Home Health जवानी में नाइट शिफ्ट का खतरनाक असर 40-50 में ही लगेगा दिखने, दिमाग पर पड़ने लगेंगे ताले, स्टडी में चौंकाने वाले खुलासे

जवानी में नाइट शिफ्ट का खतरनाक असर 40-50 में ही लगेगा दिखने, दिमाग पर पड़ने लगेंगे ताले, स्टडी में चौंकाने वाले खुलासे

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हाइलाइट्स

यह भी पाया गया था कि नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों का हार्ट बीट बहुत फास्ट हो जाता है.
अध्ययन में नाइट शिफ्ट में काम करने वाले 47,811 लोगों पर परीक्षण किया गया.

Night Shift Cause of Memory Loss in Middle Age: अब तक कई ऐसे अध्ययन हुए हैं जिसमें दावा किया गया है कि नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों को कई तरह की दिक्कतें सामने आती है. पहले के अध्ययन के मुताबिक नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों को पेट संबंधी समस्याएं, कमर संबंधी समस्याएं एवं लाइफस्टाइल से संबंधित बीमारियों का जोखिम ज्यादा रहता है. अब एक नई स्टडी में दावा किया गया है कि जो लोग रात की शिफ्ट में काम करते हैं या देर रात तक काम करते हैं, उन्हें अधेड़ उम्र में याददाश्त से संबंधित बीमारियां हो सकती है. यानी नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों की मेमोरी पावर बहुत कम हो जाती है.

9 बजे से शाम के 5 बजे के बाद की शिफ्ट से परेशानी

डेलीमेल की खबर के मुताबिक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग नाइट शिफ्ट में काम कर रहे थे, उनमें 79 प्रतिशत लोगों को अधेड़ उम्र आते-आते याददाश्त से संबंधित कुछ न कुछ समस्याएं जरूर हो गई. इससे पहले के अध्ययन में पाय गया था कि सुबह 9 बजे से लेकर शाम के 5 बजे के बाद जो भी शिफ्ट होती है, उनमें काम करने वाले लोगों का स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित होता है. याददाश्त से संबंधित खराबियां पहली बार सामने आई है. इस अध्ययन में नाइट शिफ्ट में काम करने वाले 47,811 लोगों पर परीक्षण किया गया. इन्हें संज्ञानात्मक फंक्शन टेस्ट देने के लिए कहा गया. अध्ययन में शामिल 5 में से एक ने बताया कि उन्हें अपने करियर में शिफ्ट के काम का सामना करना पड़ा.

हार्ट संबंधी परेशानियों का जोखिम

कनाडा में यॉर्क यूनिवर्सिटी की एक टीम ने इस समय में अध्ययन किया है जिसे प्लॉस वन जर्नल में प्रकाशित किया गया है. अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों को शिफ्ट में काम करना पड़ा, उनमें आगे जाकर संज्ञानात्मक बोध से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा, इससे उस व्यक्ति सर्केडियन रिद्म बिगड़ गया जो न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर को प्रोत्साहित किया. यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड में न्यूरोसाइंस के प्रोफेसर रसेल फॉस्टर ने बताया कि अध्ययन में नाइट शिफ्ट को लेकर जो बातें सामने आई है वह बेहद महत्वपूर्ण है. इस तरह के निष्कर्ष लेबोरेटरी और फील्ड स्टडी दोनों में सामने आए हैं.

उदाहरण के लिए लंबी दूरी के विमान का परिचालन करने वाले पायलट में स्वास्थ्य संबंधी कई तरह की समस्याएं देखी गई. इससे पहले यह भी पाया गया था कि नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों का हार्ट बीट बहुत फास्ट हो जाता है. महिलाओं को इसका असर ज्यादा पड़ता है. इसमें नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों में कोरोनरी हार्ट डिजीज का खतरा भी बढ़ जाता है. इस अध्ययन के बाद ब्रिटेन में नाइट शिफ्ट करने वाले कर्मचारियों की संख्या में गिरावट भी आई है. 2016 में 95 लाख लोग ब्रिटेन में नाइट शिफ्ट में काम करते थे जो 2022 में गिरकर 87 लाख हो गए.

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