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कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो लंबे इंतजार के बाद मंगलवार को नई दिल्ली से अपने देश की ओर रवाना हो गए। जानकार मानते हैं कि टूडो को भारत दौरे में काफी फजीहत झेलनी पड़ी। उन्हें जी-20 शिखर सम्मेलन की समाप्ति के साथ रविवार को ही अन्य राष्ट्राध्यक्षों के साथ निकलना था लेकिन, ऐन वक्त पर उनके विमान में तकनीकी खराबी आ गई। विमान के रिपेयर होने में दो दिन का वक्त लग गया। तक जस्टिन ट्रूडो दिल्ली के फाइव स्टार होटल ललित में अपने प्रतिनिधिंडल के साथ ठहरे हुए थे। होटल प्रवास के दौरान किसी भी भारतीय अधिकारी या नेता ने उनसे संपर्क नहीं किया। भारत कनाडा में खालिस्तानी तत्वों की बढ़ती धमक को लेकर पहले ही नाराजगी जता चुका है। यह पहली बार नहीं है, जब ट्रूडो को भारत दौरे पर फजीहत झेलनी पड़ी हो। पांच साल पहले तो ट्रूडो ने भारत दौरे पर दोषी करार आतंकवादी को डिनर पर इनवाइट तक कर दिया था।
खालिस्तान समर्थक तत्वों पर अपनी सरकार के नरम रुख के कारण जस्टिन ट्रूडो सरकार के प्रति भारत असंतोष जाहिर कर चुका है। हुआ यूं कि साल 2018 में जस्टिन ट्रूडो भारत दौरे पर पहुंचे थे और कनाडाई पीएम के साथ डिनर पर खालिस्तानी आतंकवादी जसपाल अटवाल को आमंत्रण भेज दिया गया।
मुंबई में एक आधिकारिक रात्रिभोज में कनाडाई प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो की पत्नी सोफी के साथ अटवाल की तस्वीरें और नई दिल्ली में कनाडाई उच्चायुक्त द्वारा गुरुवार रात आयोजित एक रिसेप्शन के आधिकारिक निमंत्रण ने बड़े पैमाने पर तूफान पैदा कर दिया था। हालांकि बाद में कनाडाई उच्चायुक्त को मामले में सफाई देनी पड़ी।
ट्रूडो को देनी पड़ी थी सफाई
ट्रूडो ने तब संवाददाताओं से कहा, ”जाहिर तौर पर हम इस स्थिति को बेहद गंभीरता से लेते हैं। संबंधित व्यक्ति को कभी भी निमंत्रण नहीं मिलना चाहिए था और जैसे ही हमें पता चला, हमने तुरंत निमंत्रण रद्द कर दिया।
कौन है जसपाल अटवाल
जसपाल सिंह अटवाल को 1986 में कनाडा में पंजाब के एक मंत्री की हत्या के प्रयास के लिए दोषी ठहराया गया था। लेकिन यह उन पर लगाया गया एकमात्र आपराधिक आरोप नहीं है। अटवाल और तीन अन्य लोगों को 1986 में अकाली दल नेता मल्कियत सिंह सिद्धू पर हमले के लिए हत्या के प्रयास का दोषी ठहराया गया था, जो उस समय वैंकूवर द्वीप पर रिश्तेदारों से मिलने गए थे।
सिद्धू, जो उस समय पंजाब सरकार में राज्य मंत्री थे, हमले में घायल हो गए और बच गए। बाद में 1991 में पंजाब में सिख आतंकवादियों ने उनकी हत्या कर दी। आतंकवादियों के साथ घनिष्ठ संबंध, 1980 के दशक के मध्य में एक प्रमुख पंजाबी राजनेता की हत्या के प्रयास का हिस्सा होना, चोरी की कारों की बिक्री में शामिल होना, जसपाल सिंह अटवाल के खिलाफ आरोपों की एक लंबी सूची है।