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एक तरफ बिहार में जातीय गणना की रिपोर्ट सोमवार को सार्वजनिक हो गई तो दूसरी तरफ यूपी में इसे लेकर समाजवादी पार्टी बंटी नजर आ रही है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव लगातार जातीय गणना की मांग करते रहे हैं। यहां तक कि विधानसभा में भी अखिलेश ने इसे लेकर मामला उठाया था। अब सपा के ही सांसद शफीकुर्रहमान बर्क का अलग ही सुर सुनाई दिया है। बर्क ने कहा कि इस समय इसकी कोई जरूरत ही नहीं थी। उन्होंने यहां तक कहा कि यह रिपोर्ट चुनावी माहौल को देखते हुए जारी की गई है।
बर्क ने जातीय गणना के पर कहा कि इस समय इस रिपोर्ट के क्या मायने के हैं? उन्होंने कहा कि आज इन आंकड़ों की क्या जरूरत पड़ी है? ये तो उन्हें 2024 का इलेक्शन दिखाई दे रहा है, उस इलेक्शन की वजह से ये सारे धंधे कर रहे हैं, इससे काम नहीं चलेगा।
बर्क ने पूछा कि मुल्क को खिदमत चाहिए, मुल्क को विकास चाहिए, मुल्क को तालीम चाहिए, मुल्क में अच्छा निजाम चाहिए, ये तो कुछ है नहीं… अगर आप मुल्क चला रहे हैं तो आप बताइए कि मुल्क के लिए आपने क्या किया।
वहीं, अखिलेश यादव ने बिहार जाति आधारित जनगणना के प्रकाशित होने पर कहा कि ये है सामाजिक न्याय का गणतीय आधार। जातिगत जनगणना 85-15 के संघर्ष का नहीं बल्कि सहयोग का नया रास्ता खोलेगी और जो लोग प्रभुत्वकामी नहीं हैं बल्कि सबके हक़ के हिमायती हैं, वो इसका समर्थन भी करते हैं और स्वागत भी। जो सच में अधिकार दिलवाना चाहते हैं वो जातिगत जनगणना करवाते हैं। भाजपा सरकार राजनीति छोड़े और देशव्यापी जातिगत जनगणना करवाए।
जब लोगों को ये मालूम पड़ता है कि वो गिनती में कितने हैं तब उनके बीच एक आत्मविश्वास भी जागता है और सामाजिक नाइंसाफ़ी के ख़िलाफ़ एक सामाजिक चेतना भी, जिससे उनकी एकता बढ़ती है और वो एकजुट होकर अपनी तरक़्क़ी के रास्ते में आनेवाली बाधाओं को भी दूर करते हैं, नये रास्ते बनाते हैं और सत्ताओं और समाज के परम्परागत ताक़तवर लोगों द्वारा किए जा रहे अन्याय का ख़ात्मा भी करते हैं। इससे समाज बराबरी के मार्ग पर चलता है और समेकित रूप से देश का विकास होता है। जातिगत जनगणना देश की तरक़्क़ी का रास्ता है।
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