पिथौरागढ़. चीन और नेपाल बॉर्डर पर लिपुलेख तक रोड बनाने पर बीआरओ ने भले ही जमकर वाहवाही लूटी हो, लेकिन बरसात में इस रोड की दर्दशा ने बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (BRO) की पोल खोल दी है. लिपुलेख रोड के अलावा दारमा, चौंदास और मिलम घाटी को जोड़ने वाली सड़कें बेहाल हैं. हालात तो ये हैं कि बीते 3 महीनों में लिपुलेख रोड 90 फीसदी मौके पर लैंडस्लाइड के कारण बंद ही रही. बॉर्डर की इस रोड में लगातार हो लैंडस्लाइड के कारण आदि कैलास यात्रा को भी स्थगित करनी पड़ी. रोड की बद्हाली से जहां बॉर्डर के हजारों लोग परेशान हैं, वहीं सुरक्षा बलों को भी खासी दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं.
सड़क बंद होने से थमी रफ्तार
- लिपुलेख के अलावा मिलम बॉर्डर को जोड़ने वाली थल-मुनस्यारी और जौलजीबी-मुनस्यारी रोड का भी बुरा हाल है.
- इस सड़क के बंद होने से कई इलाकों में जरूरी चीजों तक का संकट खड़ा हो गया है.
- मुनस्यारी को जोड़ने वाली दोनों अहम सड़कें 14 दिनों से बंद पड़ी हैं.
- यहां की अधिकांश सड़कों की देखरेख जहां बीआरओ करती है, वहीं दारमा घाटी को जोड़ने वाली रोड सीपीडब्ल्यूडी के हवाले है.
- क्षेत्रीय विधायक हरीश धामी बॉर्डर की सड़कों की खस्ताहाली के लिए बीआरओ को जिम्मेदार ठहराते हुए केन्द्र सरकार से सख्ती की मांग कर रहे हैं.
सुरक्षा के लिहाज से जरूरी
चीन और नेपाल बॉर्डर को जोड़ने वाली ये सड़कें सामरिक लिहाज से तो अहम है हीं. साथ ही ये बॉर्डर पर बसे हजारों लोगों की इकलौती लाइफ लाइन भी हैं. ऐसे में इन सड़कों को सुधारने के लिए एजेंसियों को पूरी गंभीरता दिखाने की जरूरत है, ताकि देश की सुरक्षा पर कोई आंच न आए. इसके साथ ही बॉर्डर के लोग भी शेष दुनिया से जुड़ सकेंगे. हालांकि बॉर्डर रोड्स की दुर्दशा पर अब रक्षा मंत्रालय ने सभी एजेंसियों को सख्ती के साथ सचेत भी किया है. केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट का कहना है कि बॉर्डर की रोड को सुधारने के लिए जरूरी बजट दिया जा रहा है, साथ ही कार्यदायी संस्थाओं को सख्त निर्देश भी दिए जा रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : August 30, 2023, 13:38 IST