हाइलाइट्स
जिसका बॉडी मास इंडेक्स 30 से 40 के बीच है उसके पेट में गैस्ट्रिक बैलून लगाया जाता है
गैस्ट्रिक बैलून सिलिकॉन का बना होता है जिसे पेट में सेट किया जाता है
Gastric balloon control obesity: मोटापा दुनिया की बहुत बड़ी समस्या है. पिछले 30 सालों में मोटे लोगों की संख्या में 3 गुना बढ़ोतरी हुई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक विश्व में दो अरब से ज्यादा लोग मोटापा या ज्यादा वजन के शिकार हैं. यहां तक कि बदलते लाइफस्टाइल में बच्चों का भी वजन बढ़ा हुआ है. 2020 के आंकड़ों के मुताबिक 5 साल से कम उम्र के 3.9 करोड़ से ज्यादा बच्चे मोटापे के शिकार हैं. आमतौर पर मोटापे को बीएमआई से मापा जाता है. अगर वयस्क का बीएमआई 25 से ज्यादा है तो उसका वजन बढ़ा हुआ है लेकिन अगर बीएमआई 30 से भी ज्यादा हो जाए तो वह मोटापे की बीमारी से पीड़ित हो जाते हैं. मोटापे के कारण डायबिटीज, हार्ट डिजीज, किडनी प्रोबल्म, ब्रेन प्रोब्लम जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है. मोटापे को कम करने के लिए लोग क्या-क्या जतन नहीं करते. इसका अंतिम इलाज बैरिएट्रिक सर्जरी है. लेकिन वैज्ञानिकों ने गैस्ट्रिक बैलून के जरिए मोटापे को खत्म करने का इलाज ढूंढा है. आइए जानते हैं गैस्ट्रिक बैलून के बारे में.
इसे भी पढ़ें- क्या होती है एग फ्रीजिंग, किस उम्र में करवाने से होता है फायदा, कितना है इसका खर्च, समझें पूरी प्रक्रिया
क्या है गैस्ट्रिक बैलून
होपकिंस मेडिकल की वेबसाइट के मुताबिक गैस्ट्रिक बैलून एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मोटापे पर अस्थाई लगाम लगाई जाती है. इसके तहत गैस्ट्रिक बैलून को पेट के अंदर फिट किया जाता है. इस प्रक्रिया में एंडोस्कोपिक तकनीकी की मदद ली जाती है और डॉक्टर बिना सर्जरी इस गैस्ट्रिक बैलून को पेट के अंदर फिट करते हैं. इस बैलून में सॉल्ट वाटर भरा रहता है. यह बैलून पेट के अंदर 6 महीनों तक रह सकता है. इसके बाद इसे हटा लिया जाता है. पेट में गैस्ट्रिक बैलून जाने के बाद भूख का एहसास कम होता है जिससे लोग कम खाना खाते हैं और इससे धीरे-धीरे वजन घटने लगता है. गैस्ट्रिक बैलून मुलायम, चिकना और टिकाऊ होता है जो सिलिकॉन रबर से बना होता है. इस बैलून का डिजाइन इस तरह से तैयार किया गया है जिससे पेट में फिट होने के बाद पेट की क्षमता कम हो जाए और पेट भरा हुआ महसूस हो.
गैस्ट्रिक बैलून लगाने के बाद क्या होता है
इस गैस्ट्रिक बैलून को पेट में घुसाया जाता है. डॉक्टर एंडोस्कोपिक ट्यूब के माध्यम से मुंह होकर पेट में घुसाता है. यह पूरी प्रक्रिया में एंडोस्कोपिक ट्यूब में कैमरा लगा होता है जिससे पूरी निगरानी की जाती है. यह गैस्ट्रिक बैलून उन लोगों को लगाया जाता है जिसका बॉडी मास इंडेक्स 30 से 40 के बीच है. 30 से ज्यादा बीएमआई मोटापे का संकेतक है. गैस्ट्रिक बैलून को पेट में घुसाने के लिए सेडेटिव का इस्तेमाल किया जाता है. नशा उतरने के बाद आप घर जा सकते हैं. गैस्ट्रिक बैलून लगाने के दो सप्ताह तक सिर्फ लिक्विड डाइट दी जाती है. इसके बाद धीरे-धीरे रेगूलर डाइट दी जाती है. तीन से चार महीने में असर दिखने लगता है और वजन कम होने लगता है. 6 महीने तक शरीर का 10 से 15 प्रतिशत वजन कम हो जाता है. 6 महीने बाद गैस्ट्रिक बैलून को निकाल लिया जाता है.
इसे भी पढ़ें- Prevention of asthma: सर्दी में क्यों परेशान करने लगता है अस्थमा, जानिए कैसे करें इससे बचाव
इसे भी पढ़ें- महीनों पसीना बहाकर घटा लिया है वजन, मेंटेन नहीं किया तो फिर हो जाएंगे मोटे, अपनाएं ये तरीके
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Health, Health tips, Lifestyle
FIRST PUBLISHED : January 18, 2023, 06:30 IST