हाइलाइट्स
अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड पेट में पहुंचकर गुड बैक्टीरिया को मार देता है जिसके कारण आंत की लाइनिंग पर असर होता है.
आजकल बैरीज में एडेड शुगर, सॉल्ट मिलाकर बेचा जाता है जो काफी नुकसानदेह है.
Ultra-Processed Food Harmful Effects: हममें से शायद ही कोई होगा जिसने जीवन में कभी चिप्स, कुकीज या कॉर्न फ्लेक्स, सॉफ्ट ड्रिंक, फ्रोजन फूड आदि का सेवन नहीं किया होगा. आमतौर पर ये चीजें तैयार होने की प्रक्रिया में तीन लेयर से होकर गुजरती है और इसलिए इसे अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड कहते हैं. पिछले कई सालों से इन फूड के हानिकारक प्रभाव को लेकर रिसर्च होती रही है. लगभग सभी रिसर्च में दावा किया जाता रहा है कि अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड शरीर को कई तरह से नुकसान पहुंचा रहे है जिसके कारण ब्लड प्रेशर, मोटापा, हार्ट डिजीज, डाइजेशन प्रोब्लम आदि की गंभीर समस्या पैदा हो रही है. इसके बावजूद अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड का इस्तेमाल और बढ़ ही रहा है.
अपोलो अस्पताल, बेंगलुरु में न्यूट्रिशन और डायटीशियन विभाग की प्रमुख और चीफ क्लीनिकल डायटीशियन डॉ. प्रियंका रोहतगी ने इस मुद्दे पर न्यूज 18 से गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पहले की रिसर्च में यह बात सामने आ चुकी है कि अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड से डाइजेशन संबंधी दिक्कतें आती हैं लेकिन अब यह साबित हो चुका है कि आंत की लाइनिंग का सीधा संबंध दिमाग से जुड़ा हुआ है और अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड सीधे दिमाग को नुकसान पहुंचा रहा है.
समझदारी या बौद्धिक क्षमता पर असर
डॉ. प्रियंका रोहतगी ने बताया कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड बनाने की प्रक्रिया में बार-बार उसमें केमिकल मिलाया जाता है. इस कारण उस फूड में जितने भी पोषक तत्व होते हैं, उनमें से अधिकांश निकल जाते हैं. खासकर पानी में घुलनशील, विटामिन बी कॉम्पलेक्स, मिनिरल्स, मैग्नीज, पोटैशियम जैसे तत्व निकल जाते हैं. वहीं जो तत्व बच जाते हैं वह भी अपने मूल स्वरूप में नहीं रहते. इस तरह से उस फूड का पूरा न्यूट्रिशनल कंपोजिशन बदल जाता है. इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस फूड को खाने से शरीर पर कितना असर होगा. डॉ रोहतगी ने बताया कि पहले यह समझा जाता था कि मैदा जो कि अल्ट्रा प्रोसेस्ड है, से सिर्फ आंत को नुकसान पहुंचता है लेकिन अब यह साबित हो चुका है कि आंत के तार सीधे दिमाग से जुड़े हुए हैं और अगर आंत की लाइनिंग में दिक्कत हुई तो इसका असर दिमाग पर पड़ेगा ही. उन्होंने कहा कि बहुत सारी स्टडी में देखा गया कि फास्ट फूड, फ्रोजन आइटम को फ्राई करने के बाद जो चीजें बनाई जाती है, उनका सेवन करने से डिमेंशिया, पर्किंसन की बीमारी होने लगी है. नियमित रूप से अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड का सेवन करने पर समझ से संबंधित दोष पैदा होने लगता है. यानी व्यक्ति में समझदारी या बौद्धिक क्षमता कम होने लगती है.
हिडेन सॉल्ट से कई बीमारियां
डॉ. प्रियंका रोहतगी कहती हैं, “केक, पेस्ट्री, चॉकलेट, ड्राइड फ्रूट, बैरी आदि को टेस्टी बनाने के लिए कई चीजें इनमें एड की जाती है. इसे प्रिजर्व करने के लिए इसमें अतिरिक्त नमक और चीनी मिलाई जाती है. यहां तक कि चॉकलेट जो खाने में मीठा होता है, उसमें भी बहुत अधिक मात्रा में नमक मिलाया जाता है. इन चीजों में सोडियम की अधिक मात्रा होने से हार्ट की क्षमता पर सीधा असर होता है. बहुत कम उम्र से बच्चों को हम ये सब दे रहे हैं. इसलिए आगे जाकर उनमें समझ से संबंधित दिक्कतें पैदा हो सकती है.” डॉ प्रियंका रोहतगी ने बताया कि यंग एज में आजकल जो हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं, उसका बहुत बड़ा कारण अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड है. ये लोग जाने-अनजाने में ड्राइड फ्रूट, फास्ट फूड, सिंथेटिक फूड का सेवन करने लगे हैं जिसके कारण आर्टरीज में डिपॉजिशन होने लगता है यानी बैड कोलेस्ट्रॉल जमने लगता है. इसका परिणाम हार्ट अटैक के रूप में सामने आता है. दो मिनट के नूडल्स, पास्ता के चक्कर में हम अपनी हेल्थ खराब कर रहे हैं.
लिवर होने लगता है खराब
डॉ प्रियंका रोहतगी ने बताया कि अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड को ज्यादा दिनों तक चलाया जाता है. इसलिए इसमें कई हानिकारक चीजों को मिलाया जाता है. इन चीजों में सोडियम कंटेंट तो ज्यादा रहता ही है, ज्यादा दिनों तक प्रिजर्व रखने के लिए आर्टिफिशयल कलर और फूड रेगुलेटर भी एड किया जाता है. नॉन-वेजिटेरियन खाना में ये चीजें ज्यादा मिलाई जाती है. इन डब्बाबंद पैकेट पर कंपनियां इसमें मिले सामग्रियों की सूची देती है. लेकिन इन सूची में ज्यादातर चीजों को छुपा लिया जाता है. कुछ का नाम इस तरह लिखा जाता है कि आमलोगों को पता ही नहीं होता है कि ये चीजें क्या हैं. डॉ प्रियंका कहती हैं कि पैकेटबंद डिब्बे पर कलर के रूप में ई-2, ई-21 या ई-26 जैसे शब्द लिखे होते हैं. ये हानिकारक रसायन हैं.
इसी तरह एसिड रेगुलेटर के रूप में आईएनएस 330 लिखा होता है. इसे साइट्रिक एसिड के रूप में भी लिखा होता है लेकिन यह नेचुरल साइट्रिक एसिड से बहुत अलग है. डॉ. प्रियंका रोहतगी ने बताया कि इन एडेड कंपाउड का सबसे अधिक नुकसान लिवर को होता है. इससे लिवर की खतरनाक बीमारी नॉन-अल्कोहलकि फैटी लिवर डिजीज हो सकता है. यह पेट में पहुंचकर गुड बैक्टीरिया को मार देता है जिसके कारण आंत की लाइनिंग पर असर होता है और यह दिमाग को सिग्नल देता है. लिवर के अलावा ये चीजें किडनी पर भी असर करती हैं. किडनी पर अतिरिक्त बोझ बढ़ा जाता है.
क्या होता है अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड
डॉ प्रियंका रोहतगी ने इसे बहुत ही सहज तरीके से समझाते हुए कहा कि जब हम लोग मक्के की रोटी बनाते हैं तो यह एकदम नेचुरल होता है. लेकिन मक्के से अगर हमने पॉपकॉर्न बना लिया तो यह प्रोसेस्ड हो गया लेकिन जब इसे कॉर्न फ्लेक्स बनाया तो यह अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड है. इसी तरह गेंहू से आटा नेचुरल चीज हुई लेकिन जब इससे सूजी बनाई जाती है तो यह प्रोसेस्ड हो जाता है और जब इससे मैदा बनाया जाता है तो यह अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड हो गया.
बाजार में खाने की जितनी चीजें पैकेट में बंद होती है वे सब लगभग अल्ट्रा प्रोसेस्ड होते हैं. डॉ रोहतगी ने बताया कि आजकल बैरीज में एडेड शुगर, सॉल्ट मिलाकर बेचा जाता है. पहले ये सब भारत में नहीं मिलता था. लेकिन अब यह अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड खूब मिलने लगा है. यहां तक कि आप कुछ चीजों को फ्रीज में रख देते हैं और उसे बाद में निकाल कर फ्राई कर देते हैं, वह भी अल्ट्रा प्रोसेस्ड हो गया. चिप्स, नमकीन, कोल्ड्रिंक्स, फ्रोजन पिज्जा या फ्रोजन फूड्स, बीयर, बेकरी आइटम, साइडर, पनीर, बिस्कुट, आइसक्रीम, केक मिक्स, जेली, जैम, शर्बत, सॉस, प्रिजर्व, मिठाई, सूप, वाइन, प्रिजर्व सब्जियां, डिब्बाबंद फल, भोजन आदि कई अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड है.
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Tags: Health, Health tips, Lifestyle
FIRST PUBLISHED : February 27, 2023, 13:31 IST