पश्चिम बंगाल की रहने वाली 64 साल की एक बुजुर्ग विधवा महिला और उनकी बेटी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से सीलबंद लिफाफे में जवाब तलब कर लिया है. महिला ने यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था कि कलकत्ता हाईकोर्ट की सिटिंग जज जस्टिस अमृता सिन्हा (Justice Amrita Sinha) उनके मामले की निष्पक्ष तरीके से जांच नहीं होने दे रही हैं. पुलिस पर दबाव बना रही है. बुजुर्ग महिला की बात सुन सुप्रीम कोर्ट भी हैरान रह गया.
महिला ने अपनी याचिका में कहा है कि एडवोकेट प्रोताप चंद्र डे और उनकी पत्नी जस्टिस अमृता सिन्हा अपने पद का दुरुपयोग कर रही हैं और याचिकाकर्ता द्वारा अपने रिश्तेदारों के खिलाफ दाखिल दो आपराधिक मामलों की निष्पक्ष तरीके से जांच में बाधा डाल रही हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला दिया?
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए पश्चिम बंगाल सीआईडी को आदेश दिया कि वह बिना किसी के दबाव में आए मामले की निष्पक्ष तरीके से जांच करे. कोर्ट को यह भी सूचित करे कि क्या जांच में किसी तरह का हस्तक्षेप है. उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार को भी आदेश दिया कि वह मामले में दिसंबर की अगली डेट पर सीलबंद लिफाफे में एक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे.
क्या है विवाद की जड़?
बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह पूरा मामला जमीन विवाद से जुड़ा है. बुजुर्ग याचिकाकर्ता ने अपनी अर्जी में कहा है कि उसके पिता के निधन के बाद जमीन का एक टुकड़ा उसके हिस्से में आया, लेकिन उसके बड़े भाई प्रॉपर्टी कब्जाने की कोशिश कर रहे हैं.
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महिला के मुताबिक उसके साथ मारपीट की गई, जो सीसीटीवी में कैद है. महिला के मुताबिक उसने अपने रिश्तेदारों के खिलाफ दो आपराधिक मुकदमे दर्ज कराए हैं.
बुजुर्ग याचिकाकर्ता का कहना है कि मुकदमा दर्ज कराने के बाद उसके रिश्तेदारों ने जज के पति को अपना वकील नियुक्त किया. इसके बाद से जांच में कोई प्रगति नहीं हुई. एडवोकेट डे, अपनी पत्नी के साथ मिलकर जांच को प्रभावित कर रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 7, 2023, 12:47 IST