WSJ की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि Apple के अलावा अन्य फोन निर्माताओं का नाम नहीं लिया गया। Apple और चीन के स्टेट काउंसिल इंफॉर्मेशन ऑफिस की तरफ से इस बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है। चीन अपने यूजर्स और देश के डाटा को लेकर चिंतित है। ऐसे में चीनी सरकार ने अपनी सभी सरकारी कंपनियों को कहा है कि वो टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर बनें जिससे अमेरिका को तकनीक के मामले में कड़ी टक्कर दी जा सके।
बीजिंग में उठाया गया यह नया कदम एप्पल को नुकसान पहुंचा सकता है। बता दें कि अमेरिका के बाद यह उसका सबसे बड़ा बाजार है। चीन का यह कदम देश में स्वदेशी ब्रांड्स के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करना भी कहा जा रहा है। इसके अलावा चीन-अमेरिका के बीच बढ़ रही टेंशन के चलते एपल ने भारत में अपने प्रोडक्शन को फैलाया है। कहा जा रहा है कि धीरे-धीरे से अपना मार्केट समेट लेगा और यही वजह मानी जा रही है कि चीन ने आईफोन न इस्तेमाल करने का फैसला दिया है। आपको बता दें कि जल्द ही आईफोन की नई सीरीज लॉन्च होने जा रही है। आईफोन 15 सीरीज के लॉन्च होने से पहले चीन का यह फैसला कंपनी पर नेगेटिव असर भी डाल सकता है।
चीन और अमेरिका के बीच चिप इंडस्ट्री को लेकर तकरार है। अमेरिका, चीन की मोनोपॉली को खत्म करने की कोशिश कर रही है। चिप मं जो भी कंपोनेंट इस्तेमाल होते हैं उस पर अमेरिका रोक लगा रही हैं। इसका जवाब देते हुए चीन ने भी अमेरिकी एयरक्राफ्ट मेकर बोइंग और चिप कंपनी माइक्रोन टेक्नोलॉजी समेत कई शिपमेंट्स पर रोक लगाई है।