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भाजपा ने चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का ऐलान कर बड़ा दांव खेल दिया है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा के इस मास्टर स्ट्रोक से मुरादाबाद मंडल में विपक्षी दलों की मुश्किलें बढ़नी तय हैं। रालोद-सपा की दोस्ती टूटना तय है साथ ही भाजपा फ्रंटफुट पर खेलने की स्थिति में होगी। मुरादाबाद मंडल की छह सीटों पर ही नहीं पश्चिम की करीब 18 सीटों पर इसका असर देखने को मिल सकता है। मुरादाबाद मंडल की छह सीटों में भाजपा पिछले लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह किसानों के सर्वमान्य नेता हैं। मंडल में जाट समाज की अच्छी खासी आबादी है। जाट समाज मेरठ, मुजफ्फरनगर से सहारनपुर और मथुरा तक लोकसभा की कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाता है। इस बात को नकारा नहीं जा सकता।
भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम की सभी सीटें जीत लीं थी उनमें छोटे चौधरी (अजित सिंह) की परंपरागत गृह सीट बागपत भी शामिल थी। पिछले लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा के गठबंधन में भाजपा मुरादाबाद मंडल की सभी छह सीटें हार गई थी। इसके बाद रालोद और सपा की दोस्ती में विगत विधानसभा चुनाव में रालोद ने आठ सीटें जीत कर साबित किया था वह भाजपा की मुश्किलें बढ़ाने को काफी हैं।
इन सभी समीकरणों की काट में भाजपा ने तनाबाना बुनना शुरू किया और जाट बिरादरी को अपने पक्ष में लाने की जुगत में जुट गई। भाजपा ने 2022 में जाट समाज से मुरादाबाद निवासी चौधरी भूपेंद्र सिंह को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। चौधरी चरण सिंह की जयंती पर मुख्यमंत्री मुरादाबाद में उनकी प्रतिमा का अनावरण कर संदेश दे गए। अब किसानों के मसीहा कहे जाने वाले चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देकर जाट समाज को बड़ा संदेश दे दिया। भाजपा के इस कदम से चौधरी चरण सिंह के पौत्र रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी के भी सुर बदल गए। मुरादाबाद मंडल में 2019 में सभी छह सीटें गंवाने वाली भाजपा को लोकसभा चुनाव में इसबार इसका सीधा फायदा मिलने का अनुमान है।
जाट मतदाताओं के इर्द गिर्द घूमती पश्चिम की सियासत
पश्चिम यूपी की सियासत जाट मतदाताओं के इर्द-गिर्द घूमती है। वह जिस ओर झुके उसी दल का पलड़ा भारी हो जाता है। जाट समाज में अब तक चौधरी चरण सिंह जैसा सर्वमान्य नेता कोई नहीं है। इसका उदाहरण इंदिरा लहर में 80के दशक में भी बागपत सीट कांग्रेस नहीं जीत सकी थी। जाट मतदाता इस लोकसभा चुनाव में भी कई सीटों पर निर्णायक होंगे।
अजगर की तरह पीडीए की हवा निकालने की कोशिश
रालोद ने पूर्व में अजगर यानी अहीर, जाट, गुर्जर और राजपूत के सहारे सत्ता में मजबूत दखल रखा। सपा ने इस बार पीडीए यानि पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक का नारा दिया। अजगर का फार्मूला धीरे-धीरे फेल हो गया इसी तरह का प्रयास पीडीए के फार्मूले को फेल करने में भाजपा जुटी है।
लोकसभा क्षेत्रवार जाट मतदाता अनुमानित
क्षेत्र संख्या
मुरादाबाद 1 लाख
अमरोहा 2 लाख
संभल 1.20 लाख
रामपुर 1.25 लाख
बिजनौर 3.10 लाख
नगीना 1.20 लाख
मंडल में लोकसभा चुनाव के परिणाम 2019
भाजपा 00
सपा 03
बसपा 03