Home National जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण की आधुनिक प्रार्थना- ‘प्यारे कान्हा न धरती पे आना’

जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण की आधुनिक प्रार्थना- ‘प्यारे कान्हा न धरती पे आना’

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जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण की आधुनिक प्रार्थना- ‘प्यारे कान्हा न धरती पे आना’

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जमाना अब बदला हुआ

प्यारे कान्हा न धरती पे आना, जमाना अब बदला हुआ
यदि आए, पड़ेगा पछताना, जमाना अब बदला हुआ

चोर-सिपाही, लुक्का छिप्पी, नहीं रहे बनवारी जी
आज वीडियो गेम हुए हैं सब खेलों पर भारी जी
कंदमूल फल नहीं यहां पर अब तो बर्गर पीज्जा है
बच्चे खुद फूटबॉल हो गए उसका यही नतीजा है

इन्हें मथुरा के पेडे़ न खिलाना, जमाना अब बदला हुआ
सिर्फ कोक और पेप्सी पिलाना, जमाना अब बदला हुआ।

मटकी रीती पड़ी दही की, बड़ी अजब लाचारी है
सप्रेटा की छाछ मिलेगी, वो ही सबको प्यारी है
नंदन वन की जगह यहां पर, अब पिकनिक स्पॉट बने
वहां सुदामा तुम्हें मिलेंगे कोट पेंट में बने ठने

ऐसा न हो वो मारे, तुम्हें ताना, ज़माना अब बदला हुआ
कह दें, हमने तुम्हें न पहचाना, ज़माना अब बदला हुआ।

असली माखन कहां आजकल, घालमेल है भारी जी,
फ्रिज में नखली बटर मिलेगा, तुमको अब बनवारी जी,
मोर-मुकुट की जगह सभी के सिर पर गांधी टोपी है
जीन्स और टी-शर्ट पहनकर यहां घूमती गोपी है

उनके पास आप बिलकुल न जाना, जमाना अब बदला हुआ
वरना देखना पड़ेगा तुम्हें थाना, जमाना अब बदला हुआ।

जाने कहां-कहां फिरती हैं, गऊऐं मारी-मारी अब
ग्वाल-वाल करते मिल जाएंगे कुत्तों से यारी अब
यमुना तट पर नहीं मिलेगी तुम्हें मेरी कहीं वंशी की धुन
वहां मिलेंगे फिल्मी गाने, तू मेरी मैं तेरी सुन

उन्हें आप राधा को नहीं सुनाना, जमाना अब बदला हुआ
बदले में वो न गा दे कोई गाना, जमाना अब बदला हुआ।

सूखे ब्रज के ताल गोपियां स्वीमिंग करने जाती हैं
श्याम वर्ण केशों की वो अक्सर कलरिंग करवाती हैं,
आज राधिका, मोहन को दिन भर मोबाइल करती हैं
पूरी ना हो फरमाइश तो केस वो फाइल करती हैं

जज के आगे चलेगा न बहाना, जमाना अब बदला हुआ
अब पहले जैसा कुछ भी रहा न, जमाना अब बदला हुआ।

प्यारे कान्हा न धरती पे आना, जमाना अब बदला हुआ
यदि आये, पड़ेगा पछिताना, जमाना अब बदला हुआ।

Tags: Books, Hindi Literature, Hindi Writer, Janmashtami, Literature, Sri Krishna Janmashtami

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