Home Health घास-फूस के इस पौधे में वैज्ञानिकों ने तलाशी बुढ़ापा भगाने वाली संजीवनी, मिला एंटी-एजिंग का शानदार फॉर्मूला, नाम भी नहीं जानते होंगे आप

घास-फूस के इस पौधे में वैज्ञानिकों ने तलाशी बुढ़ापा भगाने वाली संजीवनी, मिला एंटी-एजिंग का शानदार फॉर्मूला, नाम भी नहीं जानते होंगे आप

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घास-फूस के इस पौधे में वैज्ञानिकों ने तलाशी बुढ़ापा भगाने वाली संजीवनी, मिला एंटी-एजिंग का शानदार फॉर्मूला, नाम भी नहीं जानते होंगे आप

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हाइलाइट्स

अध्ययन में पाया गया कि इस नुकीले और कांटेदार पौंधों में कोलेजन प्रोडक्शन को सक्रिय करने की क्षमता है.
अंग्रेजी में इस पौधे का नाम कोकलेबर (Cocklebur) और हिन्दी में इसे आर्तगल या वनोकरा कहा जाता है.

Cocklebur have anti-aging Properties: आयुर्वेद में हिमालय पर पाए जाने वाले मामूली से मामूली पौंधों में औषधीय गुणों का बखान है. इन कंद-मूल के पौंधों से घातक से घातक बीमारियों के नुस्खे बताए गए हैं. अब विज्ञान भी इस बात को प्रमाणित करने लगा है. शोधकर्ताओं ने एक इसी तरह के घास-फूस के पौधों में ऐसे एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-एंफ्लामेटरी कंपाउंड की खोज की जिनसे बुढापा के असर को भगाया जा सकता है या कम किया जा सकता है. शोधकर्ताओं का दावा है कि इस पौधे के फल में एंटी-एजिंग का शानदार फॉर्मूला है. हैरानी की बात है कि इस पौधे का नाम हममें से बहुत कोई समझ नहीं पाएगा लेकिन जब आप इसकी फोटो देखेंगे तो इसे आसानी से समझ जाएंगे. अंग्रेजी में इस पौधे का नाम कोकलेबर (Cocklebur) और हिन्दी में इसे आर्तगल या वनोकरा कहा जाता है. संस्कृत में इसका नाम नीलपुष्पा है. हालांकि इसके कई क्षेत्रीय नाम भी है.

पिछले ही सप्ताह वनोकरा पौधे को लेकर एक रिसर्च पेपर प्रस्तुत किया गया है. रिसर्च में कहा गया है कि वनोकरा के पौधे को आमतौर पर खर-पतवार माना जाता है लेकिन इसमें कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीइंफ्लामेटरी कंपाउंड हैं जो त्वचा की रक्षा कर उसमें ताजगी ला सकती है.

स्किन के नीचे कोलेजन प्रोडक्शन को बढाने में कामयाब
हेल्थलाइन की खबर के मुताबिक अध्ययन में पाया गया कि इस नुकीले और कांटेदार पौंधों में कोलेजन प्रोडक्शन को सक्रिय करने की क्षमता है. कोलेजन एक प्रकार का प्रोटीन है जो स्किन के नीचे रहता है. यही कोलेजन स्किन को कोमलता प्रदान करता है जिसके कारण स्किन जवान दिखती है. इससे झुर्रियां गायब हो जाती है. यह अध्ययन दक्षिण कोरिया के मयोंगजी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया है. शोधकर्ताओं ने कहा कि अध्ययन के दौरान वनोकरा के फलों में पाए जाने वाले कंपाउंड ने अल्ट्रावायलट किरणों से स्किन को हुए नुकसान को कम किया और स्किन की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं और टिशूज की बहुत तेज गति से मरम्मत कर दी. अमेरिकन सोसाइटी ऑफ बायोकेमिस्ट्री की सालाना बैठक डिस्कवर बीएमबी में पिछले 25 मार्च को शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन को प्रस्तुत किया.

एंटी एजिंग क्रीम के रूप में कारगर
प्रमुख शोधकर्ता इयूनसू सोंग ने कहा कि हमने पाया कि कोकलेबर के फलों में स्किन की रक्षा करने के लिए जबरदस्त क्षमता है और यह कोलेजन प्रोडक्शन को बढ़ाता है. इस लिहाज से यह कॉस्मेटिक क्रीम के रूप में शानदार काम कर सकता है. इससे स्किन को जवान बनाई जा सकती है. उन्होंने बताया कि स्टडी से स्पष्ट है कि यह बहुत बड़ी एंटी-एजिंग क्रीम साबित होने वाली है. वैज्ञानिकों ने वनोकरा के फलों से एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीइंफ्लेमेटरी कंपाउंड को निकालकर इसका सेल कल्चर के माध्यम से
मानव कोशिकाओं जैसे थ्री डी टिशू पर परीक्षण किया. इसके बाद देखा कि इससे स्किन के नीचे जो घाव था वह बहुत तेजी से भर गया और अल्ट्रा वायलेट रेडिएशन से जो स्किन को नुकसान हुआ था, वह भी खत्म हो गया. यानी यह क्रीम घाव को भी भरने में बहुत जल्दी काम करेगी.

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