ऐप पर पढ़ें
Health Risks To Couch Potato Kids: कोरोनाकाल से कुछ साल पहले तक भी बच्चे घर से बाहर दोस्तों के साथ खेलने के लिए निकलना पसंद करते थे। लेकिन आज के समय में ज्यादातर बच्चे घर के किसी एक कोने में बैठकर फोन चलाना ज्यादा पसंद करते हैं। बच्चों की बदलती इस आदत की वजह से उनमें आलस बढ़ रहा है। जो कि काफी चिंताजनक है और बच्चों की सेहत और खुशी दोनों को नुकसान पहुंचा सकता है। बच्चे अपना ज्यादातर समय टीवी देखने या फिर अपने कंप्यूटर और फोन जैसे उपकरणों के साथ बिताते हैं, जिसके कारण उन्हें बैठे रहने और कुछ भी ना करने की लत पड़ रही है, यानि वो ‘काउच पोटैटो’ बनते जा रहे हैं। इसका मुख्य कारण है, आधुनिक अभिभावकों द्वारा की जा रही लापरवाही।
मणिपाल अस्पताल(गाजियाबाद) में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राहुल चौहान कहते हैं कि समस्या की बात यह है कि जिन बच्चों को शारीरिक गतिविधि न करने की आदत होती है,ज्यादातर मामलों में, वो बड़े होने पर भी निष्क्रिय बने रहते हैं। जो कि एक चिंता का विषय है। हालांकि आमतौर पर लोगों को आलसी होने के कोई खास बड़े नुकसान महसूस नहीं होते बल्कि ये उन्हें कुछ समय तक के लिए मजेदार लग सकता है। लेकिन बड़े होने पर यह आदत कई समस्याओं का कारण बन सकती है।
आलस के लक्षण-
-अक्सर किसी को टालने की आदत
-उत्साह की कमी
-मेहनत करने की अनिच्छा
आलसी बच्चे तो स्वास्थ्य से जुड़ी अनेक समस्याएं घेर सकती हैं,जिनमें से तीन प्रमुख हैं-
मोटापा-
आलस के कारण व्यक्ति लंबे समय तक बैठा या लेटा रहता है। जिसकी वजह से उसकी शारीरिक गतिविधि कम हो जाती है। गतिविधि कम होने के कारण बच्चे का मोटापा और वजन बढ़ सकता है। उसे टाइप 2 डायबिटीज (भारत में आम), उच्च कोलेस्ट्रॉल और उच्च रक्तचाप जैसे मेटाबोलिक विकारों का खतरा भी बढ़ सकता है। निष्क्रियता शरीर इंसुलिन को नियंत्रित करने और फैट को प्रोसेस करने की क्षमता पर भी असर डालता है, जिससे मेटाबोलिज्म की स्थिति और बिगड़ सकती है।
हृदय रोग-
लंबे समय तक गतिविधि न करने से हृदय कमजोर हो सकता है । जो आगे चलकर रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का कारण बनने लगता है। जिससे उम्र बढ़ने के साथ दिल का दौरा या स्ट्रोक पड़ने की संभावना भी अधिक बढ़ जाती है। यही वजह है कि बच्चों को छोटी उम्र से ही अपने हृदय को स्वस्थ बनाए रखने के लिए गतिविधि करते रहना चाहिए।
मस्कुलोस्केलेटल समस्याएं-
शारीरिक गतिविधियों की कमी और स्क्रीन के सामने ज्यादा समय बिताने के कारण, बच्चों को छोटी उम्र से ही मस्कुलोस्केलेटल समस्याओं का खतरा उत्पन्न हो जाता है। इनमें से एक समस्या है, मांसपेशियों की ताकत में कमी।
सलाह-
इससे पहले कि बच्चे बेहद आलसी बन जाए, उन्हें चुस्त रहना सिखाना जरुरी है। इसके लिए उन्हें छोटी उम्र से ही बाहर निकलने और शारीरिक गतिविधियां करने के लिए प्रोत्साहित करें। घर के बड़े लोगों की जिम्मेदारी हैं कि वो बच्चों को चुस्त रहने की प्रेरणा दें, हालांकि उन्हें ज्यादा मेहनत करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। छोटी शुरुआत के साथ आगे बढ़ना चाहिए, जैसे रात के खाने के बाद टहलने के साथ इसकी शुरुआत करें। बच्चों में आलस का विकास ना हो, इसके लिए उन्हें स्क्रीन पर कम समय बिताने और बाहर ज्यादा खेलने के लिए प्रोत्साहित करें। चूंकि आज के बच्चे स्क्रीन पर बहुत अधिक निर्भर हैं, इसलिए इसमें संतुलन बनाना और स्क्रीन के उपयोग को सीमित करना आवश्यक है।