Home Life Style घर की इस दिशा में बना टॉयलेट पूरे परिवार को कर सकता है बर्बाद ! जानें बचाव के उपाय

घर की इस दिशा में बना टॉयलेट पूरे परिवार को कर सकता है बर्बाद ! जानें बचाव के उपाय

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घर की इस दिशा में बना टॉयलेट पूरे परिवार को कर सकता है बर्बाद ! जानें बचाव के उपाय

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Vastu Tips for Toilet at Home: घर बनाते समय वास्तु के नियमों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है, इससे घर में सकारात्मकता बनी रहती है. इस आर्टिकल में हम बात करेंगे वास्तु के अनुसार घर में टॉयलेट किस जगह पर होना चाहिए और किस दिशा में बिल्कुल नहीं बनवाना चाहिए. वास्तु शास्त्र में टॉयलेट को घर की नकारात्मक ऊर्जा का केंद्र माना गया है. पुराने समय में टॉयलेट को मुख्य इमारत से दूर बनाया जाता था. लेकिन जब से भारत में पश्चिमी जीवनशैली का प्रभाव बढ़ा है, टॉयलेट अब घर के अंदर ही बनाए जाने लगे हैं. वास्तु शास्त्री अंशुल त्रिपाठी से जानेंगे किस दिशा में टॉयलेट बनवाना चाहिए और घर में किस दिशा में बनवाना परेशानी का कारण बन सकता है.

ईशान कोण का महत्व
ईशान कोण, यानी पूर्वोत्तर का कोना, वास्तुशास्त्र में भगवान शिव का स्थान माना गया है. यह स्थान जल तत्व का प्रतिनिधि है और देवगुरु बृहस्पति की ऊर्जा यहां विद्यमान होती है. इसे घर का सबसे पवित्र और ऊर्जावान स्थान माना गया है. लेकिन जब इस पवित्र कोने में शौचालय बनाया जाता है, तो इससे घर की सकारात्मक ऊर्जा बुरी तरह प्रभावित होती है.

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क्या होता है प्रभाव?

  • घर के सदस्यों की मानसिक स्थिति असंतुलित रहने लगती है.
  • पारिवारिक कलह, आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव बढ़ने लगता है.
  • लक्ष्मी का वास नहीं रहता और लगातार ऋण की वृद्धि देखी जाती है.
  • कई बार वंशवृद्धि में बाधा, या बच्चों की पढ़ाई में मन न लगना जैसी समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं.
  • स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं-जिनका इलाज सामान्य रूप से नहीं हो पाता.
  • विवाह में विलंब, वैवाहिक जीवन में तनाव, स्वास्थ्य में गिरावट.
  • परिवार में प्रेम की कमी जैसी स्थितियां देखने को मिलती हैं.

तुरंत असर नहीं करता वास्तु दोष
वास्तु दोष तुरंत असर नहीं करता. यह कई बार 6 महीने, 1 साल, 7 साल या 21 साल बाद भी सक्रिय होता है. इसलिए यह मत सोचिए कि अभी कोई असर नहीं हो रहा तो दोष नहीं है. यह धीमे ज़हर की तरह पूरे घर की ऊर्जा को प्रभावित करता है.

क्या करें समाधान?

  • अगर संभव हो तो ईशान कोण से शौचालय को हटवाएं और उचित दिशा में स्थानांतरित करें.
  •  अगर हटाना संभव न हो शौचालय के भीतर पूर्वोत्तर कोने में एक शीशे की कटोरी में समुद्री नमक रखें. इसे हर 15 दिन में बदलते रहें.

टॉयलेट के लिए सही दिशा
वास्तु शास्त्र के अनुसार, टॉयलेट को घर के दक्षिण-पश्चिम या पश्चिम दिशा में बनाना सबसे अच्छा माना जाता है. क्‍योंकि इसे विसर्जन की दिशा मानी जाती है.

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टॉयलेट के लिए वास्तु अनुसार रंग
टॉयलेट में गहरे रंग जैसे काला, गहरा नीला और लाल रंग नहीं लगाने चाहिए. हल्के और शांत रंग जैसे ऑफ-व्हाइट या बेज बेहतर होते हैं. दिशा के अनुसार रंग चुनना अच्छा माना जाता है:

उत्तर दिशा – हल्का नीला

पूर्व दिशा – हरा

दक्षिण दिशा – गुलाबी या पीच

पश्चिम दिशा – सफेद

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