हाइलाइट्स
यदि आप अपने शिशु को 2 सप्ताह की उम्र से ही किताबें पढ़कर सुनाएं तो उनमें भाषाई विकास तेजी से होगा.
9 महीने तक जाते-जाते शिशु शब्दों को समझने के साथ ही बोलने भी लगेंगे.
कुछ शिशु एक साल के हो जाते हैं, फिर भी वे सही तरीके से बोलना या चीजों को समझना नहीं सीख पाते हैं. किसी भी शब्द को समझने में उन्हें समस्या होती है. ऐसा कई बच्चों के साथ होता है. हालांकि, ये सही नहीं है, क्योंकि आमतौर पर 6 महीने से एक साल के होते ही शिशु कुछ ना कुछ शब्द बोलने लग जाते हैं. पेरेंट्स जो भी बोलते हैं, उन शब्दों को वो समझकर रिएक्ट करने लगते हैं. यदि आपके बच्चे में ऐसा नहीं दिख रहा है तो परेशान ना हों, आप उन्हें अभी से ही किताबें पढ़कर सुनाएं. जी हां, ऐसा करने से काफी हद तक शिशु शब्दों को जल्दी ही बोलने व समझने लगते हैं. उनमें ग्रहण करने की क्षमता बढ़ती है. साथ ही भाषाई विकास भी होता है. ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि हाल ही में हुए एक शोध में ये बात कही गई है.
शोध में शोधकर्ता ने कहा है कि पेरेंट्स यदि आपने शिशु के जन्म लेने के दो सप्ताह बाद से ही किताब के कुछ पन्ने पढ़कर सुनाएं तो शिशुओं में शब्दों, बातों को समझने की क्षमता जल्दी विकसित होती है. साथ ही उनमें भाषाई डेवलप्मेंट भी जल्दी होने लगता है. दो सप्ताह से लेकर कम से कम 9 महीने तक यदि आप शिशु को किताबें पढ़कर सुनाएं, तो वे 9वें महीने में ही आपसे बोलने लग सकते हैं. आपकी बातों को समझ सकते हैं, उनके प्रति रिएक्ट कर सकते हैं.
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यह शोध मार्शल यूनिवर्सिटी के जोन सी. एडवर्ड्स स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं द्वारा हाल ही में किया गया है. शोधकर्ताओं के अनुसार, प्रतिदिन पढ़ने की इस आदत से 12 महीने और उससे कम उम्र के शिशुओं में भाषा के विकास में सुधार देखा गया है. इस शोध का परिणाम दिसंबर में अमेरिकन बोर्ड ऑफ फैमिली मेडिसिन के जर्नल में जारी किया गया.
शोध के दौरान पेरेंट्स को दी गईं
शोध में कुछ पेरेंट्स को शामिल किया गया था, जिसमें सभी को 20 किताबों का सेट दिया गया. ये स्पेशली बच्चों के लिए डिजाइन की गई किताबें थीं. इन किताबों में अलग-अलग तरह की तस्वीरें बनी थीं और भाषाई विकास पर आधारित थीं. पेरेंट्स ने पहले लगातार दो सप्ताह अपने शिशुओं के सामने इन किताबों को पढ़ा और बच्चों पर हुए इसके असर, सीखने की क्षमता के बारे में शोधकर्ताओं के सामने जिक्र किया. ये सिलसिला लगातार एक वर्ष तक चला और इसके हैरान कर देने वाले रिजल्ट सामने आए. जिन बच्चों को किताबें पढ़कर सुनाई गई, उनमें चीजों को समझने, ग्रहण करने की क्षमता, उन बच्चों की तुलना में अधिक थी, जिन्हें कभी भी किताबें पढ़कर नहीं सुनाई गई.
शोधकर्ताओं ने इस शोध का परिणाम देखकर कहा कि शिशुओं को यदि ऐसे ही प्रतिदिन किताबों से पढ़ाया जाए, तस्वीरें दिखाईं जाएं, नए-नए शब्द बोले जाएं, तो वे चीजों को जल्दी ग्रहण करते हैं, बोलना सीख जाते हैं. उनमें भाषाई समक्ष जल्दी विकसित हो सकती है. बच्चों की लैंग्वेज स्किल मजबूत होती है. मस्तिष्क का विकास तेजी से होता है.
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FIRST PUBLISHED : February 22, 2023, 13:17 IST