Sunday, April 20, 2025
Google search engine
HomeWorldचंद्रमा के आसपास होने वाला है ट्रैफिक जाम, जानें चंद्रयान-3 के रास्ते...

चंद्रमा के आसपास होने वाला है ट्रैफिक जाम, जानें चंद्रयान-3 के रास्ते में कौन अटका रहा रोड़े और कैसे निपटेगा ISRO


Image Source : AP
चंद्रमा की तस्वीर।

चंद्रयान-3 के चांद पर उतरने से पहले ही उसे चंद्रमा के आसपास भारी ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ सकता है। इससे भारतीय अंतरिक्ष एवं अनुसंधान संघठन के वैज्ञानिकों में चिंता छा गई है। दरअसल वजह ये है कि चंद्रयान-3 चंद्र चंद्रमा के राजमार्ग पर अकेला नहीं है, बल्कि रूस का लूना 25 मिशन भी आज लॉन्च होने वाला है और 16 अगस्त, 2023 तक इसके चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने की उम्मीद है। इसके अलावा नासा का आर्टेमिस कार्यक्रम के तहत भी चंद्र मिशनों की भी योजना बनाई जा रही है। ऐसे में चंद्र राजमार्ग काफी अधिक व्यस्त होने वाला है। इस परिस्थिति में चंद्रयान-3 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सुरक्षित उतारना इसरो के वैज्ञानिकों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।

फिलहाल भारत के चंद्रयान-3 के रास्ते में ट्रैफिक जाम करने की सबसे बड़ी वजह रूस का लूना 25 मिशन है। इसके अलावा इसी दौरान नासा का आर्टेमिस कार्यक्रम संचालित होना भी चंद्रमा पर ट्रैफिक जाम का कारण बन रहा है। इस दौरान चांद के आसपास कुल 6 मून मिशन एक्टिव हैं और कई पाइपलाइन में हैं। हालात यह है कि जैसे-जैसे भारत का चंद्रयान-3 मिशन चंद्रमा के चारों ओर अपनी कक्षा को कम कर रहा है और उसके दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने के करीब हो रहा है, तैसे-तैसे चंद्रमा की कक्षा अन्य मिशनों की गतिविधियों से भी से गुलजार हो रही है। यही चंद्रमा के राजमार्ग को व्यस्त बना रहा है। 

चंद्रयान-3 के अलावा कई मिशन मून

आपको बता दें कि इस दौरान चंद्रमा के आसपास अंतरिक्ष यान ले जाने वाला भारत अकेला देश नहीं है। जुलाई 2023 तक ही चंद्रमा के आसपास 6 सक्रिय चंद्र मिशन हो चुके हैं, जबकि कई अन्य भी लॉन्च होने वाले हैं। इससे चांद के रास्ते और चंद्रमा की कक्षा में  ट्रैफिक जमा की स्थिति बनी हुई है। । वर्तमान चंद्र यातायात में नासा के चंद्र टोही ऑर्बिटर (एलआरओ), आर्टेमिस के तहत पुनर्निर्मित नासा के थीमिस मिशन के दो जांच, भारत के चंद्रयान -2, कोरिया पाथफाइंडर लूनर ऑर्बिटर (केपीएलओ), और नासा के कैपस्टोन शामिल हैं। वहीं जून 2009 में लॉन्च किया गया एलआरओ, 50 से 200 किमी की ऊंचाई पर चंद्रमा की परिक्रमा करता है, जो चंद्र सतह के उच्च-रिज़ॉल्यूशन मानचित्र प्रदान करता है।

वर्ष 2019 में चंद्रयान-2 का टूट गया था लैंडर से संपर्क

जून 2011 में चंद्र कक्षा में डाले गए ARTEMIS P1 और P2 जांच, लगभग 100 किमी x 19,000 किमी ऊंचाई की स्थिर भूमध्यरेखीय, उच्च-विलक्षण कक्षाओं में काम करते हैं। चंद्रयान-2, 2019 में अपने विक्रम लैंडर से संपर्क टूटने के बावजूद, 100 किमी की ऊंचाई वाली ध्रुवीय कक्षा में काम कर रहा है। केपीएलओ और कैपस्टोन भी चंद्र यातायात में योगदान करते हैं, कैपस्टोन एक नियर-रेक्टिलिनियर हेलो ऑर्बिट (एनआरएचओ) में काम करता है। अधिक ट्रैफ़िक आने से अब चंद्र राजमार्ग व्यस्त होने वाला है। रूस कामिशन लूना -25  10 अगस्त, 2023 को लॉन्च होने वाला है और 16 अगस्त, 2023 तक चंद्र कक्षा में पहुंचने की उम्मीद है। मिशन का लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का पता लगाना है, जो 47 साल के अंतराल के बाद चंद्रमा की सतह पर रूस की वापसी का प्रतीक है। लूना 25 100 किमी की ऊंचाई वाली कक्षा में चंद्र कक्षाओं में शामिल होगा और 21-23 अगस्त, 2023 के बीच चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला है।

बढ़ने वाली है मून मिशन की तादाद

लूना 25 के अलावा, नासा का आर्टेमिस कार्यक्रम चल रहे चंद्र मिशनों की भी योजना बना रहा है। आर्टेमिस 1, एक मानव रहित परीक्षण उड़ान ने 2022 के अंत में चंद्रमा की परिक्रमा की और उससे आगे उड़ान भरी। भविष्य के आर्टेमिस मिशनों से चंद्र यातायात में वृद्धि होने की उम्मीद है। चंद्र अभियानों की बढ़ती संख्या के साथ, चंद्रमा वैज्ञानिक खोज और अन्वेषण का केंद्र बनता जा रहा है। हालाँकि, चंद्र यातायात में यह वृद्धि संभावित टकरावों से बचने और इन महत्वाकांक्षी मिशनों की सफलता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न कक्षाओं के समन्वय और प्रबंधन में चुनौतियां भी प्रस्तुत करती है। जैसे-जैसे हम सितारों तक पहुंचना जारी रखते हैं, ऐसा लगता है कि चंद्रमा अंतरिक्ष अन्वेषण की यात्रा में एक व्यस्त पड़ाव बनता जा रहा है। इसलिए इसरो के वैज्ञानिक चंद्रमा पर ट्रैफिक जाम में फंसने से बचने का रास्ता अभी से खोजने में जुट गए हैं।

Latest World News





Source link

RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments