Home National चुनौतियां अब भी बरकरार, 2017 की खामियों को दूर करने में कितनी कारगर साबित होगी कांग्रेस की रणनीति?

चुनौतियां अब भी बरकरार, 2017 की खामियों को दूर करने में कितनी कारगर साबित होगी कांग्रेस की रणनीति?

0
चुनौतियां अब भी बरकरार, 2017 की खामियों को दूर करने में कितनी कारगर साबित होगी कांग्रेस की रणनीति?

[ad_1]

ऐप पर पढ़ें

Moradabad Municipal Corporation: 2017 में हुए नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस ने मुरादाबाद शहर में महापौर बद पर अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन पार्षदों की रेस में पिछड़ गए थे। पार्टी के कुल दस पार्षद ही जीते। इस बार भी कांग्रेस के सामने चुनौती कम नहीं है। कांग्रेस ने इस बार पार्टी महापौर पद पर वोटों के मामले में और पार्षदों की संख्या के मामले में आगे निकलना चाहती है। इसके अलावा उसने पुराने खामियों को दूर करने के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी है। हालांकि कांग्रेस पिछले चुनावों की खामियों को दूर करने में कितनी सफल होगी? इसका पता तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही चलेगा।

महपौर के पिछले चुनाव में कांग्रेस भाजपा से कड़ा मुकाबला कर रनर अप रहीं। 2017 में कांग्रेस को 73 हजार वोट मिले। यह आंकड़ा पिछले पांच नगर निगम महापौर के कुल मतों से कुछ ही कम है। महापौर में इतने मत बंटोरने वाली कांग्रेस इसके बाद भी वार्डो में पिछड़ गई। यही नहीं पार्टी 15 वार्डो में अपने उम्मीदवार हीं नहीं उतार पाई। दस वार्ड जीत कर कांग्रेस 18 वार्डो में दूसरे नंबर पर रहीं। पिछली खामियों को दूर कर इस बार कांग्रेस के आला नेताओं ने खुद कमान संभाल रहे है। सिंबल पहले से आवंटित करने से लेकर टिकट बंटवारे की जमीनी स्तर पर पड़ताल की गई। 1995 में नगर निगम का पहला चुनाव कांग्रेस के लिए निराशाजनक रहा।

2007 व 12 के चुनाव में कांग्रेस ने वोट तो बंटोरे पर लक्ष्य तक नहीं पहुंचे। वहीं पिछली बार कांग्रेस के खाते में 73 हजार से ज्यादा वोट मिले। पार्टी 21 हजार वोटों से पिछड़ गई। 70 में 55 वार्डो में प्रत्याशी रहे। मगर पर उनमें 18 वार्डो पर ही पार्टी चुनावी संघर्ष करती नजर आई। वार्ड-66 व 63 में प्रत्याशी करीबी लड़ाई में हार गए। इस बार कांग्रेस मुरादाबाद नगर निगम को लेकर गंभीर है। संगठन के माहिर वरिष्ठ नेता नसीमुद्दीन सिद्धीकी ने कमान संभाली है। टिकट बंटवारे की भी मानीटरिंग की गई। अब देखना है कांग्रेस की रणनीति कितनी कारगर साबित होती है।

वर्ष                कुल मत

1995             5310

2000             13000 (लगभग)

2007             37000 (लगभग)

2012             25990 (11.65)

2016              6603 उप चुनाव (5.02)

2017              73042 (27.5)

महापौर पद पर कांग्रेस का प्रदर्शन

महापौर के पहले चुनाव में पार्टी को सबसे कम और पिछले चुनाव में सर्वाधिक वोट हासिल हुए। पहले चुनाव में सगीर सईद को 5310 वोट मिल सके। पार्टी ने फूलवती सैनी पर दांव लगाया मगर मायूसी मिली। 2007 में यूसुफ अंसारी(अब सपा) ने 37 हजार व 2012 में डा.सादिक को 25990 मत मिले। पर पिछले चुनाव में रिजवान कुरैशी ने 73 हजार वोट हासिल कर लिया।

[ad_2]

Source link