Saturday, December 14, 2024
Google search engine
HomeNationalचंद्रयान-3 बनाने से लेकर लैंडिग तक यूपी के इन वैज्ञानिकों का रहा...

चंद्रयान-3 बनाने से लेकर लैंडिग तक यूपी के इन वैज्ञानिकों का रहा योगदान, किसी ने कैमरा डिजाइन किया तो कोई रख रहा था कंट्रोलिंग पर नजर


भारत के लिए 23 अगस्त का दिन खास रहा। विक्रम लैंडर के चांद की सतह पर कदम रखते ही भारतवासियों के चेहरे पर खुशी आ गई। इस ऐतिहासिक पल का सबको बेसब्री से इंतजार था। हालांकि बुधवार की शाम 6 बजे तक दिल धड़कने बढ़ गईं थी। लेकिन जब छह बजकर तीन मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर स सॉफ्ट लैंडिंग हुई तो सबके जान में जान आई। ऐसा कारनामा करने वाला भारत चौथा देश बन गया है। इससे पहले मिशन मून को अमेरिका, रूस और चीन अंजाम दे चुके हैं। खास बात ये है कि चंद्रयान-3 मिशन में यूपी के कई वैज्ञानिकों का भी योगदान है। किसी ने कैमरा डिजाइन किया था तो कोई चंद्रयान के हर पल पर निगरानी रख रहा था। 

फतेहपुर के सुमित की टीम ने डिजाइन किया है कैमरा

चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर में लगे अत्याधुनिक कैमरों को फतेहपुर के अंतरिक्ष विज्ञानी सुमित कुमार और उनकी टीम ने डिजाइन किया है। सुमित साल 2008 से इसरो के अहमदाबाद स्थित केंद्र में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। सुमित और उनकी टीम ने चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर में लगे पांच कैमरों को अत्याधुनिक तरीके से डिजाइन किया है। पेलोड में लगे कैमरों ने लैंडर और रोवर को चांद पर ठहरने का स्थान और दिशा दिखाने में मदद की है। आगे भी रोवर चंद्रमा की मिट्टी का आकलन करेगा और आंकड़े लैंडर को भेजेगा। सुमित कुमार खागा स्थित विजयनगर के रहने वाले हैं। इन्होंने इंटर की पढ़ाई कस्बे के शुकदेव इंटर कॉलेज से की है। फिर लखनऊ से इलेक्ट्रानिक्स एवं कम्युनिकेशन ब्रांच से बीटेक किया। 

 

उन्नाव के आशीष का लांचिंग से लेकर लैंडर प्रोपल्शन सिस्टम में रहा रोल

लांचिंग से लेकर लैंडर प्रोपल्शन सिस्टम के विकास में युवा अंतरिक्ष वैज्ञानिक आशीष मिश्रा का अहम योगदान है। आशीष ने हाईस्कूत सेंट लॉरेंस और इंटर सेंट ज्यूड्स कॉलेज से किया। आशीष विशेष रूप से नियंत्रण इलेक्ट्रॉनिक्स और थ्रॉटलिंग वाल्वो के विकास में सहायक सदस्य रहे हैं, जो चन्द्रयान-3 की लैंडिंग के लिए महत्वपूर्ण होता है। साल 2008 से इसरो में काम शुरू किया था। पीएसएलवी, जीएसएलवी और एलवीएम-3 में भी योगदान है। आशीष को इसरो में 14 साल का अनुभव है। वह नियंत्रण इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में हैं और पीएसएलवी, जीएसएलवी और एलवीएम-3 में योगदान दे चुके हैं।

प्रयागराज के वैज्ञानिक ने उतारने के लिए डिटेक्शन मैकेनिज्म बनाया

वैज्ञानिक हरिशंकर गुप्ता चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 को सुरक्षित उतारने के लिए हेजार्डस डिटेक्शन मैकेनिज्म बनाया है। इस मैकेनिज्म से चंद्रमा की सतह पर उतरने के दौरान लैंडर खुद ही क्रेटर या गड्ढे के खतरे को भांप लेगा और स्वयं सुरक्षित सतह को खोजकर लैंड करेगा। इसमें इंटेलिजेंस सेंसर प्रयोग किए गए हैं। हरिशंकर ने बताया कि चंद्रयान-2 में ऑर्बिटर और लैंडर था। आर्बिटर तो वहीं है पर पिछली खामी को ध्यान में रखते हुए उनकी टीम को लैंडिंग के लिए रडार डिजाइन करना था।

आर्बिटर तो वहीं है पर पिछली खामी को ध्यान में रखते हुए लैंडिंग के लिए रडार डिजाइन करना था। वे चंद्रयान-1, और चंद्रयान-2 में भी शामिल रहे हैं। लांचिंग से लेकर लैंडर प्रोपल्शन सिस्टम के विकास में युवा अंतरिक्ष वैज्ञानिक आशीष मिश्रा का अहम योगदान है। आशीष विशेष रूप से नियंत्रण इलेक्ट्रॉनिक्स और थ्रॉटलिंग वाल्वो के विकास में सहायक सदस्य रहे हैं, जो चन्द्रयान-3 की लैंडिंग के लिए महत्वपूर्ण होता है। साल 2008 से इसरो में काम शुरू किया था। पीएसएलवी, जीएसएलवी और एलवीएम-3 में भी योगदान है। आशीष को इसरो में 14 साल का अनुभव है। वह नियंत्रण इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में हैं और पीएसएलवी, जीएसएलवी और एलवीएम-3 में योगदान दे चुके हैं।

चंद्रयान-3 अभियान में मुरादाबाद के तीन वैज्ञानिक

 चंद्रयान-3 मिशन को सफल बनाने के लिए शहर के तीन वैज्ञानिक मेघ भटनागर, अनीश रमन सक्सेना और रजत प्रताप सिंह की अहम भूमिका है। इसरो में कार्यरत मेघ भटनागर चंद्रयान 3 का ब्रेन माने जा रहे ऑनबोर्ड सॉफ्टवेयर के क्वालिटी कंट्रोलिंग का जिम्मा संभाल रहे हैं। इसी से चंद्रयान सही रास्ता ढूंढकर लक्ष्य की तरफ बढ़ रहा है। रजत प्रताप सिंह ने चंद्रयान को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचाने वाले रॉकेट की कंट्रोलिंग करके इस मिशन का हिस्सा बने हैं। अनीश रमन सक्सेना मिशन चंद्रयान वन से अपना सक्रिय योगदान कर रहे हैं।

लैंडिंग से लेकर कंट्रोलिंग में मिर्जापुर के वैज्ञानिक की अहम भूमिका

चंद्रयान-3 की लैंडिंग से लेकर कंट्रोलिंग में मिर्जापुर के लाल आलोक पांडेय की अहम भूमिका है। भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त आलोक के पिता संतोष पांडेय ने बताया कि मंगलयान अभियान-2 में बेहतर कार्य करने पर आलोक को इसरो ने उत्कृष्ट वैज्ञानिक पुरस्कार दिया था। इसी को देखते हुए चंद्रयान-3 की लैंडिंग और कम्युनिकेशन की जिम्मेदारी उन्हें मिली। आलोक ने पिता को बताया है कि चंद्रयान-3 सही दिशा में जा रहा और कंट्रोलिंग बेहतर है। मिशन की सफलता 100 फीसदी निश्चित है।

फिरोजाबाद के किसान का बेटा भी मिशन में शामिल

फिरोजाबाद के टिकरी गांव निवासी किसान शंभू दयाल यादव के बड़े पुत्र धर्मेंद्र प्रताप यादव चंद्रयान-3 मिशन में शामिल हैं। धर्मेंद्र बेंगलुरु के इसरो में 2011 से वरिष्ठ वैज्ञानिक के पद पर तैनात रहकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने मंगलयान से लेकर चंद्रयान-1 और चंद्रयान 2 चंद्रयान में भी भाग लिया।

प्रतापगढ़ ‘शेप’ के जरिए पृथ्वी से प्रकाश ले रह

चंद्रयान-3 में ‘शेप’ (एसएचएपीई) लगाने का काम प्रतापगढ़ के रवि केसरवानी और उनकी टीम ने किया है। रवि के अनुसार अब तक यान को चंद्रमा से रिफलेक्ट होने वाला प्रकाश मिलता है। ‘शेप’ लगने से यान सीधे धरती से जुड़कर प्रकाश ले रहा है। ऐसा पहली बार हुआ है।



Source link

RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments