Home Health जवानी में करेंगे स्मोक तो घुटने हो जाएंगे खराब, रिसर्च में सामने आई बात, बचने के क्या है उपाय

जवानी में करेंगे स्मोक तो घुटने हो जाएंगे खराब, रिसर्च में सामने आई बात, बचने के क्या है उपाय

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जवानी में करेंगे स्मोक तो घुटने हो जाएंगे खराब, रिसर्च में सामने आई बात, बचने के क्या है उपाय

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Rheumatoid Arthritis: एक नई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि जो लोग जवानी में ज्यादा स्मोक करते हैं, उन्हें रुमेटॉइड अर्थराइटिस का खतरा ज्यादा रहता है. दुनिया भर में अर्थराइटिस का बोझ बढ़ रहा है.

जवानी में करेंगे स्मोक तो घुटने हो जाएंगे खराब, बड़े रिसर्च में सामने आई बात,

रूमेटॉयड आर्थराइटिस.

Rheumatoid Arthritis: रुमेटाइड आर्थराइटिस जोड़ों की क्रॉनिक बीमारी है. इसमें जोड़ों में दर्द, सूजन और जलन महसूस होती है जिससे बेपनाह दर्द होता है. इस बीमारी में स्किन, आंखें, फेफड़े, हार्ट और ब्लड वैसल्स में दिक्कतें सामने आती हैं. रुमेटाइड आर्थराइटिस में इम्यून सिस्टम गलती से हेल्दी टिशू पर ही हमला बोल देता है. इसे ऑटोइम्यून डिजीज कहा जाता है. अब एक नए अध्ययन में कहा गया है कि जिन लोगों में स्मोकिंग करने की आदत होती है उनमें रुमेटॉइड अर्थराइटिस का जोखिम ज्यादा होता है. यह अध्ययन 1980 के बाद से वैश्विक स्तर पर रुमेटॉइड आर्थराइटिस (आरए) के मामलों में वृद्धि को देखते हुए किया गया है. रुमेटॉइड आर्थराइटिस एक क्रॉनिक ऑटोइम्यून बीमारी है जो जोड़ों में दर्द सूजन और अकड़न का कारण बनती है.

1980 से चल रहा है अध्यय
‘एनल्स ऑफ द रूमेटिक डिजीज’ में प्रकाशित इस अध्ययन में सामाजिक आर्थिक असमानताओं और बीमारी के बोझ में बढ़ती असमानता का खुलासा हुआ है. अध्ययन में पाया गया कि उम्र बढ़ने, आबादी में वृद्धि और असमान स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण अलग-अलग क्षेत्रों में रूमेटाइड आर्थराइटिस के मामले अलग-अलग तरीके से बढ़ रहे हैं. अध्ययन ने 1980 से 2021 तक 953 वैश्विक और स्थानीय स्थानों के डेटा का विश्लेषण किया, जो ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (जीबीडी) से लिया गया था. इसमें एक नए डीप लर्निंग मॉडल का इस्तेमाल किया गया. इस डेटा के विश्लेषण से पता चला कि इस अवधि में रुमेटॉइड आर्थराइटिस का वैश्विक बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है. खासकर युवाओं में. अध्ययन में पाया गया कि आयरलैंड और न्यूजीलैंड अर्थराइटिस के मामले में बेहद असमानता वाले देश है. अध्ययन में यह भी पाया गया कि आर्थिक कारक अकेले बीमारी के बोझ को निर्धारित नहीं करते. इसके कई कारण है जिसमें लाइफस्टाइल में खराबी सबसे प्रमुख है.

अर्थराइटिस से मुक्ति पाने के उपाय
लंदन के इंपीरियल कॉलेज के प्रमुख शोधकर्ता क्यूरन लिन ने बताया कि 2040 तक लोगों की उम्र बढ़ने के कारण अर्थराइटिस के मामलों में और तेजी आने वाली है. पहली की रिसर्च में भी यह बात सामने आ चुकी है कि अर्थराइटिस के खराब लाइफस्टाइल जिम्मेदार है. ऐसे में अगर लाइफस्टाइल में सुधार लाया जाए तो इसपर आसानी से काबू पाया जा सकता है. दरअसल, इसका मुख्य कारण यह है कि खाने में जब प्रोटीन की मात्रा बढ़ती है तो यह शरीर में टूटकर प्यूरिन बन जाता है. प्यूरिन यूरिक एसिड में बदलकर पेशाब के माध्यम से शरीर से बाहर निकाल देता है. लेकिन जब यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है तो यह क्रिस्टल के रूप में जमा होने लगता है और ये जोड़ों के बीच में जमने लगता है. इसी से जोड़ों में दर्द होता है. ऐसा न हो, इसके लिए रोजाना एक्सरसाइज और हेल्दी डाइट लेनी चाहिए. वहीं रोजाना हरी पत्तीदार सब्जियां और ताजे फलों का सेवन करना चाहिए. प्रोसेस्ड फूड और रेड मीट अर्थराइटिस में बहुत हानिकारक है. वहीं शराब का सेवन भी बहुत हानिकारक होता है. इसलिए सिगरेट और शराब छोड़ देनी चाहिए. दर्द वाली जगह पर हीट और कोल्ड थेरेपी फायदेमंद होता है. (इनपुट-आईएएनएस)

LAKSHMI NARAYAN

Excelled with colors in media industry, enriched more than 16 years of professional experience. Lakshmi Narayan contributed to all genres viz print, television and digital media. he professed his contribution i…और पढ़ें

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