साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में कार्यरत संस्थान ‘स्वयं प्रकाश स्मृति न्यास’ ने वार्षिक सम्मान की घोषणा कर दी है. इस वर्ष का ‘स्वयं प्रकाश स्मृति सम्मान’ चर्चित कथाकार चंदन पांडेय को प्रदान किया जाएगा. न्यास पदाधिकारी डॉ. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर के इस सम्मान में इस बार उपन्यास विधा के लिए सुपरिचित कथाकार चन्दन पांडेय के उपन्यास ‘कीर्तिगान’ को दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि सम्मान के लिए तीन सदस्यी निर्णायक मंडल ने सर्वसम्मति से चंदन पांडेय के उपन्यास ‘कीर्तिगान’ को वर्ष 2023 के लिए चयनित करने की अनुशंसा की है.
डॉ. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने बताया कि जनवरी में आयोज्य समारोह में उपन्यासकार चंदन पांडेय को सम्मान में ग्यारह हजार रुपये, प्रशस्ति पत्र और शॉल भेंट किए जाएंगे. इस सम्मान के लिए देश भर से बड़ी संख्या में प्रविष्टियां प्राप्त हुई थीं जिनमें से प्राथमिक चयन के बाद पांच उपन्यासों को निर्णायकों के पास भेजा गया. साहित्य और लोकतान्त्रिक विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए गठित स्वयं प्रकाश स्मृति न्यास में कवि राजेश जोशी (भोपाल), आलोचक दुर्गाप्रसाद अग्रवाल (जयपुर), कवि-आलोचक आशीष त्रिपाठी (बनारस), आलोचक पल्लव (दिल्ली), इंजी अंकिता सावंत (मुंबई) और अपूर्वा माथुर (दिल्ली) सदस्य हैं.
निर्णायक मंडल के वरिष्ठतम सदस्य काशीनाथ सिंह ने अपनी संस्तुति में कहा कि यह उपन्यास एक युवा कथाकार की बड़ी संभावनाओं को उजागर करता है. उन्होंने कहा कि उनका लेखन हमारे देशकाल के जटिल और मनुष्यविरोधी यथार्थ का सम्यक उद्घाटन करता है.
निर्णायक मंडल के दूसरे सदस्य कवि-कथाकार राजेश जोशी ने संस्तुति में कहा कि चंदन पांडेय का गद्य लेखन स्वयं प्रकाश के सरोकारों और संकल्पों की याद दिलाता है. उन्होंने कहा कि कहानी के बाद अपने दो उपन्यासों से चंदन पंडेय ने अपने लेखन की प्रतिबद्धता दर्शाई है.
तीसरे निर्णायक कवि-गद्यकार और पत्रकार प्रियदर्शन ने कहा कि हमारे समकालीन मुद्दों और विडम्बनाओं को ‘कीर्तिगान’ उपन्यास सम्बोधित करता है.
स्वयं प्रकाश
मूलत: राजस्थान के अजमेर निवासी स्वयं प्रकाश हिंदी कथा साहित्य के क्षेत्र में मौलिक योगदान के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने ढाई सौ के आसपास कहानियां लिखीं और उनके पांच उपन्यास भी प्रकाशित हुए थे. इनके अतिरिक्त नाटक,रेखाचित्र, संस्मरण, निबंध और बाल साहित्य में भी अपने अवदान के लिए स्वयं प्रकाश को हिंदी संसार में जाना जाता है. उन्हें भारत सरकार की साहित्य अकादमी सहित देश भर की विभिन्न अकादमियों और संस्थाओं से अनेक पुरस्कार और सम्मान मिले थे. उनके लेखन पर अनेक विश्वविद्यालयों में शोध कार्य हुआ है तथा उनके साहित्य के मूल्यांकन की दृष्टि से अनेक पत्रिकाओं ने विशेषांक भी प्रकाशित किए हैं.
20 जनवरी, 1947 को इंदौर में जन्मे स्वयं प्रकाश का निधन कैंसर के कारण 7 दिसम्बर, 2019 को हो गया था. लम्बे समय से वे भोपाल में निवास कर रहे थे और यहां से निकलने वाली पत्रिकाओं ‘वसुधा’ तथा ‘चकमक’ के सम्पादन से भी जुड़े रहे.
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FIRST PUBLISHED : September 16, 2023, 21:05 IST