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खोवा और बासमती चावल से तैयार होती है यह मिठाई, 2 घंटे में हो जाती है खत्म


मो.महमूद आलम/नालंदा. सिलाव का खाजा के बाद अनरसा की ब्रांडिंग शुरू हो गई है. रोज़ाना 30 किलो की बिक्री से व्यवसाय और कारीगरों में खुशी की लहर है. कारीगरों का कहना है कि वह दिन दूर नहीं जब खाजा के बाद अनरसा को भी GI टैग मिलने में ज़्यादा वक्त लगेगा. जिस तरह विश्व के किसी भी कोने में app (काली शाह) के माध्यम से खाजा भेजा जाता है. उसी तरह से अब सिलाव के अनरसा की भी डिमांड बढ़ रही है. जो ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, लंदन गल्फ इत्यादि देशों में भेजा जा रहा है.

अनरसा की ब्रांडिंग 3 साल पहले शुरू की गई थी. अब अनरसा की डिमांड देश ही नहीं विदेशों में भी बढ़ गई है. यही नहीं अनरसा डाक विभाग और खादी ग्रामोद्योग द्वारा भी ग्राहकों तक पहुंचाई जाएगी. एक किलो अनरसा की क़ीमत ₹500/किलो है. जिसे रिफाइन तेल में फ्राई किया जाता है. जबकि शुद्ध देहाती घी का अनरसा ₹1000/किलो बिकता है. वहीं, इसकी विदेश में क़ीमत ₹3500 से ₹5000/किलो है. अनरसा बनाने वाले कारीगर नरेश प्रसाद बताते हैं कि बचपन से अनरसा बनाने की कोशिश में था अब फाइनली सिख गया हूं. ऐसा कि एक बार जो खाता है वह बार बार मंगवाता है. इसमें 85% खोवा और 15% बासमती चावल पाउडर को आटा की तरह गूथकर उसमें भरा जाता है. उसके अंदर नारियल का छोटा छोटा पीस व इलाइची को छीलकर कुटा जाता है. उसके बाद तिल का उपर से लेप लगाकर फ्राई किया जाता है.

2 घंटे में बिक जाता है 30 किलो
मलमास मेले से इस मिठाई की डिमांड ज्यादा हो गई. जिसे पूरा कर पाना मुश्किल हो रहा है. दो से तीन घंटे के भीतर अनरसा 30 किलो बिक जाता है. वहीं, दुकान संचालक संजीव गुप्ता ने बताया कि हर साल की तरह इस बार मलमास मेले की वजह से खाजा और अनरसा की बिक्री 4 गुना बढ़ी है. जिसकी एक वजह GI टैग मिलना है. अनरसा के बढ़ते डिमांड को देखते हुए भी इसकी ब्रांडिंग शुरू कर दी गई है. अब इसे लोकल और नेशनल मार्केट में भी अलग पहचान देने की होड़ में लगी हुई है. जिस तरह से खाजा की ब्रांडिंग शुरू हुई थी उसी तरह से अनरसा की भी कर रहे हैं.

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FIRST PUBLISHED : August 29, 2023, 15:27 IST



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