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बीते कुछ महीनों से ChatGPT चर्चा में है और इस AI टूल की मदद से यूजर्स मीम्स बनाने से लेकर AI आर्ट जेनरेट करने या फिर असाइनमेंट्स लिखने जैसे काम बिल्कुल फ्री में कर सकते हैं। कोई भी दूसरी टेक कंपनी ऐसा विकल्प नहीं दे रही है और गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियां भी जेनरेटिव AI तैयार कर रही हैं। यहां बुरी खबर यह है कि गूगल सर्च तक के लिए भुगतान करना पड़ सकता है।
दरअसल, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसे बड़े नाम ChatGPT जैसे विकल्प तो तैयार कर रहे हैं लेकिन उनका नया बिजनेस मॉडल विज्ञापनों पर आधारित नहीं है। यानी कि जल्द इंटरनेट से जानकारी जुटाने के लिए यूजर्स को भुगतान करना पड़ सकता है। दुनिया के करोड़ों यूजर्स गूगल और माइक्रोसॉफ्ट के सर्च इंजन इस्तेमाल करते हैं, इसलिए बदलाव का असर उनपर सीधे तौर पर पड़ने वाला है।
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शुरुआत में फ्री थीं ढेरों इंटरनेट सेवाएं
अगर आप गौर करें तो एक-दो नहीं, ढेर सारी इंटरनेट सेवाएं पहले फ्री थीं लेकिन बाद में उनके लिए सब्सक्रिप्शन प्लान्स लॉन्च किए गए। कोविड-19 लॉकडाउन के समय खूब इस्तेमाल की गईं जूम और माइक्रोसॉफ्ट टीम्स जैसी सेवाओं के फ्री प्लान्स अब खत्म किए जा रहे हैं और इन्हें इस्तेमाल करने के लिए भुगतान करना ही पड़ेगा। इसी तरह शुरुआत में क्लाउड स्टोरेज को फ्री सेवा के तौर पर लॉन्च किया गया था, लेकिन अब ढेरों स्टोरेज प्लान्स आ चुके हैं।
फ्री वर्जन में नहीं मिलेंगे ढेरों फंक्शंस
एक के बाद एक कई AI-आधारित सर्च इंजन्स मार्केट का विस्तार जरूर करने वाले हैं लेकिन उनके सभी फंक्शंस फ्री नहीं होंगे। संभव है कि केवल बेसिक फंक्शंस वाला वर्जन इस्तेमाल करने का विकल्प सभी इंटरनेट यूजर्स को दिया जाए और बाकियों के लिए भुगतान करना पड़े। ChatGPT जिस स्तर की सुविधाएं दे रहा है, उनके लिए भुगतान करने वाले यूजर्स भी बड़ी तादाद में होंगे। यही वजह है कि बाद में उनके लिए भुगतान अनिवार्य हो सकता है।
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सर्च से अरबों में कमाई कर सकती है गूगल
गूगल रोजाना करीब 9 अरब सर्च क्वेरीज प्रोसेस करती है। यानी कि गूगल पर रोजाना फ्री में 9 अरब चीजों या विषयों के बारे में सर्च किया जाता है। अगर गूगल इसका केवल 1 प्रतिशत हिस्सा भी मॉनिटाइज कर सके और उससे कमाई करे तब भी उसकी कमाई अरबों रुपये में होगी। गूगल की देखा-देखी माइक्रोसॉफ्ट भी फ्रीमियम मॉडल मार्केट में उतार सकती है। फिलहाल, सभी का फोकस फ्री सेवा ChatGPT का विकल्प तैयार करने पर है।