बेंगलुरु: दो देशों के दौरे से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीधे बेंगलुरु पहुंचे। यहां से वह सीधे सतीश धवन स्पेस सेंटर पहुंचे, जहां उन्होंने चंद्रयान-3 मिशन की टीम से मुलाकात की और वैज्ञानिकों से बातचीत की। पीएम का विमान सीधे ग्रीस से बेंगलुरु पहुंचा था। इस दौरान एयरपोर्ट पर प्रोटोकॉल के अनुसार, राज्य के राज्यपाल और मुख्यमंत्री समेत तमाम लोगों को वहां मौजूद होना चाहिये था, लेकिन अहले सुबह इनमें से वहां कोई मौजूद नहीं था। इसे लेकर राजनीति शुरू हो गई थी।
जानिए क्या था जयराम रमेश ने?
कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सिद्धरमैया और शिवकुमार को एचएएल हवाई अड्डे पर उनके स्वागत के लिए आने से कथित रूप से रोका। रमेश ने आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री इस बात को लेकर सिद्धरमैया और शिवकुमार से चिढ़ गए कि उनसे पहले उन दोनों ने इसरो के वैज्ञानिकों को सम्मानित किया। हालांकि अब उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार जयराम रमेश के इस आरोप गलत साबित कर दिया है। शिवकुमार ने कहा कि पीएम मोदी ने जो कुछ भी कहा है वह बिलकुल सत्य है।
प्रधानमंत्री ने जो कुछ भी कहा है, मैं उससे पूरी तरह सहमत- डीके शिवकुमार
डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा, ”प्रधानमंत्री ने जो कुछ भी कहा है, मैं उससे पूरी तरह सहमत हूं। हमें जाकर उनका स्वागत करना था, लेकिन चूंकि हमारे पास प्रधानमंत्री कार्यालय से इस बारे में आधिकारिक तौर पर जानकारी थी, इसलिए हम इसका सम्मान करना चाहते थे।” उन्होंने कहा कि राजनीतिक खेल अब खत्म हो गया है, अब हम विकास की ओर देख रहे हैं। बकौल शिवकुमार पीएम के स्वागत के लिए या तो मुख्यमंत्री या मैं जाने क एलिए तैयार था, लेकिन जब हमें उनके आने के निश्चित समय की जानकारी नहीं थी तब ही उन्हें ना आने के लिए कहा गया।
इससे पहले पीएम मोदी ने एचएएल (हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) हवाई अड्डे के बाहर बड़ी संख्या में एकत्र लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि वह बहुत दूर (एथेंस) से आ रहे हैं और उन्हें यह नहीं पता था कि वह किस समय यहां पहुंचेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल थावरचंद गहलोत, मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार से उनके स्वागत के लिए हवाई अड्डा आने का कष्ट नहीं करने को कहा था, क्योंकि वह इसरो के वैज्ञानिकों को धन्यवाद देने के तुरंत बाद लौट जाएंगे। पीएम मोदी ने कहा, ‘‘इसलिए, मैंने उनसे अनुरोध किया था कि जब मैं औपचारिक दौरा करूं, तो वे निश्चित ही प्रोटोकॉल का पालन करें। उन्होंने सहयोग किया और मैं उनका शुक्रगुजार एवं आभारी हूं।’’
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