससे मामूली साइड इफेक्ट्स हैं लेकिन कुछ मामलों में बहुत ज्यादा परेशानी हो सकती है जिसके कारण कुछ समय के अंदर ही इमरजेंसी सर्जरी करानी पड़ सकती है. अगर सर्जरी नहीं कराई गई तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है. डॉ. साक्षी नायर ने बताया कि दरअसल, कुछ केसेज में भ्रूण फेलोपियन ट्यूब में ही रह जाता है. इसे इक्टोपिक प्रेग्नेंसी (Ectopic pregnancy) कहते हैं. इसका सीधा मतलब यह हुआ कि बच्चा गर्भाशय यानी यूटेरस की जगह फेलोपियन ट्यूब में ही ठहर गया. डॉ. साक्षी नायर ने बताया कि जब इक्टोपिक प्रेग्नेंसी होती है और तब एबॉर्शन पिल ली जाती है तो इससे बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होने लगती है और ब्लीडिंग में निकलने वाले टिशू फेलोपियन ट्यूब की दीवार को फाड़ने लगता है. यानी इस स्थिति में फेलोपियन ट्यूब फट जाएगा जिससे बहुत ज्यादा दर्द और खून निकलने लगेगा. ऐसे में अगर तुरंत सर्जरी नहीं की गई तो यह जानलेवा हो सकता है.
इक्टोपिक प्रेग्नेंसी में खतरा
डॉ. साक्षी नायर ने बताया कि इसलिए हम सलाह देते हैं कि चाहे किसी भी परिस्थिति में आप प्रेग्नेंसी को टर्मिनेट कराना चाहती हैं, डॉक्टरों की देखरेख में ही एबोर्शन पिल लें. डॉ. साक्षी नायर ने बताया कि इसलिए डॉक्टर पहले अल्ट्रासाउंड कराते हैं. अगर रिपोर्ट में इक्टोपिक प्रेग्नेंसी के संकेत दिखते हैं तो फिर एबोर्शन पिल नहीं दिया जा सकता. अगर इस स्थिति में पिल लिया जाए तो खून पूरे यूटेरस के अंदर जमा होना शुरू हो जाता है और जब तक खून का एक कतरा भी वहां रहेगा खून निकलता रहेगा. यह बहुत खतरनाक स्थिति हो जाती है. इसमें हर हाल में इमरजेंसी सर्जरी की जरूरत होती है. हालांकि अगर बच्चा यूटेरस में आ गया है तो आमतौर पर एबोर्शन पिल से गर्भपात हो जाता है. इसमें कुछ मामूली साइड इफेक्ट्स के अलावा सब कुछ सही रहता है. अधिकांश मामलों में भ्रूण यूटेरस में आ ही जाता है. बहुत कम मामलों में भ्रूण फेलोफियन ट्यूब में अटक जाता है.
एबोर्शन पिल लेने के कुछ साइड इफेक्ट्स
अगर प्रेग्नेंसी यूटेरस में है तो इसमें एमटीपी किट से गर्भपात हो जाता है लेकिन इसमें मामलू साइड इफेक्ट्स हैं. एमटीपी किट लेने पर पेट में दर्द सामान्य बात है क्योंकि गर्भाशय की दीवार से खून रिसता है. इसमें पेट में क्रैंप होता है. इसके साथ ही पेट खराब यानी डायरिया, बैक, पैन, चक्कर, सिर दर्द, मतली और उल्टी जैसी समस्याएं भी हो सकती है. अगर आपने खुद से एमटीपी किट ली है और बहुत तेज दर्द हो रहा है और ब्लीडिंग भी बहुत तेज हो रही है, रूक नहीं रही है तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं.
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Tags: Health, Health tips, Lifestyle
FIRST PUBLISHED : May 15, 2023, 06:40 IST