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राजन चंद्रा
Sal Chicken Gaining Popularity in Jangalmahal: छोटा नागपुर की वादियों में बसा है खूबसूरत जगह जंगलमहल. यह इलाका पश्चिम बंगाल में आता है. घाघरा जंगलमहल अपनी प्राकृतिक छटाओं की वजह से अद्भुत रमणीय स्थल बना हुआ है. यहां दूर-दूर से सैलानी पहाड़ियों पर चट्टानों से गिरते पानी की सरसराहट की आवाज और अलौकिक कुदरती दृश्य का आनंद लेने आते हैं. यह इलाका बेलपहाड़ी के बेहद करीब भी है. दिसंबर और जनवरी के बीच यहां पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है. इन इलाकों में आप प्राकृतिक खूबसूरती के अलावा विभिन्न तरह के जायके का भी लुत्फ उठा सकते हैं. इनमें गांवों का जायका आकर्षण के केंद्र में रहता है. अगर आप अलग-अलग तरह के जायके का टेस्ट लेने में आनंद का अनुभव करते हैं तो यह जगह आपके लिए बेहद मुफीद है, क्योंकि यहां मिलता गांवों का एकदम स्पेशल डिश “साल चिकन”.

साल चिकन
दूर-दूर से आते हैं पर्यटक
घाघरा जंगलमहल पश्चिम बंगाल के झारग्राम में आता है. वैसे तो यहां पूरे साल पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है लेकिन सर्दियों में इनकी संख्या बढ़ जाती है. यहां से थोड़ी दूर पर है बेलपहाड़ी, जहां एक बेहद सुंदर लेकिन शांत झरने की आवाज कलकल करती रहती है. जब आप यहां आएंगे तो यही आपको साल चिकन मिल जाएगा. जिस तरह नाम में नयापन है, उसी तरह सैलानी भी इसे नया समझकर ही खाते हैं. लेकिन खाते ही लोग इसके स्वाद में गुम हो जाते हैं. इस तरह का चिकन आपने शायद ही कहीं खाया होगा. स्थानीय युवा इस साल चिकन को बनाते हैं. सुखलाल मांडी कहते हैं कि पर्यटकों को यह साल चिकन बहुत पसंद आ रहा है. लोग साल चिकन की खुशबू में सरोबार होने लगे हैं.

साल चिकन
साल के पत्ते में बनता है चिकन
जो लोग विभिन्न तरह के स्वाद लेने के शौकीन हैं, उनमें से अधिकांश को साल चिकन के बारे में पता नहीं होगा. साल चिकन का स्वाद एकदम अलग है. इसके लिए इस रेसिपी के बनाने के तरीके के बारे में जानते हैं. इसे बनाने के लिए चिकेन को पहले मेरिनेट किया जाता है. अब इसे साल के पत्ते में बांध दिया जाता है. बांधे हुए साल के पत्ते को लकड़ी की आग में थोड़ी देर तक पकाया जाता है. इसके बाद इसे उतार लिया जाता है. इससे चिकन में जो तेल रहता है वह साल के पत्ते में आ जाता है. यानी चिकन में आपको तेल न के बराबर दिखेगा. अब इसमें से चिकन को निकाल कर साल के पत्ते पर ही परोसा जाता है. कुछ जगहों पर चिकन के साथ पानी में चावल को भीगाकर इसमें मिला दिया जाता है और दोनों को एक साथ साल के पत्ते में बांध कर पकाया जाता है. जब इसे निकाला जाता है तो इसका स्वाद लाजवाब हो जाता है. इसमें साल के पत्ते औक लकड़ी की सौंधी-सौंधी खूशबू आती है. इस चिकन को नमक, नींबू, धनिया पत्ता, मिर्च, टमाटर आदि के साथ परोसा जाता है. इसका स्वाद थोड़ा खट्टा-मीठा होता है और इसमें जली हुई लकड़ी की खुशबू भी आती है.

साल चिकन
ऐसा स्वाद कहीं और नहीं
साल चिकन की कीमत महज 100 रुपये है. पर्यटक प्रियंका चक्रवर्ती ने कहा, ”मैंने बांस का चिकन खाया है लेकिन साल चिकन मेरे लिए बिल्कुल नई रेसिपी है. इसका स्वाद लाजवाब है. यदि आप इसका स्वाद लेना चाहते हैं, तो आपको इस घाघरा में अवश्य आना चाहिए.” साल चिकन घाघरा आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है. पर्यटक खाने की इस नई रेसिपी को एक बार जरूर ट्राई करते हैं. हुगली की रहने वाली अरात्रिका चक्रवर्ती ने कहा कि वाकई इसका लाजवाब टेस्ट था. इस तरह के मीट का टेस्ट अन्य कहीं नहीं मिलता. शहरी इलाकों में तो बिल्कुल नहीं. इस मीट में साल का स्वाद अद्भुत है. साल के कारण ही इसका स्वाद अनोखा बन जाता है. जो लोग स्वाद के शौकीन हैं, वे चिकेन कासा और चिकेन कबाव जैसी वेराइटी से वाकिफ होंगे लेकिन साल के पत्ते में तैयार साल चिकेन एक अलग मजा देगा.
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FIRST PUBLISHED : January 4, 2024, 22:39 IST
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