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गेंहू के आटे में 20% चने का आटा मिलाकर रोटियां बनाएं, इससे पाचन तंत्र मजबूत होगा, कब्ज, गैस और एसिडिटी से राहत मिलेगी. यह फॉर्मूला बुजुर्गों और डायबिटीज मरीजों के लिए भी फायदेमंद है.

चने का आटा काफी फायदेमंद होता है.
हाइलाइट्स
- गेंहू के आटे में 20% चने का आटा मिलाएं.
- इससे पाचन तंत्र मजबूत और कब्ज, गैस से राहत मिलेगी.
- डायबिटीज मरीजों और बुजुर्गों के लिए फायदेमंद.
गेंहू का आटा तो लगभग हर घर में रोजाना इस्तेमाल होता है, लेकिन अगर आप चाहते हैं कि आपका पेट हमेशा साफ रहे, पाचन तंत्र मजबूत बने और बुढ़ापे में भी सेहतमंद बने रहें, तो अब समय है एक छोटा सा बदलाव करने का. बस गेंहू के आटे में मिलाना है एक और चमत्कारी आटा जो आपकी सेहत के लिए किसी बड़े ट्रीटमेंट से कम नहीं होगा. आइए जानते हैं यहां…
चने का आटा (बेसन) या फिर सीधे तौर पर चने का मोटा आटा. अगर इससे गेंहू के आटे में मिलाकर रोटियां बनाई जाएं, तो आपके पेट को जबरदस्त फायदे मिलेगा. चना फाइबर, प्रोटीन और जरूरी मिनरल्स का बेहतरीन स्रोत है, जो न सिर्फ पेट को हल्का और साफ रखता है, बल्कि कब्ज, गैस और एसिडिटी जैसी समस्याओं से भी राहत देता है. खासतौर पर बड़े-बूढ़ों के लिए यह फॉर्मूला बहुत फायदेमंद है, क्योंकि उम्र के साथ पाचन क्रिया धीमी हो जाती है.
कैसे करें इस्तेमाल?
गेंहू के आटे में 20% तक चने का आटा मिलाएं यानी अगर आप 1 किलो गेंहू का आटा ले रहे हैं तो उसमें करीब 200 ग्राम चने का आटा मिला लें. इस आटे से बनी रोटियां हल्की भी होती हैं और पेट में भारीपन भी महसूस नहीं होता. चने के आटे से बनी रोटियां ब्लड शुगर को भी नियंत्रित करने में मदद करती हैं, जिससे डायबिटीज के मरीजों के लिए भी यह फायदेमंद है. इसमें मौजूद प्रोटीन मसल्स को मजबूत बनाता है और बुजुर्गों में कमजोरी की समस्या को भी दूर करता है. इसका फाइबर पेट की आंतों को साफ करता है और मल त्याग को आसान बनाता है.
अगर चाहें तो आटे में थोड़ा सा अलसी (flax seeds) का पाउडर भी मिला सकते हैं. यह पेट के साथ-साथ हार्ट हेल्थ के लिए भी लाभकारी होता है. इस छोटे से बदलाव से न सिर्फ आपकी डेली डाइट बेहतर बनेगी, बल्कि पेट हमेशा हल्का और साफ रहेगा। खासतौर पर गर्मियों में पेट की गड़बड़ी से बचने के लिए यह तरीका बेहद कारगर है.
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