
आनंद मोहन/श्रीकाकुलमः घरों के सामने बड़े-बड़े टीले दिखेंगे. इनमें से कुछ टीलों पर गोबर लिपा होगा या कुछ रंग-बिरंगे चित्र होंगे. क्या आप जानते हैं कि यह प्राचीन समय का एक तरीका है, जिससे किसान अपने पसीने से कमाया खजाना महफूज़ रखते हैं? असल में, किसान अपनी फसल या अनाज को बचाने के लिए गड्ढे बनाते हैं और उसे दफन कर देते हैं. यह पुरानी तकनीक किसान आज भी क्यों अपनाते हैं और यह कितनी कारगर है? यह भी दिलचस्प है कि यह कैसे किया जाता है.
सबसे पहले तो यही समझिए कि किसानों के लिए आधुनिक स्टोरेज जैसी सुविधाएं काफी महंगी पड़ती हैं. दूसरे इनमें लंबे समय तक यानी सालों तक अनाज सुरक्षित रहे, इसकी भी गारंटी नहीं मिल पाती. ऐसे में किसानों के पास विकल्प बचता है पारंपरिक तरीकों का. बारिश से नुकसान न हो, कीड़ों से अनाज बचा रहे तो इसके लिए ये किसान गड्ढे और फिर टीले बनाते हैं.
कैसे सुरक्षित रहता है अनाज?
– अनाज को सुरक्षित गाड़ने के लिए कम से कम 6 फीट गहरा गड्ढा खोदा जाता है.
– ध्यान रखा जाता है कि यह गड्ढा गांव में सबसे ऊंची जगह पर हो ताकि अंडरग्राउंड वाॅटर लेवल से खतरा न हो.
– इस गड्ढे में चारे और चिकनी मिट्टी यानी क्ले की कोटिंग की जाती है.
– अनाज ठीक तरह से इसमें रख दिया जाता है.
– इस गड्ढे को बंद कर ऊपर एक टीला सा बना दिया जाता है ताकि गड्ढे के खुलने का खतरा न रहे.
किसान बताते हैं ‘यह सस्ता और भरोसेमंद उपाय है. हम पीड़ियों से यही तरीका अपना रहे हैं. जब भी सरप्लस अनाज होता है या बच जाता है, तो उसे इसी तरह स्टोर करते हैं.’ चूंकि इन गड्ढों में सूखा अनाज होता है इसलिए इन्हें पवित्र समझा जाता है. महिलाएं इन्हें गोबर से लीपती हैं और रंगोलियों से सजाती हैं. ये ग्रामीण बताते हैं ‘इस तरह स्टोर किया गया अनाज पकने में आसान, सेहतमंद तो होता ही है, कभी खरा भी नहीं होता.’
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FIRST PUBLISHED : May 23, 2023, 15:48 IST