Wednesday, March 12, 2025
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चरवाहों की बेटियों ने पास की NEET UG परीक्षा, गांव की स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर होने की उम्मीद


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NEET UG 2023: जयपुर के दूर-दराज वाले एक गांव नांगल तुलसीदास में स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर केवल एएनएम सेंटर है। यानी यहां डिप्लोमा होल्डर कर्मचारी तो होते हैं लेकिन उनके पास इलाज करने की मान्यता या प्रमाणपत्र नहीं है। इस गांव के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गांव से 2.5 किमी की दूरी पर मौजूद दूसरे गांव में। वहीं सबसे नजदीक का जो प्राइवेट हॉस्पिटल है वह भी नांगल तुलसीदास गांव से 18 किमी की दूरी पर है। यदि स्वास्थ्य संबंधी कोई अन्य आवश्यकता हो तो गांव वालों को 25 किमी चलकर जयपुर जाना होता है।

लेकिन इन्हीं सब अभावों के बीच गांव की ही दो बेटियों ने नीट यूजी 2023 पास करके गांववालों के लिए उम्मीद की नई किरण बन गई हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीणों में आश जगी है कि एक इलाज के लिए बाहर भागने की समस्या अब एक दिन खत्म हो जाएगी। मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (NEET UG) को इन बेटियों ने अंच्छे अंकों से पास की है। ऋतु और करीना यादव दोनों गांव के चरवाहों की बेटियां हैं और आपस में चचेरी बहनें हैं। एक ने अपने दूसरे प्रयास में नीट पास की है तो दूसरी ने चौथे प्रयास में सफलता हासिल की है। ऋतु ने 645 अंक लाकर ऑल इंडिया लेवल पर 8179 रैंक प्राप्त की है तो वहीं दूसरी बहन करीना ने  680 अंक लाकर एआईआर 1621 प्राप्त की है।

अपने गांव की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर बात करते हुए करीना यादव ने कहा, “प्रत्येक गांव में समुचित स्वास्थ्य व्यवस्था होनी चाहिए। मैं उम्मीद करती हूं कि मैं अपने गांव में कुछ बदलाव ला सकूंगी।”

ऋतु और करीना दोनों चचेरी बहनें हैं। ऋतु के पिता हनुमान सहाय यादव और करीना यादव के पिता नन्चुराम यादव हैं जो बकरियां चराकर जीवन यापन करते हैं। दोनों के परिवार अलग-अलग रहते हैं। ऋतु के पिता 10वीं तक पढ़े हैं और मां 8वीं तक पढ़ी हैं। वहीं करीना के माता-पिता निरक्षर हैं। इतना ही नहीं इन लोगों के पास अभी तक अपना पक्का मकान भी नहीं है।

इन होनहार बेटियों के परिवार में समस्याएं बस यहीं समाप्त नहीं होतीं। ऋतु के पिता को 2002 में मालूम पड़ा कि उनके आंख में कुछ दिक्कत है। उन्हें जांच कराई तो पता चला कि आंख की नसें मांसपेशियां कमजोर हैं। इसका उन्होंने 2011 में इलाज कराया तो 30 फीसदी रोशनी बची। इसके बाद दूसरी आंख में भी दिक्कत हुई तो उन्होंने ऑपरेशन कराया लेकिन आंख की रोशनी नहीं लौटी।

एक आंख की रोशनी जाने के बाद चरवाहे हनुमान सहाय का बकरियां पालने का काम भी ठप पड़ गया है। वहीं दूसरी बेटी करीना के पिता नन्चुराम को फेफड़ों का कैंसर है जिसका अभी इलाज चल रहा है।



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