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Chanori Bhaji Recipe: गयाबाई ने चनौरी भाजी की रेसिपी के बारे में बताते हुए कहा कि गैस या चूल्हे पर पतीला चढ़ाएं और उसमें एक गिलास पानी डालकर उसमें भीगी हुई चने की दाल डालें. जब पानी उबलने लगे, तब उसमें चनौरी भा…और पढ़ें

चनौरी भाजी को घर पर आसानी से बनाया जा सकता है.
बिलासपुर. छत्तीसगढ़ की पारंपरिक रसोई में कई देसी और पौष्टिक व्यंजन शामिल हैं, जिनमें से एक बेहद लोकप्रिय और स्वादिष्ट व्यंजन है ‘चनौरी भाजी’. यह भाजी खासकर गांवों में अधिक बनाई जाती है और घर के बड़े-बुजुर्गों के स्वाद को भी ताजगी देती है. सादगी भरे मसालों और स्थानीय सब्जियों से बनी यह डिश बेहद आसान और स्वास्थ्यवर्धक होती है. ग्रामीण रसोई में काम कर रही बिलासपुर की गयाबाई ने लोकल 18 को बताया कि इस व्यंजन को बनाने के लिए सबसे पहले एक पाव चनौरी भाजी को साफ कर एक पतीले में रख लें. इसके साथ 6 बड़े टमाटर, दो प्याज, एक कली लहसुन और 8 हरी मिर्च को बारीक काट लें. एक छोटी कटोरी चना दाल को भी एक घंटे तक पानी में भिगोकर रख दें ताकि वह पकने में आसानी हो.
उन्होंने कहा कि टमाटर गल जाने के बाद जो भाजी पहले से उबली हुई रखी थी, उसे तड़के वाली कढ़ाही में डालें. अच्छे से मिलाएं ताकि मसाले हर तरफ से भाजी में समा जाएं. इसे ढककर दो मिनट तक धीमी आंच पर पकने दें. ये आखिरी पकाव भाजी को परफेक्ट स्वाद देता है. अब आपकी पारंपरिक और पौष्टिक छत्तीसगढ़ी चनौरी भाजी परोसने के लिए तैयार है. इसे आप गरमा-गरम रोटी, फुलका, भात या फरा के साथ खा सकते हैं. इसकी देसी खुशबू और चना दाल के साथ मिला गाढ़ा स्वाद खाने वालों के मन को तृप्त कर देता है. छत्तीसगढ़ की यह रेसिपी न सिर्फ पेट को तृप्त करती है बल्कि दिल को भी छू जाती है. अगर आप छत्तीसगढ़ी संस्कृति, स्वाद और परंपरा को अपने भोजन में अपनाना चाहते हैं, तो चनौरी भाजी जरूर आजमाएं. यह रेसिपी आपको आपके गांव की यादों से जोड़ देगी.
विटामिन और मिनरल से भरपूर चनौरी भाजी
डाइटिशियन डॉ कविता पुजारा के अनुसार, चनौरी भाजी एक संतुलित और पौष्टिक भोजन का बेहतरीन उदाहरण है. इसमें उपयोग की गई चना दाल प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होती है, जो न केवल पाचन को दुरुस्त रखती है बल्कि लंबे समय तक पेट भरा हुआ महसूस कराती है. वहीं टमाटर, प्याज और लहसुन जैसे ताजे तत्व इसे एंटी-ऑक्सिडेंट्स से भरपूर बनाते हैं. चनौरी जैसे देसी साग शरीर को जरूरी विटामिन्स और मिनरल्स देते हैं, जो शारीरिक ऊर्जा बढ़ाने में सहायक हैं. डॉ कविता बताती हैं कि यह भाजी खासकर बच्चों, बुजुर्गों और डायबिटीज मरीजों के लिए भी एक हेल्दी विकल्प है क्योंकि इसमें अधिक तेल और मसाले नहीं होते. अगर इसे रोटी या भात के साथ संतुलित मात्रा में खाया जाए, तो यह रोजाना के भोजन में पोषण का आदर्श स्रोत बन सकती है.
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